वह चिड़िया जो 6th Class NCERT CBSE Hindi Chapter 01
वह चिड़िया जो – प्रश्न: कविता में कैसी चिड़ियाँ का वर्णन है?
उत्तर: कविता में नीले पंखों वाली एक छोटी-सी चिड़ियाँ का वर्णन है। यह चिड़ियाँ संतोषी है। थोड़े से अन्न के दाने इसके लिए पर्याप्त हैं। यह मुँहबोली है। एकांत में भी उमंग से गाती है। यह गर्वीली भी है। अपने साहस और हिम्मत पर इसे गर्व है।
प्रश्न: चिड़ियाँ को किससे प्यार है और क्यों?
उत्तर: चिड़ियाँ को अन्न से प्यार है। वह दुधिया एवं अधपके जुंडी के दाने बड़े मन से खाती है। उसे विजन से प्यार है। एकांत वन में वह बड़े उमंग से मधुर स्वर मैं गाती है। चिडिया को नदी से भी प्यार है। वह नदी की बीच धारा से जल की बूंदें अपनी चोंच में लेकर उड़ जाती है।
प्रश्न: चिडया अपना जीवन कैसे जीती है?
उत्तर: चिड़िया अपना जीवन प्रेम, उमंग और संतोष से जीती है। वह सबसे प्रेम करती है। एकांत में भी उमंग से रहती है। थोड़े में ही संतोष करती है। वह गाते और उड़ते हुए अपना पूरा जीवन जीती है।
प्रश्न: चिड़िया के गायन की क्या विशेषता है?
उत्तर: चिड़िया कंठ खोलकर और रस ऊँड़ेकर गाती है, अर्थात् वह तेज और मधुर स्वर में गाती है। उसके गाने वातावरण में रस घोल देते हैं। वह अपने सभी गीत बूढ़े वन बाबा को समर्पित करती है।
प्रश्न: तुम्हें कविता को कोई और शीर्षक देना हो तो क्या शीर्षक देना चाहोगे? उपयुक्त शीर्षक सोच कर लिखो।
उत्तर: मैं इस कविता को ‘नीले पंखों वाली चिड़िया’ शीर्षक दूँगी।
प्रश्न: इस कविता के आधार पर बताओ कि चिड़िया को किन-किन चीज़ों से प्यार है?
उत्तर: चिड़िया को खेतों में लगे जौ-बाजरे की फलियों से, जंगल से और जिस नदी से वह ठंडा और मीठे पानी पीती है उससे प्यार है।
वह चिड़िया जो – प्रश्न: आशय स्पष्ट करो – रस उँडेल कर गा लेती है
उत्तर: इस पंक्ति का आशय यह है कि चिड़िया खुश होकर गाने लगती है। उसके गाने में माधुर्य है। ऐसा लगता है जैसे उसने जैसे वातावरण में रस उंडेल कर उसे रसमय कर दिया है।
प्रश्न: आशय स्पष्ट करो – चढ़ी नदी का दिल टटोलकर जल का मोती ले जाती है
उत्तर: इस पंक्ति का आशय है कि चिड़िया ऐसे ही नदी से जल-कण लेकर अपनी प्यास नहीं बुझाती। वह पहले उफनती हुई नदी का मन टटोलती है और उसकी इच्छा का भी ध्यान रखती है। अंत में अपनी कार्य कुशलता से जल के बीच स्थित मोती को ढूँढ लेती है।
प्रश्न: नीचे पक्षियों के कुछ नाम दिए गए हैं। उनमें यदि कोई पक्षी एक से अधिक रंग का है तो लिखो कि उसके किस हिस्से का रंग कैसा है? जैसे तोते की चोंच लाल है, शरीर हरा है।
मैना, कौआ, बतख, कबूतर
उत्तर:
मैना: हल्के काले रंग की होती है।
कौआ: काले रंग का होता है। इसके पंख कहीं-कहीं गहरे व कहीं-कहीं हल्के काले होते है।
बतख: बतख की चोंच व पाँव हल्के पीले रंग के होते हैं व पूरा शरीर सफ़ेद पंखों से ढका होता है।
कबूतर: कबूतर सलेटी रंग का होता है। उसकी आँखे लाल व पाव गुलाबी रंग के होते हैं। उसकी गर्दन पर हल्का काला व सतरंगी रंग की झलक देखने मिलती है।
प्रश्न: कविता का हर बंध ‘वह चिड़िया जो’ से शुरू होता है और ‘मुझे… बहुत प्यार है’ पर खत्म होता है। तुम भी दी गईं इन पंक्तियों का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से कविता में कुछ नए बंध जोड़ो।
