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9th Hindi NCERT CBSE Books

दिये जल उठे 9th Class (CBSE) Hindi Sanchayan Chapter 06

दिये जल उठे Page [2] 9th Class (CBSE) Hindi Sanchayan

प्रश्न: सरदार पटेल की गिरफ्तारी पर देश में क्या-क्या प्रतिक्रिया हुई ?

उत्तर: रास में मजिस्ट्रेट द्वारा निषेधाज्ञा लगवाकर गिरफ्तार करवाने से देश में अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ हुईं। मदनमोहन मालवीय ने केंद्रीय असेंबली में प्रस्ताव पेश किया, जिसमें पटेल पर मुकदमा चलाए बिना जेल भेज देने की निंदा की गई। इसी प्रस्ताव के संबंध में मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि सरदार बल्लभ भाई की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर है। गांधी जी भी पटेल की इस तरह की गिरफ्तारी से बहुत क्षुब्ध थे।

प्रश्न: महिसागर के दूसरे तट की स्थिति कैसी थी? ‘दिये जल उठे’ पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर: महिसागर के दूसरे तट की स्थिति भी पहले तट के जैसी ही थी। यहाँ की जमीन भी दलदली और कीचडयुक्त थी। यहाँ भी गांधी जी को करीब डेढ़ किलोमीटर तक पानी और कीचड़ में चलकर किनारे पहुँचना पड़ा। यहाँ भी गांधी जी के विश्राम के लिए झोपड़ी पहले से तैयार कर दी गई थी।

प्रश्न: गांधी जी के प्रति ब्रिटिश हुक्मरान किस तरह की राय रखते थे?

उत्तर: गांधी जी के प्रति ब्रिटिश हुक्मरान दो प्रकार की राय रखते थे। इनमें से एक वर्ग को ऐसा लगता था कि गांधी जी अचानक नमक बनाकर कानून तोड़ देंगे, जबकि गांधी जी को निकट से जानने वाले अधिकारी इस बात से सहमत न थे। उनका मानना था कि गांधी जी इस तरह कोई काम चुपके से नहीं करेंगे।

प्रश्न: कनकापुरा में गांधी जी की सभा के बाद आगे की यात्रा में परिवर्तन क्यों कर दिया गया?

उत्तर: कनकापुरा में गांधी जी की सभा के बाद आगे की यात्रा में इसलिए परिवर्तन कर दिया गया क्योंकि नदी में आधी रात के समय समुद्र का पानी चढ़ आता था। इससे कीचड़ और दलदल में कम चलना पड़ता। इसके विपरीत नदी में पानी कम होने पर नाव तक पहुँचने के लिए ज्यादा दूरी कीचड़ और दलदल में तय करनी पड़ती।

प्रश्न: महिसागर नदी का किनारा उस दिन अन्य दिनों से किस तरह भिन्न था? इस अद्भुत दृश्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर: गांधीजी और अन्य सत्याग्रही पानी चढ़ने का इंतजार कर रहे थे। रात बारह बजे महिसागर नदी का किनारा भर गया, गांधीजी झोपड़ी से बाहर आए और घुटनों तक पानी में चलकर नाव तक पहुँचे। इसी बीच महात्मागांधी की जय, नेहरु जी की जय, सरदार पटेल की जय के नारों के बीच नाव रवाना हुई । इसे रघुनाथ काका चला रहे थे। कुछ ही देर में नदी के दूसरे किनारे से भी ऐसी ही आवाज़ गूंजने लगी।

प्रश्न: कनकापुरा की जनसभा में गांधी जी ने अंग्रेज़ सरकार के बारे में क्या कहा?

उत्तर: कनकापुरा की जनसभा में गांधी जी ने अंग्रेज़ सरकार और उसके कुशासन के बारे में यह कहा कि इस राज में रंक से राजा तक सभी दुखी हैं। राजे-महाराजे भी उसी तरह नाचने को तैयार हैं, जैसे सरकार नचाती है। यह राक्षसी राज है। इसका संहार करना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न: अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं और किन मानवीय मूल्यों के कारण गांधी जी देशभर में लोकप्रिय हो गए थे?

उत्तर: गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। वे झूठ एवं छल का सहारा लेकर कोई काम नहीं करते थे। उनकी इस चारित्रिक विशेषता को भारतीय ही नहीं अंग्रेज़ भी समझते थे। इसके अलावा गांधी जी अपने आराम के लिए दूसरों को कष्ट नहीं देना चाहते थे। स्वाधीनता की लड़ाई को वे धार्मिक कार्य मानकर निष्ठा, लगन, ईमानदारी से कर रहे थे। उनके उदार स्वभाव, दूसरों की मदद करने की प्रवृत्ति और सेवा भावना ने उन्हें देशभर में लोकप्रिय बना दिया। अपने नेतृत्व क्षमता के कारण वे स्वाधीनता आंदोलन के अगुआ थे। उनके एक आह्वान पर देश उनके पीछे चल देता था। इस प्रकार कार्य के प्रति समर्पण, उदारता, परोपकारिता, सत्यवादिता आदि मानवीय मूल्यों के कारण वे देशभर में लोकप्रिय हो गए थे।

प्रश्न: सरदार पटेल के चरित्र से आप किन-किन मूल्यों को अपनाना चाहेंगे?

