चुनौती हिमालय की 5th Class NCERT CBSE Hindi Book Rimjhim Chapter 18
प्रश्न:
- लद्दाख जम्मू-कश्मीर राज्य में है। नक्शे में ढूँढ़ो कि लद्दाख कहाँ है और तुम्हारा घर कहाँ है?
- अनुमान लगाओ कि तुम जहाँ रहते हो वहाँ से लद्दाख पहुँचने में कितने दिन लग सकते हैं और वहाँ किन-किन ज़रियों से पहुँचा जा सकता है?
- किताब के शुरू में तुमने तिब्बती लोककथा ‘राख की रस्सी’ पढ़ी थी। नक्शे में तिब्बत को ढूँढ़ो।
चुनौती हिमालय की – उत्तर:
- मानचित्र में देखो एक लाल घेरा दिल्ली को घेरे हुए है। दिल्ली में मेरा निवासस्थान है। दूसरा घेरा मानचित्र में लद्दाख की स्थिति को दर्शाता है।
- हम दिल्ली में रहते हैं। यहाँ से हवाई यात्रा से लद्दाख पहुँचने में दो से तीन दिन लग सकते हैं। वहाँ कार, रेल, बस व वायुयान से पहुँचा जा सकता है।
- मानचित्र में देखो।
प्रश्न: इस वृत्तांत को पढ़ते-पढ़ते तुम्हें भी अपनी कोई छोटी या लंबी यात्रा याद आ रही हो तो उसके बारे में लिखो।
उत्तर: एक बार मैं हिमाचल प्रदेश की यात्रा पर गया था। शाम के समय मैं बस में बैठ गया और सुबह जब आँख खुली तो मैंने हमारी बस को हिमाचल प्रदेश की घुमावदार पहाड़ी रास्तों में पाया। वहाँ का रास्ता खतरनाक था। इन रास्तों में कहीं एक तरफ़ खाई थी, तो दूसरी तरफ़ पहाड़। ये बहुत भयानक लग रहे थे। कई घुमावदार रास्तों से निकलकर हम गाँव की तरफ पहुँचे। इन पहाड़ों पर बस की गति धीमी होती है। हम सुबह अपने गंतव्य स्थान पर पहुँचे, जहाँ से बर्फ़ीली चोटियाँ सूरज की रोशनी में सोने की तरह चमक रही थी। बहुत ही सुन्दर दृश्य था। इसको देखकर रास्ते की सारी थकावट दूर हो गई।
प्रश्न: जवाहरलाल को अमरनाथ तक का सफ़र अधूरा क्यों छोड़ना पड़ा?
उत्तर: जवाहरलाल को अमरनाथ तक का सफ़र आधा छोड़ना पड़ा क्योंकि आगे जाने के लिए आवश्यक सामान नहीं था।
प्रश्न: जवाहरलाल, किशन और कुली सभी रस्सी से क्यों बँधे थे?
उत्तर: जवाहर, किशन और कुली सभी रस्सी से इसलिए बँधे थे क्योंकि यदि वे पहाड़ से गिर जायें तो रस्सी के सहारे लटक कर बच सकें।
चुनौती हिमालय की – प्रश्न:
- पाठ में नेहरू जी ने हिमालय से चुनौती महसूस की। कुछ लोग पर्वतारोहण क्यों करना चाहते हैं?
- ऐसे कौन-से चुनौती भरे काम हैं तो तुम करना पसंद करोगे?
उत्तर:
- कुछ लोग पर्वतारोहण शौक व मनोरंजन के लिए करते हैं। ऐसे स्थानों पर जाना उनके लिए चुनौती होता है और उसे जीतना उनके जीवन का उद्देश्य होता है। कुछ लोगों के लिए यह जीविका का साधन होती है।
- विद्यालय में सबसे अधिक अंक लाना, खेलों में प्रथम आना, तैराकी, कुछ साहासिक कार्य करना मैं पसंद करूँगी।।
प्रश्न:
- बर्फ़ से ढके चट्टानी पहाड़ों के उदास और फीके लगने की क्या वजह हो सकती थी?
- बताओ, ये जगहें कब उदास और फीकी लगती हैं और यहाँ कब रौनक होती है?
