नादान दोस्त 6th Class NCERT CBSE Hindi Chapter 03
प्रश्न: चिड़ियाँ ने अंडे कहाँ दिए थे?
उत्तर: चिड़ियाँ ने केशव के घर के कार्निस के ऊपर अंडे दिए थे।
प्रश्न: केशव कार्निस तक कैसे पहुँचा?
उत्तर: केशव ने नहाने की चौकी के ऊपर स्टूल रखा और उसके ऊपर चढ़कर कार्निस तक पहुँचा।
प्रश्न: चिड़ियाँ ने कितने अंडे दिए थे?
उत्तर: चिड़ियाँ ने तीन अंडे दिए थे।
नादान दोस्त – प्रश्न: केशव ने श्यामा को अंडे क्यों नहीं दिखाया?
उत्तर: अंडे देखने के लिए श्यामा को स्टूल पर चढना पड़ता। केशव को डर था कि श्यामा कहीं गिर जाएगी तो हंगामा खड़ा हो जाएगा। इसलिए केशव ने उसे स्टूल पर चढने नहीं दिया और उसने अंडे नहीं दिखाए।
प्रश्न: श्यामा ने माँ से केशव की शिकायत नहीं की?
उत्तर: केशव से स्नेह के कारण श्यामा ने माँ से उसकी शिकायत नहीं की। इसका दूसरा कारण यह था कि इस गलती में वह खुद भी शामिल थी
प्रश्न: केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल क्यों उठते थे?
उत्तर: केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर अनेक प्रश्न उठते थे, अंडे कितने बडे होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होंगे? क्या खाते होंगे? उनमें से बच्चे किस तरह आएँगे? बच्चों के पर कैसे निकलेगे? घोंसला कैसा है? क्योंकि वे अंडो के बारे में जानना चाहते थे।
प्रश्न: अंडों के बारे में दोनों आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?
उत्तर: केशव और श्यामा दोनों आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे क्योंकि उनके प्रश्नों का उत्तर देनेवाला कोई नहीं था। न अम्मा को घर के काम-धंधों से फ़ुरसत थी न बाबू जी को पढने-लिखने से।
प्रश्न: अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि – ‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा।’ के जवाब में श्यामा ने क्या कहा और उसने ऐसा क्यों किया?
उत्तर: अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि – ‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा।’ के जवाब में श्यामा ने बताया कि केशव ने अंडों को छेडा था अम्माँ जी। क्योंकि उसे लगा केशव ने ही शायद अंडों को इस तरह रख दिया कि वह नीचे गिर पड़े। इसकी उसे सजा मिलनी चाहिए।
प्रश्न: पाठ के आधार पर बताओ कि अंडे गंदे क्यों हुए और उन अंडों का क्या हुआ?
उत्तर: केशव के छूने से चिड़िया के अंडे गंदे हो गए और इसलिए चिड़िया उन्हें नहीं सेती। चिड़िया अंडों को घोंसले से गिरा देती है। इस तरह अंडे बर्बाद हो जाते हैं।
नादान दोस्त – प्रश्न: सही उत्तर क्या है?
अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले क्योंकि:
- वे माँ की नींद नहीं तोड़ना चाहते थे।
- माँ नहीं चाहती थीं कि वे चिड़ियों की देखभाल करें।
- माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।
उत्तर: अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले क्योंकि माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।
प्रश्न: केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए किन तीन बातों का ध्यान रखा?
उत्तर: केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा:
- आराम के लिए कपड़ा बिछाया।
- धूप से बचाने के लिए टोकरी से ढक दिया।
- पास में दाना और पानी की प्याली भी रखी।
प्रश्न: कार्निस पर अंडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएँ आईं और उन्होंने चोरी-चुपके जो कुछ कार्य किए, क्या वे उचित थे? तर्क सहित उत्तर लिखो।
उत्तर: कार्निस पर अंडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएँ और उन्होंने चोरी-चुपके जो कुछ कार्य किए, वे उचित नहीं थे। परंतु उनकी बालसुलभ जिज्ञासाओं का उत्तर देने के लिए कोई नहीं था और उन्हें इस बात का भी ज्ञान नहीं था कि चिड़िया के अंडे को नहीं छूते। वह तो उसे सुख-सुविधाएँ देना चाहते थे। अगर उन्हें उचित मार्गदर्शन दिया होता तो वह ऐसा नहीं करतें।
प्रश्न: पाठ से मालूम करो कि माँ को हँसी क्यों आई? तुम्हारी समझ से माँ को क्या करना चाहिए था?