उत्तर: वह चिड़िया जो गाती:
मुझे उड़ना बेशुमार है
देखना हर एक गाँव है
बनाने मित्र हजार है
मुझे जीवन से बहुत प्यार है।
प्रश्न: तुम भी ऐसी कल्पना कर सकते हो कि ‘वह फूल का पौधा जो – पीली पंखुड़ियों वाला – महक रहा है – मैं हूँ। उसकी विशेशताएँ मुझ में हैं…।’ फूलों के बदले वह कोई दूसरी चीज भी हो सकती है जिसकी विशेषताओं की गिनाते हुए तुम उसी चीज से अपनी समानता बता सकते हो …. ऐसी कल्पना के आधार पर कुछ पंक्तियाँ लिखों।
उत्तर:
हवा में झूलता
आँगन में खड़ा मुस्करा रहा है
खुश्बू अपनी फैला रहा है
पीली पंखुड़ियों वाला पौधा मैं हूँ
मुझे हवा से बहुत प्यार है।
खिलता-मुरझाता
पर खुशबु से नाता सदा निभाता है
मुरझाने पर भी सुगंध ही देता
पीली पंखुड़ियों वाला वह पौधा मैं हूँ
मुझे महक से बहुत प्यार है।
प्रश्न:
पंखों वाली चिड़िया
ऊपर वाली दराज
नीले पंखों वाली चिड़िया
सबसे ऊपर वाली दराज
यहाँ रेखांकित शब्द विशेषण का काम कर रहे हैं। अगले पृष्ठ पर ‘वाला / वाली’ जोड़कर बनने वाले कुछ और विशेषण दिए गए हैं। ऊपर दिए गए उदाहरणों की तरह इनके आगे एक-एक विशेषण और जोड़ो –
…….. मोरों वाला बाग
…….. पेडों वाला घर
…….. फूलों वाली क्यारी
…….. खादी वाला कुर्ता
…….. रोने वाला बच्चा
…….. मूँछों वाला आदमी
उत्तर:
मनोहर मोरों वाला बाग
हरे-भरे पेडों वाला घर
गुलाबी फूलों वाली क्यारी
सफ़ेद खादी वाला कुर्ता
बिलख-बिलखकर रोने वाला बच्चा
बड़ी मूँछों वाला आदमी
प्रश्न:
वह चिड़िया …….. जुंडी के दाने रुचि से…….. खा लेती है।
वह चिड़िया …….. रस उँडेल कर गा लेती है।
कविता की इन पंक्तियों में मोटे छापे वाले शब्दों को ध्यान से पढ़ो। पहले वाक्य में ‘रुचि से’ खाने के ढंग की और दूसरे वाक्य में ‘रस उँडेल कर’ गाने के ढंगकी विशेषता बता रहे हैं। अत: ये दोनों क्रिया-विशेषण हैं। नीचे दिए वाक्यों कार्य के ढंग या रीति से संबंधित क्रिया-विशेषण छाँटो:
- सोनाली जल्दी-जल्दी मुँह में लड्डू ठूँसने लगी।
- गेंद लुढ़कती हुई झाड़ियों में चली गई।
- भूकंप के बाद जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा।
- कोई सफ़ेद-सी चीज धप्प से आँगन में गिरी।
- टॉमी फुर्ती से चोर पर झपटा।
- तेजिंदर सहमकर कोने में बैठ गया।
- आज अचानक ठंड बढ़ गई है।
उत्तर:
- सोनाली जल्दी-जल्दी मुँह में लड्डू ठूँसने लगी।
- गेंद लुढ़कती हुई झाड़ियों में चली गई।
- भूकंप के बाद जनजीवन धीरे- धीरे सामान्य होने लगा।
- कोई सफ़ेद-सी चीज धप्प से आँगन में गिरी।
- टॉमी फुर्ती से चोर पर झपटा।
- तेजिंदर सहमकर कोने में बैठ गया।
- आज अचानक ठंड बढ़ गई है।
प्रश्न: चिड़ियाँ के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर: चिड़िया के माध्यम से कवि खुशी से जीने का संदेश देता है। कवि कहना चाहता है कि हमें थोड़े में ही संतोष करना सीखना चाहिए। अधिक की लालसा नहीं रखनी चाहिए। इस कविता में अकेले रह कर भी उमंग से जीने का संदेश दिया गया है। इसके साथ ही कवि हमें बताते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी हमें साहस नहीं खोना चाहिए। हमें अपनी क्षमता को भी पहचानना चाहिए।
बहुविकल्पीय प्रश्न:
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर विकल्पों से चुनकर दीजिए:
प्रश्न: चिड़ियाँ के पंख कैसे हैं?
