दुःख का अधिकार Page [2] 9th Class (CBSE) Hindi
प्रश्न: निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए:
- ईमान
- बदन
- अंदाज़ा
- बेचैनी
- गम
- दर्ज़ा
- ज़मीन
- ज़माना
- बरकत
उत्तर:
- ईमान ज़मीर, विवेक
- बदन शरीर, तन, देह
- अंदाज़ा अनुमान
- बेचैनी व्याकुलता, अधीरता
- गम दुख, कष्ट, तकलीफ
- दर्ज़ा स्तर, कक्षा
- ज़मीन धरती, भूमि, धरा
- ज़माना संसार, जग, दुनिया
- बरकत वृद्धि, बढ़ना
प्रश्न: निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए: जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
उत्तर: लेखक ने पोशाक की तुलना वायु की लहरों से की है जिस प्रकार हवा कटी पतंग को अचानक नीचे नहीं गिरने देती है। इसी प्रकार अच्छी पोशाक हमें नीचे नहीं झुकने देती है।
प्रश्न: इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
उत्तर: यह गरीबों पर एक बड़ा व्यंग्य है। अपनी भूख के लिए उन्हें पैसा कमाने रोज़ ही जाना पड़ता है परन्तु कहने वाले उनसे सहानुभूति न रखकर यह कहते हैं कि रोटी ही इनका ईमान है, रिश्ता-नाता इनके लिए कुछ भी नहीं है।
प्रश्न: शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और… दु:खी होने का भी एक अधिकार होता है।
उत्तर: शोक करने, गम मनाने के लिए सहूलियत चाहिए। यह व्यंग्य अमीरी पर है क्योंकि अमीर लोगों के पास दुख मनाने का समय और सुविधा दोनों होती हैं। इसके लिए वह दु:ख मनाने का दिखावा भी कर पाता है और उसे अपना अधिकार समझता है। जबकि गरीब विवश होता है। वह रोज़ी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है। उसके पास दु:ख मनाने का न तो समय होता है और न ही सुविधा होती है। इसलिए उसे दु:ख का अधिकार भी नहीं होता है।
प्रश्न: निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए:
उदाहरण: बेटा-बेटी
उत्तर:
- फफक फफककर
- दुअन्नी चवन्नी
- ईमान धर्म
- आते जाते
- छन्नी ककना
- पास पड़ोस
- झाड़ना फूँकना
- पोता पोती
- दान दक्षिणा
- मुँह अँधेरे
प्रश्न: पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए: बंद दरवाज़े खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।
उत्तर:
- बंद दरवाज़े खोल देना: प्रगति में बाधक तत्व हटने से बंद दरवाज़े खुल जाते हैं।
- निर्वाह करना: परिवार का भरण-पोषण करना
- भूख से बिलबिलाना: बहुत तेज भूख लगना (व्याकुल होना)
- कोई चारा न होना: कोई और उपाय न होना
- शोक से द्रवित हो जाना: दूसरों का दु:ख देखकर भावुक हो जाना।
प्रश्न: निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
(क)
छन्नी-ककना अढ़ाई-मास पास-पड़ोस
दुअन्नी-चवन्नी मुँह-अँधेरे झाड़ना-फूँकना
(ख)
फफक-फफककर बिलख-बिलखकर
तड़प-तड़पकर लिपट-लिपटकर
उत्तर:
(क)
- छन्नी-ककना: मकान बनाने में उसका छन्नी-ककना तक बिक गया।
- अढ़ाई-मास: वह विदेश में अढ़ाई-मास ही रहा।
- पास-पड़ोस: पास-पड़ोस अच्छा हो तो समय अच्छा कटता है।
- दुअन्नी-चवन्नी: आजकल दुअन्नी-चवन्नी को कौन पूछता है।
- मुँह-अँधेरे: वह मुँह-अँधेरे उठ कर चला गया।
- झाड़-फूँकना: गाँवों में आजकल भी लोग झाँड़ने-फूँकने पर विश्वास करते हैं।
(ख)
- फफक-फफककर: बच्चे फफक-फफककर रो रहे थे।
- तड़प-तड़पकर: आंतकियों के लोगों पर गोली चलाने से वे तड़प-तड़पकर मर रहे थे।
- बिलख-बिलखकर: बेटे की मृत्यु पर वह बिलख-बिलखकर रो रही थी।
- लिपट-लिपटकर: बहुत दिनों बाद मिलने पर वह लिपट-लिपटकर मिली।
प्रश्न: निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए:
(क)
- लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।
- उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा।
- चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।
(ख)
- अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है।
- भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।
उत्तर:
(क)
- लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।बुढ़िया के पोता-पोती भूख से बिलबिला रहे थे।
- उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा।बच्चों के लिए खिलौने लाने ही होंगे।
- चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।उसने बेटी की शादी के लिए खर्चा करने का इरादा किया चाहे इसके लिए उसका सब कुछ ही क्यों न बिक जाए।
(ख)
- अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है।जैसा दूसरों के लिए करोगे वैसा ही फल पाओगे।
- भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।जो समय निकल गया तो फिर मौका नहीं मिलेगा।