उत्तर: माँ को बच्चों की नादानी व अज्ञानता पर हँसी आ गई। माँ को बच्चों को अंडो के बारे में जानकारी देनी चाहिए थी।
प्रश्न: माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?
उत्तर: माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में चिड़िया के अंडो के लिए टोकरी और दाना-पानी रखने बाहर निकल आए।पिटाई के डर से, माँ पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण नहीं बताया।
प्रश्न: प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?
उत्तर: मैं इस कहानी में आई बचपन की नादानियों को देखते हुए इसका नाम ‘बचपन की नादानियाँ’ रखना चाहूँगा।
प्रश्न: अनजाने में हुई गलती पर केशव को कई दिनों तक अफ़सोस होता रहा। दोबारा उससे कोई ऐसी गलती न हो इसके लिए तुम उसे क्या सुझाव दे सकते हो, इसे लिखो।
उत्तर: केशव से दोबारा ऐसी गलती न हो इसके लिए मैं निम्नलिखित सुझाव देना चाहूँगा:
- अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करें।
- अगर उन्हें कुछ करने से रोका जा रहा है तो उसके पीछे की वजह समझने का प्रयास करें।
- अपनी नवीन योजनाओं की चर्चा अपने माता-पिता, शिक्षक से करें व उनकी राय जानने के प्रयास करें।
प्रश्न: केशव और श्यामा चिड़िया के अंडों को लेकर बहुत उत्सुक थे। क्या तुम्हें भी किसी नई चीज़, जगह या बात पर कौतूहल महसूस हुआ है? ऐसे किसी अनुभव का वर्णन करो और बताओ कि ऐसे में तुम्हारे मन में क्या-क्या सवाल उठे?
उत्तर: जब मैं पाँच साल का था हम पहली बार हवाईजहाज से दिल्ली नानी से मिलने जानेवाले थे तभी मुझे कौतूहल महसूस हुआ था। दूर आसमान में रोज देखने की चाह रहती थी उसी हवाईजहाज से मैं सफ़र करनेवाला था। मेरे मन में कई प्रश्न उभरते थे जैसे इतने छोटे हवाईजहाज में सब कैसे बैठेगे? हम सुरक्षित पहुँचेंगे या नहीं? या हवाईजहाज को थोड़ी देर आसमान में रोककर बाहर निकलकर तारे देख सकते है क्या?
प्रश्न: श्यामा माँ से बोली मैंने आपकी बातचीत सुन ली है।
ऊपर दिए उदाहरण में मैंने का प्रयोग ‘श्यामा’ के लिए और आपकी का प्रयोग ‘माँ’ के लिए हो रहा है। जब सर्वनाम का प्रयोग कहने वाले, सुनने वाले या किसी तीसरे के लिए हो, तो उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। नीचे दिए गए वाक्यों में तीनों प्रकार के पुरुषवाचक सर्वनामों के नीचे रेखा खींचो:
एक दिन दीपू और नीलु यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनद ले रहे थे? तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा “मैं भूख से मरा जा रहा हूँ? क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते है?”
उत्तर: एक दिन दीपू और नीलु यमुना तट पर बैठे शाम की ठडी हवा का आनद ले रहे थे? तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा “मैं भूख से मरा जा रहा हूँ? क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते है?”
उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम: मैं, मुझे
मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम: आप
अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम: उन्होंने, उनकी, उसने
प्रश्न: तगड़े बच्चे
मसालेदार सब्जी
बड़ा अंडा
इसमें रेखांकित शब्द क्रमश: बच्चे, सब्जी और अंडा की विशेषता यानी गुण बता रहे हैं इसलिए ऐसे विशेषणों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं। इसमें व्यकित या वस्तु के अच्छे-बुरे हर तरह के गुण आते हैं। तुम चार गुणवाचक विशेषण लिखो और उनसे वाक्य बनाओ।
उत्तर:
- सुंदर माला: नेहा के गले में सुंदर माला थी।
- लाल गुलाब: पूजा के लिए लाल गुलाब का हार बना दो।
- गरीब लड़की: लड़की ठंड से काँप रही थी।
- दयालु सेठ: सोहन की मदद एक दयालु सेठ ने की।
प्रश्न: नीचे कुछ प्रश्नवाचक वाक्य दिए गए हैं, उन्हें बिना प्रश्नवाचक वाक्य वे रूप में बदलो:
- अंडे कितने बडे होंगे?
