Page [2] 9th Class (CBSE) Hindi क्षितिज
प्रश्न: गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि:
- गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
- गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
- वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुःखी था।
- उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी।
(सही उत्तर के आगे (✓) का निशान लगाइए।)
उत्तर: (3.) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुःखी था।
प्रश्न: हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर: हीरा और मोती पर बहुत अत्याचार किए गए, उनका शोषण किया गया। परन्तु हीरा और मोती ने इसे चुपचाप सहने के बजाए इसके विरुद्ध आवाज़ उठाई, भले ही इसके लिए उन्हें प्रताड़ना सहनी पड़ी तथा बहुत कष्टों का सामना भी करना पड़ा।
अपने मालिक पर अगाध स्नेह होने के बावजूद उन्हें गया अपने साथ ले गया। यह उन्हें मंजूर नहीं था। परन्तु फिर भी अपने मालिक के लिए वे गया के साथ जाने को तैयार हो जाते हैं। गया का व्यवहार उनके प्रति कुछ ठीक नहीं था। वो उन्हें दिन-दिन भर भूखा रखता तथा सख्ती से पूरा काम करवाता था। पशुओं के प्रति मनुष्य का यह व्यवहार अनुचित है। सहनशक्ति भी एक हद तक जवाब दे जाती है। हीरा और मोती के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनके असंतोष ने भी विद्रोह का रुप ले लिया। ऐसा होना स्वाभाविक है।
प्रश्न: क्या आपको लगता है कि यह कहानी आज़ादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है?
उत्तर: प्रेमचंद स्वतंत्रता पूर्व लेखक हैं। इनकी रचनाओं में भी इसका प्रभाव देखा गया है। “दो बैलों की कथा” नामक कहानी भी इससे अछूती नहीं है।
मनुष्य हो या पशु पराधीनता किसी को भी स्वीकार नहीं है। सभी स्वतंत्र होना चाहते हैं। प्रस्तुत कहानी की कथावस्तु भी इन्हीं मनोविचार पर आधारित है। प्रेमचंद ने अंग्रेज़ों द्वारा भारतीयों पर किए गए अत्याचारों को मनुष्य तथा पशु के माध्यम से व्यक्त किया है। इस कहानी में उन्होंने यह भी कहा है कि स्वतंत्रता सहज ही नहीं मिलती, इसके लिए निरंतर संघर्ष करना पड़ता है। जिस प्रकार अंग्रेज़ों के अत्याचार से पीड़ित जनता ने अपना क्षोभ विद्रोह के रुप में व्यक्त किया, उसी प्रकार बैलों का गया के प्रति आक्रोश भी संघर्ष के रुप में भड़क उठा। इस प्रकार परोक्ष रुप से यह कहानी आज़ादी की भावना से जुड़ी है।
प्रश्न: बस इतना ही काफ़ी है।
फिर मैं भी ज़ोर लगाता हूँ।
‘ही’, ‘भी’ वाक्य में किसी बात पर ज़ोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी में से पाँच ऐसे वाक्य छाँटिए जिनमें निपात का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर: निपात के प्रयोग वाले शब्द:
- छाया भी न दिखाई देगी।
- छोटा भाई और भी है।
- उससे कम ही गधा है।
- ज़्यादा-से-ज़्यादा बोझ।
- बेगानों-से लगते थे।
प्रश्न: रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए:
- दीवार का गिरना था कि अधमरे-से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
- सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखे लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
- हीरा ने कहा – गया के घर से नाहक भागे।
- मैं बेचूँगा, तो बिकेंगे।
- अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
उत्तर:
- यहाँ संयुक्त वाक्य है तथा संज्ञा उपवाक्य है।
- यहाँ मिश्र वाक्य है, विशेषण उपवाक्य है।
- यहाँ मिश्र वाक्य है, संज्ञा उपवाक्य है।
- यहाँ संयुक्त वाक्य है, क्रिया विशेषण उपवाक्य है।
- यहाँ संयुक्त वाक्य है, क्रिया विशेषण उपवाक्य है।
प्रश्न: कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर: मुहावरें
- हिम्मत हारना: (निराश होना) इस असफलता के बाद राहुल हिम्मत हार गया है।
- टकटकी लगाना: (निरंतर देखना) वह दरवाजें पर टकटकी लगाए देखता रहा।
- जान से हाथ धोना: (मर जाना) यह काम बहुत खतरनाक है। थोड़ी भी गलती होने पर जान से हाथ धोना पड़ सकता है।
- ईंट का जवाब पत्थर से देना: (कड़ी प्रतिक्रिया) युद्ध के मैदान में भारतीय सैनिकों ने दुश्मन की ईंट का जवाब पत्थर से दिया।
- दाँतों पसीना आना: (कठिन परिश्रम करना) इतना भारी सामान उठाने से राकेश के दाँतों पसीने आ गए।
उत्तर: हीरा और मोती अपने मालिक झूरी के साथ किस तरह का भाव रखते थे?
