एक दिन की बादशाहत 5th Class NCERT CBSE Hindi Book Rimjhim Chapter 10
एक दिन की बादशाहत – प्रश्न: अब्बा ने क्या सोचकर आरिफ़ की बात मान ली?
उत्तर: अब्बा ने सोचा – “रोज़ हर आदमी बच्चों पर हुक्म चलाता है। अत: आज हुक्म चलाने का मौका इन्हें दिया जाए।” इसलिए उन्होंने आरिफ़ की बात मान ली।
प्रश्न: वह एक दिन बहुत अनोखा था जब बच्चों को बड़ों के अधिकार मिल गए थे। वह दिन बीत जाने के बाद इन्होंने क्या सोचा होगा:
- आरिफ़ ने
- अम्मा ने
- दादी ने
उत्तर: वह एक दिन सबके लिए बहुत अनोखा था। वह दिन बीत जाने के बाद इन लोगों ने इस प्रकार का सोचा होगा:
- आरिफ़ ने: आरिफ़ ने सोचा होगा कि रोज़ ही ऐसा दिन आए।
- अम्मा ने: अम्मा ने सोचा होगा चलो आज बच्चों की बात मानकर उन्हें खुशी दे दी।
- दादी ने: दादी ने सोचा होगा आज बच्चे कितने खुश हैं, इसका मतलब रोज़ उन्हें कष्ट होता होगा।
प्रश्न: अगर तुम्हें घर में एक दिन के लिए सारे अधिकार दे दिए जाएँ तो तुम क्या-क्या करोगी?
उत्तर: अगर हमें एक दिन के लिए सारे अधिकार दे दिए जाएँ, तो हम अपने मन की सारी बातें पूरी करेगें। बड़ों पर रौब जमाएँगे और यही कोशिश रहेगी कि घर पर कोई गलत काम न हो।
प्रश्न: कहानी में ऐसे कई काम बताए गए हैं जो बड़े लोग आरिफ़ और सलीम से करने के लिए कहते थे। तुम्हारे विचार से उनमें से कौन-कौन से काम उन्हें बिना शिकायत किए कर लेने चाहिए थे और कौन-कौन से कामों के लिए मना कर देना चाहिए था?
उत्तर: आरिफ़ और सलीम को सुबह जल्दी उठना चाहिए और रात को समय पर सोना चाहिए। इन कामों के लिए उन्हें किसी को शिकायत का मौका नहीं देना चाहिए। यदि उन्हें गाने का मन और घर में रहकर खेलने का मन करे तो दूसरों के मना करने पर उन कामों को करना चाहिए।
प्रश्न: “दोनों घंटों बैठकर इन पाबंदियों से बच निकलने की तरकीबें सोचा करते थे।” तुम्हारे विचार से वे कौन कौन-सी तरकीबें सोचते होंगे?
उत्तर: वे निम्नलिखित तरकीबें सोचते होंगे:
- वे दोनों सोचते होंगे कि काश हमारे पास एक जादू की छड़ी आ जाती। इससे वे सबके मुँह में ताले लगा देते। इस तरह उनको कोई कुछ नहीं कहता।
- काश सबको अपना गुलाम बना लेते और स्वयं मज़े में रहते।
- काश वे किसी तरह सबसे बड़े हो जाते और बड़ों पर हुक्म चलाते।
प्रश्न: “दोनों घंटों बैठकर इन पाबंदियों से बच निकलने की तरकीबें सोचा करते थे।” कौन-सी तरकीब से उनकी इच्छा पूरी हो गई थी?
उत्तर: दोनों ने तरकीब निकाली की वह अब्बा के पास जाकर दरखास्त देगें कि उन्हें बड़ों के सारे अधिकार दे दिए जाएँ और सब बड़े छोटे बन जाएँ। उनकी यह तरकीब काम आई। उनके अब्बा ने एक दिन के लिए उनकी दरखास्त मान ली थी जिससे उनकी इच्छा पूरी हो गई थी।
प्रश्न: “दोनों घंटों बैठकर इन पाबंदियों से बच निकलने की तरकीबें सोचा करते थे।” क्या तुम उन दोनों को इस तरकीब से भी अच्छी तरकीब सुझा सकती हो?