- नीले
- पीले
- हरे
- काले
प्रश्न: चिड़िया कौन-से मोती ले जाती है?
- सीप के
- सुनार के
- जल के
- आकाश के
प्रश्न: चिड़ियाँ किसका दिल टटोलती है?
- वन
- नदी
- अन्न
- इंसान
प्रश्न: कविता के रचयिता कौन है?
- माखन लाल चतुर्वेदी
- भवानी प्रसाद मिश्र
- केदारनाथ अग्रवाल
- कपिल अग्रवाल
प्रश्न: यह कविता चिड़िया के माध्यम से क्या सीख देती है?
- प्रेम और उमंग से जीने की
- खुशी और तरंग से जीने की
- गमगीन रहने की
- शिकायत करने की।
प्रश्न: चिड़ियाँ किसके दाने खाती है?
- गेंहूँ के
- चावल के
- जुंडी के
- मक्के के
प्रश्न: दाने किससे भरे हुए हैं?
- दूध से
- पानी से
- शहद से
- रस से
प्रश्न: चिड़ियाँ का स्वभाव कैसा है?
- अभिलाषी
- संतोषी
- महत्वाकांक्षी
- कुंठित
प्रश्न: चिड़ियाँ का गीत कैसा है?
- मधुर
- कर्कश
- ऊबाऊ
- नीरस
प्रश्न: चिड़ियाँ कैसे गाती है?
- धीरे-धीरे
- मंद स्वर में
- कंठ खोलकर
- तेज स्वर में
वह चिड़िया जो कविता
वह चिड़िया जो –
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।
व्याख्या: प्रस्तुत कविता में कवि ने नीले पंखों वाली चिड़ियाँ के बारे में बताया है। चिड़िया जुंडी के दाने जिसमें दूध भरे हुए है, उसे बहुत ही रूचि से खाती है। उसे जो कुछ मिलता है, उसी में संतोष कर लेती है। नीले पंखों वाली चिड़ियाँ कहती है कि उसे अन्न से बहुत प्यार है।
वह चिड़िया जो –
कंठ खोल कर
बूढ़े वन-बाबा के खातिर
रस उँडेल कर गा लेती है
वह छोटी मुँह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्यार है।
व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि केदारनाथ अग्रवाल जी ने नीले पंखों वाली चिड़ियाँ के गायक रूप का वर्णन किया है। वह बूढ़े वन अर्थात बरगद पर बैठकर अपना मधुर गीत गाती है। वह इन गीतों में रस उड़ेल देती है। वह नीले पंखों वाली छोटे मुंह की चिड़िया है, जो एकांत में भी उमंग भरी विजन से बहुत प्यार करती है।
वह चिड़िया जो –
चोंच मार कर
चढ़ी नदी का दिल टटोल कर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी गरबीली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे नदी से बहुत प्यार है।
व्याख्या: प्रस्तुत पन्क्तियों में कवि ने नीले पंखों वाली एक ऐसी चिड़िया का वर्णन किया है, जो उफनती नदी के बीचों बीच जाकर जल के मोती सी बूंदों को चोंच में भर लेती है। चिड़िया को स्वयं पर बहुत ही गर्व रहता है। नीले पंखों वाली चिड़ियाँ को नदी से बहुत प्यार रहता है।
वह चिड़िया जो कविता का सारांश
वह चिड़िया जो कविता कवि केदारनाथ अग्रवाल जी की प्रसिद्ध कविता है। इसमें आपने नीले पंखों वाली चिड़िया के स्वभाव के बारे में बताया है। वह संतोषी है, अन्न से बहुत प्यार करती है, वह अपनेपन के साथ कंठ खोलकर पुराने घने वन में बेरोक गाती है, मुंहबोली है, एकांत में भी उमंग से रहती है। वह उफनती नदी के विषय में जानकार भी जल के मोती सी बूंदों को चोंच में भर लाती है। उसे स्वयं पर गर्व है। वह साहसी है। उसे नदी से लगाव है। कवि ने अपने भीतर की कल्पित चिड़ियाँ के माध्यम से मनुष्य के महत्वपूर्ण गुणों को उजागर किया है।