उत्तर: सरदार बल्लभ भाई पटेल देश को आजादी दिलाने वाले नेताओं में प्रमुख स्थान रखते थे। वे अत्यंत जुझारू प्रवृत्ति के नेता थे। त्याग, साहस, निष्ठा, ईमानदारी जैसे मानवीय मूल्य उनमें कूट-कूटकर भरे थे। उनमें गजब की नेतृत्व क्षमता थी। उनके चरित्र से मैं नि:स्वार्थ भाव से काम करने की प्रवृत्ति, कार्य के प्रति समर्पण, साहस, ईमानदारी और कार्य के प्रति जुझारूपन दिखाने जैसे मानवीय मूल्यों को अपनाना चाहूँगा। मैं अपने राष्ट्र के लिए उनके समान तन-मन और धन त्यागने का गुण एवं साहस बनाए रखना चाहूँगा। दिये जल उठे

प्रश्न: पटेल और गांधी जी जैसे नेताओं ने देश के लिए अपना चैन तक त्याग दिया था। आप अपने देश के लिए क्या करना चाहेंगे?

उत्तर: गांधी और पटेल अत्यंत उच्च कोटि के देशभक्त एवं नेता था। उनके जैसा त्याग करना सामान्य आदमी के बस की बात नहीं। उनमें नि:स्वार्थ काम करने की जन्मजात भावना थी। उन्हीं लोगों से प्रेरित होकर मैं अपने देश के लिए निम्नलिखित कार्य करना चाहूँगा:

  1. मैं अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दूंगा।
  2. अपने देश से प्रेम और सच्चा लगाव रबँगा।
  3. अपने देश की बुराई भूलकर भी नहीं करूंगा, न सुनूंगा।
  4. देश को साफ़-सुथरा बनाने का प्रयास करूंगा।
  5. देश की समस्याओं के समाधान में अपना योगदान दूंगा।
  6. देश की उन्नति एवं शान बढ़ाने वाले काम करूंगा।

प्रश्न: नेहरू जी गांधी जी से कब मिलना चाहते थे? इस पर गांधी जी ने क्या कहा?

उत्तर: नेहरू जी 21 मार्च को होने वाली अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक से पहले गांधी जी से मिलना चाहते थे। इस पर गांधी जी ने कहा कि उन तक पहुँचना कठिन है। तुमको पूरी एक रात का जागरण करना पड़ेगा। अगर कल रात से। पहले वापस लौटना चाहते हो, तो इससे बचा भी नहीं जा सकता। मैं उस समय जहाँ भी रहूँगा, संदेशवाहक तुमको वहाँ तक ले आएगा। इस प्रयाण की कठिनतम घड़ी में तुम मुझसे मिल रहे हो। तुमको रात के लगभग दो बजे जाने-परखे मछुआरों के कंधों पर बैठकर एक धारा पार करनी पड़ेगी। मैं राष्ट्र के प्रमुख सेवक के लिए भी प्रयाण में जरा भी विराम नहीं दे सकता।

प्रश्न: रास की जनसभा में गांधी जी ने लोगों को किस तरह स्वतंत्रता के प्रति सचेत किया?

उत्तर: रास की आबादी करीब तीन हज़ार थी, लेकिन उनकी जनसभा में बीस हजार से ज्यादा लोग थे। अपने भाषण में गांधी ने पटेल की गिरफ़्तारी का जिक्र करते हुए कहा, “सरदार को यह सज़ा आपकी सेवा के पुरस्कार के रूप में मिली है। उन्होंने सरकारी नौकरियों से इस्तीफ़े का उल्लेख किया और कहा कि कुछ मुखी और तलाटी ‘गंदगी पर मक्खी की तरह’ चिपके हुए हैं। उन्हें भी अपने निजी तुच्छ स्वार्थ भूलकर इस्तीफा दे देना चाहिए।” उन्होंने कहा, “आप लोग कब तक गाँवों को चूसने में अपना योगदान देते रहेंगे। सरकार ने जो लूट मचा रखी है उसकी ओर से क्या अभी तक आपकी आँखें खुली नहीं हैं?”

प्रश्न: रास में गांधी जी को किस तरह स्वागत हुआ? उन्होंने रास में रहने वाले दरबारों का उदाहरण किस संदर्भ में दिया?

उत्तर: रास में गांधी का भव्य स्वागत हुआ। दरबार समुदाय के लोग इसमें सबसे आगे थे। दरबार गोपालदास और रविशंकर महाराज वहाँ मौजूद थे। गांधी ने अपने भाषण में दरबारों को खासतौर पर उल्लेख किया। कुछ दरबार रास में रहते हैं, पर उनकी मुख्य बस्ती कनकापुरा और उससे सटे गाँव देवण में है। दरबार लोग रियासतदार होते थे। उनकी साहबी थी, ऐशो-आराम की ज़िंगदी थी, एक तरह का राजपाट था। दरबार सब कुछ छोड़कर यहाँ आकर बस गए। गांधी ने कहा, “इनसे आप त्याग और हिम्मत सीखें”।

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