चंद्र गहना से लौटती बेर 9th Class (CBSE) Hindi क्षितिज
प्रश्न: कवि कहाँ से लौटा है? वह खेत की मेड़ पर क्यों बैठ गया?
उत्तर: कवि चंद्रगहना से लौटा है। वह खेत की मेड़ पर इसलिए बैठ गया ताकि वहाँ बैठकर आस-पास फैले प्राकृतिक सौंदर्य को जी भर निहार सके, प्रकृति का सान्निध्य पा सके और उसके सौंदर्य का आनंद उठा सके।
प्रश्न: कवि को ऐसा क्यों लगता है कि चना विवाह में जाने के लिए तैयार खड़ा है?
उत्तर: चने का पौधा हरे रंग का ठिगना-सा है। उसकी ऊँचाई एक बीते के बराबर होगी। उस पर गुलाबी फूल आ गए हैं। इन फूलों को देखकर प्रतीत होता है कि उसने गुलाबी रंग की पगड़ी बाँध रखी है। उसकी ऐसी सज-धज देखकर कवि को लगता है कि वह विवाह में जाने के लिए तैयार खड़ा है।
प्रश्न: ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में किसने किस उद्देश्य से हाथ पीले कर लिए हैं?
उत्तर: ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में सरसों सबसे सयानी हो चुकी है। सयानी होने से वह विवाह की वय प्राप्त कर चुकी है। उसने विवाह करने के लिए अपने हाथों में हल्दी लगाकर हाथ पीले कर लिए हैं।
प्रश्न: पत्थर कहाँ पड़े हुए हैं? वे क्या कर रहे हैं? ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता के आधार पर लिखिए?
उत्तर: पत्थर तालाब के किनारे पड़े हैं जिन्हें पानी स्पर्श कर रहा है। ऐसा लगता है कि पत्थर अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी पी रहे हैं। वे पता नहीं कब से पानी पी रहे हैं फिर भी उनकी प्यास नहीं बुझ रही है।
प्रश्न: ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में किस चिड़िया का वर्णन है? यह चिड़िया किसका प्रतीक हो सकती है?
उत्तर: ‘चंद्र गहना से लौटी बेर’ कविता में काले माथ वाली उस चिड़िया का वर्णन है जिसकी चोंच पीली और पंख सफ़ेद है। वह जल की सतह से काफ़ी ऊँचाई पर उड़ती है और मछली देखते ही झपट्टा मारती है। उसे चोंच में दबाकर आकाश में उड़ जाती है। यह चिड़िया किसी शोषण करने वाले व्यक्ति का प्रतीक है।
प्रश्न: ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में वर्णित अलसी को किस रूप में प्रस्तुत किया गया है और क्यों?
उत्तर: ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में वर्णित अलसी को प्रेमातुर नायिकी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसका कारण यह है कि अलसी जिद पूर्वक चने के पास उग आई है। उसकी कमर लचीली औश्र देह पतली है। वह अपने शीश पर नीले फूल रखकर कहती है कि जो उसे छुएगा, उसको वह अपने हृदय का दान दे देगी।
प्रश्न: ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता के आधार पर रीवा के पेड़ों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में वर्णित रीवा के पेड़ चित्रकूट की पहाड़ियों पर स्थित हैं। ये पेड़ काँटेदार तथा कुरूप हैं। इनकी पत्तियाँ छोटी-छोटी तथा भूरी हैं। इनके नीचे बैठकर छाया का आनंद भी नहीं लिया जा सकता है।
प्रश्न: ‘मन होता है उड़ जाऊँ मैं’ – कौन, कहाँ उड़ जाना चाहता है और क्यों?
उत्तर: ‘मन होता है उड जाऊँ मैं’ में कवि हरे धान के खेतों में उड जाना चाहता है जहाँ सारस की जोड़ी रहती है। यह जोडी एक दूसरे से अपनी प्रेम कहानी कहती है। कवि इस सच्ची प्रेम कहानी को चुपचाप सुनना चाहता है, इसलिए उसका मन उड़ जाने के लिए उत्सुक है।
प्रश्न: ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता के आधार पर बताइए कि भूरी घास कहाँ उगी है? वह क्या कर रही है?