उत्तर: हीरा और मोती अपने मालिक झूरी के साथ अत्यंत गहरा प्रेम एवं आत्मीय व्यवहार रखते थे। वे अपने मालिक से प्रेम करते हुए उसकी हर बात मानते थे। वे झूरी से अलग नहीं रहना चाहते थे। उनकी इच्छा थी उनका मालिक चाहे जितना काम करा ले पर वह उन्हें अपने से अलग न करे। झूरी ने जब गया के साथ उन्हें भेजा तो वे रस्सी पगहे तुड़ाकर गया के घर से भागकर आ गए। इस समय उनकी आँखों में विद्रोहमयी स्नेह झलक रहा था। हीरा-मोती को भागने का अवसर मिलने पर भी वे अंत में भागकर झूरी के पास आ जाते थे जो उनके असीम लगाव का प्रमाण था।
प्रश्न: “दो बैलों की कथा” पाठ में लेखक ने ‘सीधेपन’ के संबंध में क्या कहा है? इसके लिए उसने क्या-क्या उदाहरण दिए हैं?
उत्तर: “दो बैलों की कथा” पाठ में लेखक प्रेमचंद ने ‘सीधेपन’ को इस संसार के लिए उचित नहीं बताया है। इसके लिए उसने गधे और बैलों के सीधेपन का उदाहरण देते हुए दर्शाया है कि अपने सीधेपन के लिए गधा मूर्ख के अर्थ में रूढ़ बन गया है तथा बैल को ‘बछिया का ताऊ’ कहा जाने लगा है। इस पाठ में भी हीरा-मोती के सीधेपन के कारण उन पर अत्याचार किया जाता है परंतु उनके सींग चलाते या अत्याचार का विरोध करते ही उन पर किया जाने वाला अत्याचार कम हो जाता है। इसी तरह अपनी सहनशीलता के कारण भारतीय अफ्रीका और अमेरिका में सम्मान नहीं पाते जबकि जापान ने युद्ध में विजय पाते ही दुनियाभर में सम्मान प्राप्त किया।
प्रश्न: हीरा-मोती दो बार झूरी के घर से वापस आए। दोनों बार झूरी की पत्नी की प्रतिक्रिया अलग-अलग क्यों थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: झूरी ने अपने बैलों हीरा और मोती को गया के घर काम के लिए भेजा। हीरा-मोती झूरी से बहुत लगाव रखते थे। वे झूरी को छोड़ कर गया के घर नहीं जाना चाहते थे। गया के साथ वे जैसे-तैसे चले गए पर बेगानापन महसूस होने के कारण वे रात में ही रस्सी पगहे तुड़ाकर चले आए। यह देख झूरी की पत्नी ने उन्हें नमक हराम कहा और उन्हें खली, चूनी-चोकर आदि देना बंद करके सूखा भूसा सामने डाल दिया। दूसरी बार हीरा-मोती कांजीहौस से नीलाम होकर किसी तरह घर पहुँचते हैं तो उनकी दशा देखकर झूरी की पत्नी के मन में उनके प्रति बदलाव आ जाता है। वह बैलों द्वारा सहे कष्ट का अनुमान लगा लिया और उनके माथे चूम लिया। ऐसी प्रतिक्रिया बैलों के द्वारा अपनी स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्ष के कारण थी।
प्रश्न: मोती ने बैलगाड़ी को खाई में गिरा देना चाहा पर हीरा ने सँभाल लिया। इस कथन के आलोक में हीरा की स्वाभाविक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: हीरा-मोती गया के साथ नहीं जाना चाहते थे, इसलिए गया उन दोनों को बैलगाड़ी में जोतकर ले जा रहा था। अपना विरोध जताने के लिए मोती बैलगाड़ी को खाई में गिरा देना चाहता था, पर हीरा ने रोक लिया। इससे उसकी इन विशेषताओं का पता चलता है:
- धैर्यवान: हीरा-मोती की तुलना में अधिक धैर्यवान है। वह किसी समस्या का धैर्यपूर्वक सामना करता है।
- सहनशील: गया ने जब हीरा की नाक पर डंडे बरसाए तो हीरा सहन कर गया। इसी घटना के लिए मोती ने जब गयों को मार गिराना चाहा तो हीरा ने कहा कि यह हमारी जाति का धर्म नहीं है।