- किस रंग के होंगे?
- कितने होगें?
- क्या खाते होंगे?
- उनमें से बच्चे किस तरह निकल आएँगे?
- बच्चों के पर कैसे निकलेंगे?
- घोंसला कैसा है?
उत्तर:
- अंडे बडे होंगे।
- उनका रंग बताओ।
- अंडो की संख्या बताओ।
- उनका खाना बताओ।
- उनमें से बच्चे निकलेंगे।
- बच्चों के पर निकलेंगे।
- घोंसला के विषय में बताओ।
नादान दोस्त – प्रश्न:
- केशव ने झुँझलाकर कहा…
- केशव रोनी सूरत बनाकर बोला…
- केशव घबराकर उठा…
- केशव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा…
- श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा…
ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो। ये शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण का काम कर रहे हैं क्योंकि ये बताते हैं कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कैसे हुई। ‘कर’ वाले शब्दों के क्रियाविशेषण होने की एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रियाविशेषणों का क्यों में प्रयोग करो।
उत्तर:
- झुँझलाकर – अमर ने गुस्से में खिलौने झुँझलाकर फेंक दिए।
- बनाकर – माँ ने मुझे मोतीचूर के लड्डू बनाकर दिए।
- घबराकर – राज अक्सर घबराकर झूठ बोल देता है।
- टिकाकर – लड़के ने अपने ठेले को दीवार से टिकाकर रख दिया।
- गिड़गिड़ाकर – मंदिर के एक भिखारी गिड़गिड़ाकर भीख माँग रहा था।
प्रश्न: नीचे प्रेमचंद की कहानी ‘सत्याग्रह’ का एक अंश दिया गया है। तुम इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम चिहों के बिना यह अंश अधूरा-सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जग़हों पर विराम चिन्ह लगाओ:
उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया 11 बज चुके थे चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था पंडित जी ने बुलाया खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ भूख लग आई न अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा आपका नहीं मोटेराम अबे क्या कहता है यहाँ क्या किसी साधू से कम हैं चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि ज़रा अपनी कुप्पी मुझे दे देखूँ तो वहाँ क्या रेंग रहा है मुझे भय होता है |
उत्तर: उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई सन्नाटा छा गया था। पंडित जी ने बुलाया-खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ? भूख लग आई न। अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है; हमारा आपका नहीं। मोटेराम! अबे क्या कह है? यहाँ क्या किसी साधू से कम हैं। चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे। तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि जरा अपनी कुप्पी मुझे दे। देखूँ तो वहाँ क्या रेंग रहा है? मुझे भय होता है।
प्रश्न: गर्मियों या सर्दियों में जब तुम्हारी लंबी छुट्टियाँ होती हैं, तो तुम्हारा दिन कैसे बीतता है? अपनी बुआ या किसी और एक पोस्टकार्ड या अंतर्देशीय पत्र लिखकर बताओ।
उत्तर:
16 बी, शिवलोक अपार्टमेंट
अशोक विहार,
दिल्ली।
22-07-2018
आदरणीय बुआ जी,
सादर प्रणाम।
मैं यहाँ कुशलपूर्वक रह कर भगवान से आपकी कुशलता की कामना करती हूँ। आजकल हमारे विद्यालय में गर्मी की छुट्टियाँ चल रही हैं। मेरा पुरा दिन घर पर ही बीतता है। गर्मी के लंबे दिन घर पर बिताने कठिन हो जाते हैं। मैं पूरा दिन खुद को व्यस्त रखने का प्रयास करती हूँ। सुबह माँ के कामों में हाथ बँटाती हूँ। दोपहर में छुट्टियों में मिले गृह कार्य को पूरा करने के बाद भी शाम को खाली समय बच जाता था इसलिए मैंने संगीत की कक्षा में जाना शुरू कर दिया है। जब आप आएँगी तो मैं आपको मधुर गीत सुनऊँगी।
शेष अगले पत्र में।
आपकी प्रिय भतीजी,
नेहा
प्रश्न: प्रेमचंद ने कथा का शीर्षक ‘नादान दोस्त’ क्यों रखा?