उत्तर: ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में भूरी घास तालब की तली में उगी है। हवा चलने से पानी में हलचल हो रही है। और पानी लहरा रहा है। इसका असर भूरी घास पर पड़ रहा है। इससे भूरी घास भी लहरा रही है।
प्रश्न: ‘मैं यहाँ स्वच्छंद हूँ’ – कवि ने ऐसा क्यों कहा है? ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: ‘मैं यहाँ स्वच्छंद हूँ’ – कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि इस समय उसके पास कोई आवश्यक काम नहीं है। इसके अलावा उसे आवश्यक कार्यवश कहीं आना-जाना भी नहीं है। वह प्राकृतिक सौंदर्य को देखने और उनका आनंद उठाने के लिए स्वतंत्र है।
प्रश्न: ‘इस विजन में ……… अधिक है’ – पंक्तियों में नगरीय संस्कृति के प्रति कवि का क्या आक्रोश है और क्यों?
उत्तर: इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने नगर के मतलबी रिश्तों पर प्रहार करते हुए कहा है कि यहाँ शहर जैसा स्वार्थ नहीं है। यहाँ के लोगों के बीच एक दूसरे के प्रति सच्चा प्रेम है, सच्ची सहानुभूति है। गाँव से विपरीत शहर के लोगों में स्वार्थी प्रवृति अधिक देखने को मिलती है, यहाँ से मनुष्यों का आपसी प्रेम व्यवहार लुप्त होता जा रहा है। इसलिए कवि ने नगरीय संस्कृति के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त किया है।
प्रश्न: सरसों को ‘सयानी’ कहकर कवि क्या कहना चाहता होगा?
उत्तर: यहाँ सरसों के ‘सयानी’ होने का तात्पर्य उसकी फसल के पक जाने से है। अर्थात्, सरसों की फसल अब परिपक्व होकर कटने को तैयार है।
प्रश्न: अलसी के मनोभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: कवि ने अलसी को एक सुंदर नायिका के रुप में चित्रित किया है। उसका चित्त अत्यंत चंचल है। वह अपने प्रियतम से मिलने को आतुर है तथा प्रथम स्पर्श करने वाले को हृदय से अपना स्वामी मानने के लिए तत्पर है।
प्रश्न: अलसी के लिए ‘हठीली’ विशेषण का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर: कवि ने ‘अलसी’ के लिए ‘हठीली’ विशेषण का प्रयोग करके उसके चरित्र पर प्रकाश डाला है। क्योंकि वह चने के पौधों के बीच इस प्रकार उग आई है मानों ज़बरदस्ती वह सबको अपने अस्तित्व का परिचय देना चाहती है। उसके सर पर उगे हुए नीले फूल उसकी इस हठीली प्रवृति को परिभाषित करते प्रतीत होते हैं।
प्रश्न: ‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’ में कवि की किस सूक्ष्म कल्पना का आभास मिलता है?
उत्तर: ‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’ से कवि का तात्पर्य नगर के सुख-सुविधा तथा स्वार्थपूर्ण जीवन से है, जिसे पाकर भी लोगों की इच्छाएँ खत्म नहीं होती हैं।
चाँदी के बड़े खंभे के माध्यम से कवि ने मानव प्रवृति का अत्यंत सूक्ष्म वर्णन किया है।
प्रश्न: कविता के आधार पर ‘हरे चने’ का सौंदर्य अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।
उत्तर: कवि ने यहाँ चने के पौधों का मानवीकरण किया है। चने का पौधा बहुत छोटा-सा है। उसके सिर पर फूला हुआ गुलाबी रंग का फूल ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो वह अपने सिर पर गुलाबी रंग की पगड़ी बाँधकर, सज-धज कर स्वयंवर के लिए खड़ा हो।
प्रश्न: कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ-कहाँ किया है?