उत्तर: मैं अपने परिवार के सामने अपनी समस्या रखती और उन्हें बताती की उनके व्यवहार से हमें बड़ी परेशानी होती है।
प्रश्न: “…. आज तो उनके सारे अधिकार छीने जा चुके हैं।” अम्मी के अधिकार किसने छीन लिए थे?
उत्तर: अम्मी के अधिकार आरिफ़ और सलीम ने छीन लिए थे।
प्रश्न: “…. आज तो उनके सारे अधिकार छीने जा चुके हैं।” क्या उन्हें अम्मी के अधिकार छीनने चाहिए थे?
उत्तर: आरिफ़ और सलीम को अम्मी के अधिकार नहीं छीनने चाहिए थे। उन्हें चाहिए था कि अब्बा और अम्मी के साथ बैठकर अपनी बात कहते और समस्या को सुलझाने का प्रयत्न करते।
प्रश्न: “…. आज तो उनके सारे अधिकार छीने जा चुके हैं।” उन्होंने अम्मी के कौन-कौन से अधिकार छीने होंगे?
उत्तर: आरिफ़ और सलीम ने माँ के ये अधिकार छीन लिए होगें:
- घर में अपने अनुसार खाना पकाने का अधिकार
- घर के हर छोटे-बड़े कामों को करवाने के अधिकार
- सहेलियों से बात करने का अधिकार
- दोपहर में सोने का अधिकार
एक दिन की बादशाहत – प्रश्न: “बादशाहत” क्या होती है? चर्चा करो।
उत्तर: यह शब्द “बादशाह” शब्द से बना है। पुराने समय में बादशाह (राजा) का हुक्म सबके लिए महत्वपूर्ण होता था। वह संपूर्ण प्रजा पर राज करता था। सब उससे डरते और उसका हुक्म मानते थे। बादशाह के इसी अधिकार को “बादशाहत” कहते हैँ।
प्रश्न: तुम्हारे विचार से इस कहानी का नाम “एक दिन की बादशाहत” क्यों रखा गया है? तुम भी अपने मन से सोचकर कहानी को कोई शीर्षक दो।
उत्तर: हमारे विचार से इस कहानी का नाम एक दिन की बादशाहत इसलिए रखा गया क्योंकि आरिफ़ और सलीम को सब बड़ों पर हुकुम चलाने का अधिकार मिला था। जिसके कारण उन्होंने सारे बड़ों को उनकी गलतियों का एहसास दिलाया। अत: इसका नाम “एक दिन की बादशाहत” पड़ा। इस कहानी के लिए अन्य शीर्षक यह भी हो सकता है “बड़ों को सबक”।
प्रश्न: कहानी में उस दिन बच्चों को सारे बड़ों वाले काम करने पड़े थे। ऐसे में कौन एक दिन का असली ‘बादशाह’ बन गया था?
उत्तर: इस कहानी में आरिफ़ और सलीम ने सारे बड़ों से काम करवाया था। उन्होंने बड़ों को छोटा बना दिया और स्वयं सारे बड़ों वाले काम किए। अत: इस कहानी में आरिफ़ और सलीम एक दिन के असली बादशाह बन गए थे।
प्रश्न: “रोज़ की तरह आज वह तर माल अपने लिए न रख सकती थी।” कहानी में किन-किन चीज़ों को तर माल कहा गया है॑?
उत्तर: कहानी में अंडे और मक्खन को तर माल कहा गया है॑।
प्रश्न: “रोज़ की तरह आज वह तर माल अपने लिए न रख सकती थी।” इन चीज़ों के अलावा और किन-किन चीज़ों को ‘तर माल’ कहा जा सकता है?
