प्रश्न: डाकिए का क्या नाम था?
उत्तर: डाकिए का नाम कँवरसिंह था।
प्रश्न: डाकिया कहाँ का रहने वाला था?
उत्तर: डाकिया हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के नेरवा गाँव का रहने वाला था।
प्रश्न: कँवरसिंह के परिवार में कौन-कौन सदस्य थे।
उत्तर: कँवरसिंह के परिवार में चार बच्चे थे।
प्रश्न: डाक सेवक को क्या-क्या करना पड़ता है?
उत्तर: डाक सेवक को चिट्ठियाँ, रजिस्टरी-पत्र, पार्सल, बिल, बुढ़ें लोगो को पेंशन आदि बाँटने गाँव-गाँव जाना पड़ता है।
प्रश्न: भारतीय डाक सेवा की क्या विशेषता है?
उत्तर: भारतीय डाक सेवा दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे सस्ती डाक सेवा है।
प्रश्न: कँवरसिंह को डाकसेवक के रूप में कौन-कौन से काम होते हैं?
उत्तर: चिट्ठियाँ, रजिस्ट्री पत्र, पार्सल, बिल, बूढ़े लोगों की पेंशन आदि छोड़ने कँवरसिंह को गाँव-गाँव जाना होता हैं।
प्रश्न: गाँवों में डाकिए का बड़ा आदर और सम्मान किया जाता है। क्यों?
उत्तर: क्योंकि वहाँ पर आज भी संदेश पहुँचाने का सबसे बड़ा जरिया डाक ही है। गाँव के लोग अपनी चिट्ठी आदि पाने के लिए डाकिए का इंतजार करते हैं।
प्रश्न: आप कैसे कह सकते हैं कि कँवरसिंह को अपनी नौकरी बहुत अच्छी लगती है?
उत्तर: कँवरसिंह को अपनी नौकरी बहुत अच्छी लगती है क्योंकि इस नौकरी की बदौलत उसे मनीआर्डर पहुँचाने पर, रिजल्ट या नियुक्ति पत्र पहुँचाने पर लोगों का ख़ुशी भरा चेहरा देखने को मिलता है।
प्रश्न: कँवरसिंह कौन है? उसके एक बेटे की मौत कैसे हुई?
उत्तर: कँवरसिंह भारतीय डाक सेवक है जो हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के नेरवा गाँव का निवासी है। उसकी उम्र पैंतीस साल है। उसके चार बच्चे हैं – तीन लडकियाँ और एक लड़का। दो लड़कियों की शादी हो चुकी है। उसका एक और बेटा था जो गाँव में एक पहाड़ी से लकड़ियाँ लाते हुए गिर गया जिससे उसकी मौत हो गई।
प्रश्न: पहाड़ी क्षेत्रों में डाक पहुँचाने में कँवरसिंह को किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है?
उत्तर: पहाड़ी इलाकों में ठंड बहुत पड़ती है। हिमाचल प्रदेश के कुछ जिले जैसे किन्नोर और लाहौल स्पीति में तो अप्रैल महीने में भी बर्फबारी हो जाती है। बर्फ में चलते हुए कँवरसिंह को अपने पैर ठंड से बचाने पड़ते हैं क्योंकि स्नोबाईट का डर रहता है। इन जिलों में उसे एक घर तक डाक पहुँचाने के लिए लगभग 26 किलोमीटर रोजाना चलना पड़ता है।
प्रश्न: कँवरसिंह को ‘बेस्ट पोस्टमैन’ की उपाधि क्यों और कब मिली?
उत्तर: अपनी जान पर खेलकर डाक की चीजें बचाने के लिए भारत सरकार ने उसे ‘बेस्ट पोस्टमैन’ का इनाम दिया। यह इनाम उसे 2004 में मिला। इस इनाम में 500 रूपये और प्रशस्ति पत्र मिला।