घर, बाज़ार, स्कूल, खेत
उत्तर: बर्फ़ से ढके चट्टानी पहाड़ों के उदास और फीके लगने की वजह वहाँ पर हरियाली का बर्फ़ से ढक जाना होता है।
घर: जब सब घर में मिलजुल कर एक साथ रहते हैं, तो रौनक होती है। सब लोग बाहर चले जाएँ या आपस में न बोले तो फीका लगता है।
बाज़ार: बाज़ार लगने पर रौनक लगती है और बाज़ार समाप्त होने लगता है, तो फीका लगता है।
स्कूल: जब स्कूल लगा होता है, तो रौनक रहती है। जब स्कूल में छुट्टी होती है, तो फीका लगता है।
खेत: खेतों में जब फसल लहलहाने लगती है और किसान उसमें काम कर रहे होते हैं, तो रौनक रहती है। खेत कट जाने पर फीके लगते हैं।
प्रश्न: ‘जवाहरलाल को इस कठिन यात्रा के लिए तैयार नहीं होना चाहिए।’ तुम इससे सहमत हो तो भी तर्क दो, नहीं हो तो भी तर्क दो। अपने तर्कों को तुम कक्षा के सामने प्रस्तुत भी कर सकते हो।
उत्तर: हम इस कथन से सहमत हैं। वह एक ज़िम्मेदार व्यक्ति थे। भारत को उनकी बहुत आवश्यकता थी। इसके साथ ही रास्ता दुर्गम था। उनके पास इस रास्ते पर जाने के लिए पर्याप्त सामान नहीं था। सबसे महत्वपूर्ण बात जवाहरलाल इस रास्ते पर चलने के अभ्यस्त नहीं थे। उन्हें इन सभी समस्याओं पर विचार करना चाहिए था और तभी वहाँ जाना चाहिए था। अत: जवाहर लाल को इस कठिन यात्रा के लिए तैयार नहीं होना चाहिए था।
प्रश्न: ‘कोलाज’ उस तस्वीर को कहते हैं जो कई तस्वीरों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर एक कागज़ पर चिपका कर बनाई जाती है।
तुम मिलाकर पहाड़ों का एक कोलाज बनाओ। इसके लिए पहाड़ों से जुड़ी विभिन्न तस्वीरें इकट्ठा करो: पर्वतारोहण, चट्टान, पहाड़ों के अलग-अलग नज़ारे, चोटी, अलग-अलग किस्म के पहाड़। अब इन्हें एक बड़े से कागज़ पर पहाड़ के आकार में ही चिपकाओ। यदि चाहो तो ये कोलाज तुम अपनी कक्षा की एक दीवार पर भी बना सकते हो।
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर छात्र स्वयं करें।
प्रश्न: ‘कोलाज’ उस तस्वीर को कहते हैं जो कई तस्वीरों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर एक कागज़ पर चिपका कर बनाई जाती है।
अब इन चित्रों पर आधारित शब्दों का एक कोलाज बनाओ। कोलाज में ऐसे शब्द हों जो इन चित्रों का वर्णन कर पा रहे हों या मन में उठने वाल भावनाओं को बता रहे हों। अब इन दोनों कोलाजों को कक्षा में प्रदर्शित करो।
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर छात्र स्वयं करें।
प्रश्न: उदास फीके बर्फ़ से ढके चट्टानी पहाड़ हिमालय की दुर्गम पर्वतमाला मुँह उठाए चुनौती दे रही थी।
“उदास होना” और “चुनौती देना” मनुष्य के स्वभाव हैं। यहाँ निर्जीव पहाड़ ऐसा कर रहे हैं। ऐसे और भी वाक्य हैं। जैसे:
बिजली चली गई।
चाँद ने शरमाकर अपना मुँह बादलों के पीछे कर लिया।
इस किताब के दूसरे पाठों में भी ऐसे वाक्य ढूँढ़ो।
उत्तर: अन्य वाक्य इस प्रकार हैं:
- बर्फ़ चुपचाप गिर रही थी।
- जिसकी नंगी शाखों पर रूई के मोटे-मोटे गालों सी बर्फ चिपक गई थी।
- नीले चमचमाते आकाश के नीचे बर्फ़ से ढकी पहाड़ियाँ धूप सेंकने के लिए अपना चेहरा बादलों के बाहर निकाल लेती है।