- अहिंसक विद्रोही: कांजीहौस में मार खाकर भी हीरा शांत नहीं होता। यद्यपि उसे मोटी रस्सियों में बाँध दिया जाता है फिर भी वह कहता है ‘ज़ोर तो मारता ही जाऊँगा चाहे कितने ही बंधन पड़ते जाएँ।’
- सच्चा मित्र: हीरा मोती के साथ सच्ची मित्रता निभाता है। वह रखवालों के हाथ पड़े मोती को अकेला नहीं छोड़ता है।
प्रश्न: ‘मोती के स्वभाव में उग्रता है’ – उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: मोती का स्वभाव उग्र है। वह अत्याचार एवं शोषण का विरोध करता है। वह अपने ऊपर ही नहीं हीरा पर भी अत्याचार देखकर क्रोधित हो उठता है और अत्याचार का सामना करने के लिए आक्रमण कर देता है। इसके एक नहीं अनेक उदाहरण हैं। गया जब हीरा की नाक पर डंडे बजाता है तो क्रोधित मोती हल जोत, जुआ लेकर भागता है। गया और उसके साथी जब उसे पकड़ने आते हैं तो वह कहता है – “मुझे मारेगा तो मैं भी एक दो गिरा दूंगा।” इसी तरह वह गया का अत्याचार देखकर एकाध को सींगों पर उठाकर फेंक देने की बात कहता है।
वह गिरे हुए शत्रु पर भी दया दिखाने का पक्षधर नहीं है। वह वेदम साँड को मार डालना चाहता है। उसका विचार है कि वैरी को ऐसा मारना चाहिए कि फिर न उठे। यह मोती के स्वभाव की उग्रता है कि दढ़ियल को सींग दिखाकर गाँव के बाहर इस तरह खदेड़ देता है कि वह लौटकर आने का साहस नहीं जुटा पाता है।
प्रश्न: ‘संगठन में शक्ति है’ – हीरा-मोती ने इसका नमूना किस तरह प्रस्तुत किया?
उत्तर: यह सर्वविदित है कि संगठन में शक्ति होती है। इसका एक नमूना हीरा-मोती ने अपने से बलशाली साँड को पराजित करके प्रस्तुत किया। गया के घर से भागे हीरा-मोती के सामने रास्ते में विशालकाय, मदमस्त साँड आ गया। हीरा-मोती ने सोच-विचार के बाद अपने से बलशाली शत्रु का मुकाबला करने की योजना बनाई मल्ल युद्ध में माहिर साँड को संगठित शत्रुओं से लड़ने का अनुभव न था। हीरा-मोती ने संगठित होकर साँड से युद्ध किया। एक ने आगे से वार किया तो दूसरे ने पीछे से। साँड जब हीरा को मारने दौड़ता तो मोती उस पर सींग से वार कर देता। वह जब मोती पर वार करता तो हीरा उसके बगल में सींग घुसा देता। इससे साँड जख्मी होकर बेदम हो गया और गिर गया।
प्रश्न: हीरा-मोती स्वभाव से विद्रोही तो हैं पर उनके मन में दयाभाव भी है। इसका प्रमाण हमें कब और कहाँ मिलता है? ‘दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: हीरा और मोती स्वभाव से विद्रोही हैं। इसी विद्रोह के कारण वे दूसरी बार भी गया के घर से भागते हैं और खेत के रखवालों द्वारा पकड़कर कांजीहौस में बंद कर दिए जाते हैं। कांजीहौस में हीरा-मोती ने देखा कि यहाँ भैसे, घोड़ियाँ, गधे बकरियाँ आदि पहले से बंद हैं। वे चारा न मिलने के कारण मुरदों जैसे जमीन पर पड़े हैं। इन्हें देखकर हीरा-मोती दयार्द्र हो जाते हैं। पहले हीरा ने बाड़े की दीवार गिराना शुरू किया परंतु चौकीदार ने देख लिया और उसे बंधन में डाल दिया। अब मोती ने उग्र रुख अपनाया और दो घंटे के परिश्रम के बाद बाड़ की आधी दीवार गिरा दी। अब उसने सींग मार-मारकर जानवरों को वहाँ से भगा दिया और उनकी जान बचाई। इस प्रकार हीरा-मोती एक ओर जहाँ विद्रोही हैं वहीं दूसरी ओर उनके मन में दयाभाव भी है।