उत्तर: नादान दोस्त का अर्थ है: नासमझ साथी। केशव और श्याम चिड़ियाँ के ऐसे ही नासमझ साथी थे, जिनकी गलती के कारण चिड़ियाँ के अंडे नष्ट हो गए। चिड़ियों को अपना बसेरा छोड़कर जाना पड़ा। अंडों की रक्षा करने के प्रयास में उनके द्वारा की गई नादानी ने उनके नादाँ दोस्तों को परेशान में डाल दिया।
प्रश्न: अंडों की हिफाजत के लिए केशव और श्यामा ने क्या-क्या प्रयास किए?
उत्तर: अंडों की हिफाजत के लिए केशव और श्यामा ने उनके नीचे कपड़ों की गद्दी बिछा दिया। अंडों के ऊपर टोकरी को टहनी से दिका कर छाया कर दिया। उन दोनों ने प्याली में चिडियों के लिए दाना और पानी भी रखा।
प्रश्न: केशव किस बात से अनजान था?
उत्तर: केशव इस बात से अनजान था कि चिड़ियाँ के अंडे छुए नहीं जाते हैं। छूने से अंडे गंदे हो जाते हैं। चिड़ियाँ गंदे अंडों को फिर नहीं सेती है। इस तरह अंडे नष्ट हो जाते हैं। यदि केशव को यह बात पता होती तो वह अंडों की रक्षा का प्यास ही नहीं करता।
प्रश्न: अंडों का क्या हुआ? उन्हें देख केशव के चेहरे का रंग क्यों उड़ गया?
उत्तर: चिड़ियाँ ने अंडों को नहीं सेया और उन्हें नीचे गिराकर नष्ट कर दिया। उनमें से कोई चुने जैसी चीज बाहर निकल आई। उन्हें देखकर केशव समझ गया कि अब अंडों के रूप में चिड़ियाँ के बच्चे नष्ट हो गए हैं। उसकी सारी मेहनत बेकार हो गई है। उसे यह भी अहसास हुआ कि उसके कारण ही अंडों की वह दशा हुई। इस कारण उसके चेहरे का रंग उड़ गया।
प्रश्न: केशव को किस बात पर अफसोस होता रहा?
उत्तर: केशव ने अंडों की सुरक्षा और आराम के लिए बहुत मेहनत की थी। परंतु अनजाने में ही उसकी यह भलमनसाहत अंडों के लिए घातक सिद्ध हुई और अंडे नष्ट हो गए। उसकी नादानी के कारण चिडियों का घर उजड़ गया। केशव कई दिनों तक अपनी गलती पर अफसोस करता रहा।
बहुविकल्पीय प्रश्न – नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर विकल्पों से चुनकर दीजिए:
प्रश्न: चिड़ियाँ ने अंडे कहाँ दिए थे?
- छत पर
- कार्निस पर
- खिड़की पर
- पेड़ पर
नादान दोस्त – प्रश्न: केशव कार्निस पर कैसे पहुँचा?
- सीढ़ी से
- रस्सी से
- स्टूल से
- टेवल से
प्रश्न: चिड़ियाँ ने कितने अंडे दिए थे?
- एक
- दो
- तीन
- चार
प्रश्न: अंडों को धूप से बचाने के लिए केशव ने उसे किस चीज से ढँका?
- कपड़े से
- कागज से
- टोकरी से
- पत्तों से
प्रश्न: माँ केशव और श्यामा ने चिड़ियाँ के खाने के लिए क्या करती थीं?
- गेहूँ
- मक्का
- चावल
- जौ
प्रश्न: माँ बच्चों को घर से बाहर जाने से क्यों मना करती थीं?
- धूप के कारण
- ठंड के कारण
- बारिश के कारण
- अँधेरे के कारण
प्रश्न: माँ ने दोपहर में डाँट-डपटकर कमरे में बंद कर दिया। उस समय क्या हुआ था?
- तीन बजे
- एक बजे
- चार बजे
- दो बजे
प्रश्न: अचानक श्यामा की आँख कितने बजे खुली?
- चार बजे
- तीन बजे
- साढ़े तीन बजे
- साढ़े चार बजे
प्रश्न: टूटे अंडों से ____ जैसी कोई चीज बाहर निकली थी?
- पाउडर जैसी
- चुने जैसी
- कत्थे जैसी
- गाढे पीले पानी जैसी
नादान दोस्त – प्रश्न: केशव ने अंडों की हिफाजत करने के _____ में उनका सत्यानाश कर डाला।
- संयोग
- जोग
- प्रयोग
- उपयोग