उत्तर: कविता की कुछ पंक्तियों में कवि ने प्रकृति का मानवीकरण किया है; जैसे:
- यह हरा ठिगना चना, बाँधे मुरैठा शीश पर
छोटे गुलाबी फूल का, सज कर खड़ा है।
यहाँ हरे चने के पौधे का छोटे कद के मनुष्य, जो कि गुलाबी रंग की पगड़ी बाँधे खड़ा है, के रुप में मानवीकरण किया गया है। - पास ही मिल कर उगी है, बीच में अलसी हठीली।
देह की पतली, कमर की है लचीली,
नील फूले फूल को सिर पर चढ़ाकर
कह रही है, जो छुए यह दूँ हृदय का दान उसको।
यहाँ अलसी के पौधे को हठीली तथा रमणीय स्त्री के रुप में प्रस्तुत किया गया है। अत: यहाँ अलसी के पौधे का मानवीकरण किया गया है। - और सरसों की न पूछो-हो गई सबसे सयानी, हाथ पीले कर लिए हैं,
ब्याह-मंडप में पधारी।
यहाँ सरसों के पौधें को एक नायिका के रुप में प्रस्तुत किया गया है, जिसका ब्याह होने वाला है। - हैं कई पत्थर किनारे, पी रहे चुपचाप पानी
यहाँ पत्थर जैसे निर्जीव वस्तु को भी मानवीकरण के द्वारा जीवित प्राणी के रुप में प्रस्तुत किया गया है।
प्रश्न: कविता में से उन पंक्तियों को ढूँढ़िए जिनमें निम्नलिखित भाव व्यंजित हो रहा है:
और चारों तरफ़ सूखी और उजाड़ ज़मीन है लेकिन वहाँ भी तोते का मधुर स्वर मन को स्पंदित कर रहा है।
उत्तर: दूर दिशाओं तक फैली हैं।
बाँझ भूमि पर
इधर–उधर रींवा के पेड़
काँटेदार कुरुप खड़े हैं
सुन पड़ता है
मीठा–मीठा रस टपकाता
सुग्गे का स्वर
टें टें टें टें;
इन पंक्तियों से उल्लेखित भाव व्यंजित होते हैं।
प्रश्न: ‘और सरसों की न पूछो’ – इस उक्ति में बात को कहने का एक खास अंदाज़ है। हम इस प्रकार की शैली का प्रयोग कब और क्यों करते हैं?
उत्तर: एक वस्तु की बात करते हुए दूसरे वस्तु के बारे में बताने के लिए हम इस शैली का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार की शैली का प्रयोग वस्तु की विशेषताओं पर ध्यान केन्द्रित करने तथा बात में रोचकता बनाए रखने के लिए किया जाता है।
प्रश्न: काले माथे आरै सफ़ेद पंखों वाली चिड़िया आपकी दृष्टि में किस प्रकार के व्यक्तित्व का प्रतीक हो सकती है?
उत्तर: यहाँ काले माथे और सफ़ेद पंखों वाली चिड़िया दोहरे व्यक्तित्व का प्रतीक है। वे लोग जो ऊपर से समाज के शुभचिंतक बने फिरते हैं तथा अंदर ही अंदर समाज का शोषण कर अपना उल्लू सीधा करते हैं, ऐसे समाज सुधारकों का वास्तविक रुप कवि ने चिड़िया के उदाहरण द्वारा स्पष्ट करने की कोशिश की है।
प्रश्न: बीते के बराबर, ठिगना, मुरैठा आदि सामान्य बोलचाल के शब्द हैं, लेकिन कविता में इन्हीं से सौंदर्य उभरा है और कविता सहज बन पड़ी है। कविता में आए ऐसे ही अन्य शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर: कविता में प्रयुक्त सहज शब्द:
- भेड़
- ब्याह
- पोखर
- चकमकाता
- चट दबाकर
- बाँझ
- सुग्गा
- चुप्पे-चुप्पे
प्रश्न: कविता को पढ़ते समय कुछ मुहावरे मानस-पटल पर उभर आते हैं, उन्हें लिखिए और अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
उत्तर: कविता में प्रयुक्त मुहावरें:
- सिर पर चढ़ाना – (अधिक लाड़-प्यार करना) ज़रुरत से अधिक प्यार करने से उसका बेटा उसके सिर चढ़ गया है।
- हृदय का दान – (अधिक मूल्यवान वस्तु किसी को दे देना) बेटी को विदा करते समय उसे ऐसा लग रहा था मानो उसने अपने हृदय का दान कर दिया हो।
- हाथ पीले करना – (शादी करना) बेटी के बड़े हो जाने के बाद तुम्हें भी अब उसके हाथ पीले कर देने चाहिए।
- पैरों के तले – (छोटी वस्तु) पूँजीपति वर्ग समाज के लोगों को अपने पैरों के तले रखते हैं।
- प्यास न बुझना – (संतुष्ट न होना) इतना धन होने के बाद भी अभी तक उसकी धन की प्यास नहीं बुझी।
- टूट पड़ना – (हमला करना) शत्रु को आते देख सैनिक उन पर टूट पड़े।
प्रश्न: ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता में सारस का स्वर कवि को कैसा प्रतीत होता है? इसे सुनकर उसके मन में क्या इच्छा होती है?