उत्तर: मीट, गाजर का हलवा, पूरी, मिठाइयाँ तथा इसी तरह के अनेक पकवानों को तर माल कहा जा सकता है।
प्रश्न: “रोज़ की तरह आज वह तर माल अपने लिए न रख सकती थी।” कुछ ऐसी चीज़ों के नाम भी बताओ, जो तुम्हें ‘तर माल’ नहीं लगतीं।
उत्तर: दाल, हल्की सब्जियाँ, दलिया, बिना घी की रोटी आदि।
प्रश्न: “रोज़ की तरह आज वह तर माल अपने लिए न रख सकती थी।” इन चीज़ों को तुम क्या नाम देना चाहोगी? सुझाओ।
उत्तर: इन चीज़ों को मैं “मरीज़ों का खाना” कहूँगी।
प्रश्न: “बिल्कुल इसी तरह तो वह आरिफ़ और सलीम से उनकी मनपसंद कमीज़ उतरवा कर निहायत बेकार कपड़े पहनने का हुक्म लगाया करती हैं।”
तुम्हें भी अपना कोई खास कपड़ा सबसे अच्छा लगता होगा। उस कपड़े के बारे में बताओ। वह तुम्हें सबसे अच्छा क्यों लगता है?
उत्तर: छात्र स्वयं कर सकते हैं। जैसे: मुझे रेशम की कमीज़ पसंद है। उसका कपड़ा और रंग मुझे अच्छा लगता है।
एक दिन की बादशाहत – प्रश्न: “बिल्कुल इसी तरह तो वह आरिफ़ और सलीम से उनकी मनपसंद कमीज़ उतरवा कर निहायत बेकार कपड़े पहनने का हुक्म लगाया करती हैं।”
कौन-कौन सी चीज़ें तुम्हें बिल्कुल बेकार लगती हैं?
- पहनने की चीज़ें ……………………………………
- खाने-पीने की चीज़ें ………………………………
- करने के काम ………………………………………
- खेल ………………………………………………….
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर भी छात्र स्वयं अपने अनुसार दे सकते हैं: उदाहरण के लिए।
- पहनने की चीज़ें: पुराने, ढीले, रंग उतरे और फटे कपड़े अच्छे नहीं लगते।
- खाने-पीने की चीज़ें: अधिक मीठी, मिर्ची वाली या खट्टी चीज़ें पसंद नहीं हैं।
- करने के काम: घर के काम, अधिक पढ़ना आदि।
- खेल: छात्र अपनी इच्छानुसार लिखें।
प्रश्न: (I) “इतनी भारी साड़ी क्यों पहनी?” यहाँ पर ‘भारी साड़ी’ से क्या मतलब है?
- साड़ी का वज़न ज़्यादा था।
- साड़ी पर बड़े-बड़े नमूने बने हुए थे।
- साड़ी पर बेल बूटों की कढ़ाई थी।
(II)
- भारी साड़ी
- भारी अटैची
- भारी काम
- भारी बारिश।
ऊपर ‘भारी’ विशेषण का चार अलग-अलग संज्ञाओं के साथ इस्तेमाल किया गया है। इन चारों में ‘भारी’ का अर्थ एक-सा नहीं है। इनमें क्या अंतर है?
(III) ‘भारी’ की तरह हल्का का भी अलग-अलग अर्थों में इस्तेमाल करो।
उत्तर:
(I) साड़ी पर बेल बूटों की कढ़ाई थी इसलिए उसे भारी साड़ी कहा गया है। इनके कारण भी साड़ी का वजन भारी हो जाता है।
(II)
- ‘भारी साड़ी’ में ‘भारी’ विशेषण शब्द अधिक मंहगी के लिए या अधिक कढ़ाई के कारण प्रयोग किया गया है।
- ‘भारी अटैची’ में ‘भारी’’ विशेषण शब्द वज़न के लिए प्रयोग किया गया है।
- ‘भारी काम’ में ‘भारी’ विशेषण शब्द बड़े काम के लिए प्रयोग किया गया है।
- ‘भारी बारिश’ में ‘भारी’ विशेषण शब्द तेज और अधिक वर्षा के लिए प्रयोग किया गया है।
(III) ‘हल्का’ शब्द का प्रयोग भी अलग-अलग अर्थों में इस प्रकार किया जा सकता है; जैसे: हल्का डिब्बा, हल्की बारिश, हल्का भोजन, हल्का बर्तन इत्यादि।