उत्तर: ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता में कवि को सारस का स्वर उठता-गिरता अर्थात् कभी धीमा तथा कभी तेज़ सुनाई देता है। उसके कानों को यह स्वर अच्छा लगता है। इससे उसके मन में यह इच्छा होती है कि वह भी सारस के साथ पंख फैलाकर कहीं दूर उड़ जाए। जहाँ सारस की जुगुल जोड़ी रहती है।
प्रश्न: ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता के उस दृश्य का वर्णन कीजिए जिसे कवि देख रहा है?
उत्तर: ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता में कवि खेत की मेड़ पर बैठा है। उसके पास ही चना, अलसी और सरसों उगी है। चना, अलसी और सरसों पर फूला आ गए हैं। वातावरण शांत तथा मनोहर है। उसके पैरों के पास ही तालाब है जिसमें सूरज का प्रतिबिंब उसकी आँखों को चौंधिया रहा है। तालाब में अपनी टाँग डुबोए बगुला ध्यान मग्न खड़ा है। वह मछलियाँ देखते ही ध्यान त्याग देता है। तालाब के पास ही काले माथे वाली चिड़िया उड़ रही है जो मौका देखकर मछलियों का शिकार कर लेती है। कुछ ही दूर पर दूर-दूर तक फैली चित्रकूट की पहाड़ियाँ हैं जिन पर रीवा के काँटेदार पेड़ उगे हैं।
प्रश्न: ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता ने साधारण-सी वस्तुओं में भी अपनी कल्पना से अद्भुत सौंदर्य का दर्शन किया है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता के कवि की दृष्टि अत्यंत पारखी, सूक्ष्म अन्वेषण करने वाली है जिसमें कल्पनाशीलता समाई है। इसी कल्पना शीलता के कारण वह चने के पौधे को सजे-धजे दूल्हे के रूप में, अलसी को हेठीली, प्रेमातुर नायिका के रूप में तथा फूली सरसों को देखकर स्वयंवर स्थल पर पधारी विवाह योग्य कन्या का रूप सौंदर्य देखती है। जिसके हाथों में मेहंदी लगी है। वह प्रकृति को स्वयंवर-स्थल के रूप में देखता है। कवि को तालाब में सूर्य के प्रतिबिंब में चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा नजर आता है तो किनारे पड़े पत्थरों को पानी पीते हुए देखता है। इस तरह कवि साधारणसी वस्तुओं में अद्भुत सौंदर्य के दर्शन करता है।
9th Class (CBSE) Hindi क्षितिज
गद्य – खंड
- Chapter 01: दो बैलों की कथा
- Chapter 02: ल्हासा की ओर
- Chapter 03: उपभोक्तावाद की संस्कृति
- Chapter 04: साँवले सपनों की याद
- Chapter 05: नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
- Chapter 06: प्रेमचंद के फटे जूते
- Chapter 07: मेरे बचपन के दिन
- Chapter 08: एक कुत्ता और एक मैना
काव्य – खंड
- Chapter 09: साखियाँ एवं सबद
- Chapter 10: वाख
- Chapter 11: सवैये
- Chapter 12: कैदी और कोकिला
- Chapter 13: ग्राम श्री
- Chapter 14: चंद्र गहना से लौटती बेर
- Chapter 15: मेघ आए
- Chapter 16: यमराज की दिशा
- Chapter 17: बच्चे काम पर जा रहे हैं