गिल्लू 9th Class (CBSE) Hindi संचयन
प्रश्न: सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?
उत्तर: सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में उस छोटे से जीव को याद आ गई, जिसे वे गिल्लू कहते थे। गिल्लू इसी बेल (लता) की हरियाली में छुपकर बैठ जाता था।
प्रश्न: पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?
उत्तर: कौआ बड़ा विचित्र प्राणी है – कभी समादरित तो कभी अनादरित किया जाता है। पितृपक्ष में लोग इसे आदर से बुलाकर भोजन देते हैं। कभी-कभी छत पर बैठकर ये आने वाले का संदेश भी देते हैं। कहते हैं कौआ बोले तो कोई दूर से प्रियजन आता है। परन्तु कौए की बोली बहुत कड़वी और कानों को चुभने वाली होती है इसलिए सब इसे भगा कर अनादरित भी करते हैं।
प्रश्न: गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
उत्तर: लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई उसका घाव रुई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई फिर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की परन्तु उसका मुँह खुल नहीं सका। कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया। तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ।
प्रश्न: लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
उत्तर: लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू उनके पैरों के पास आकर खेलता फिर सर्र से पर्दे पर चढ़ जाता फिर उतनी ही तेज़ी से उतरता। इस तरह भाग दौड़ करता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए उठ न जाती।
प्रश्न: गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
उत्तर: गिल्लू के जीवन का पहला बसंत आया। अर्थात् गिल्लू एक वर्ष का हो गया था। कमरे में बाहर के फूलों की सुगंध फैल रही थी बाहर की गिलहरियाँ आकर जाली के पास बैठ कर चिक् चिक् करती। उन्हें देखकर गिल्लू उनके पास आकर बैठ जाता उसको इस तरह बाहर निहारते हुए देखकर लेखिका ने इसे मुक्त करना आवश्यक समझा। लेखिका ने खिड़की की जाली का एक कोना खोल दिया जिससे गिल्लू बाहर आ जा सके।
प्रश्न: गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
उत्तर: एक बार लेखिका बीमार हो गई तो गिल्लू उनके सिराहने बैठ जाता और नन्हें पंजों से उनके बालों को सहलाता रहता। इस प्रकार वह सच्चे अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था।
प्रश्न: गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है?
उत्तर: गिलहरियों का जीवन केवल दो वर्ष का होता है। अत: गिल्लू के जीवन का भी अंत समय आ गया था। उसने दिन भर कुछ भी नहीं खाया न बाहर गया अंत समय की मुश्किल के बाद भी वह झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आ गया और अपने ठंडे पंजों से उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे पहले उसने घायल अवस्था में पकड़ा था। इन्हीं चेष्टाओं से आभास मिलने लगा कि अब उसका अंत समय समीप है।
प्रश्न: ‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया’ – का आश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस कथन का आशय यह है कि सुबह होते होते गिल्लू की मृत्यु हो गई और वह हमेशा के लिए सो गया ताकि वह किसी नए जीवन को पा सके, कही और जन्म लेकर नया जीवन पा सके।
प्रश्न: सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?
उत्तर: सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि बनाई गई क्योंकि यह लता गिल्लू को बहुत पसंद थी और साथ ही लेखिका को विश्वास था कि इस छोटे से जीव को इस बेल पर लगे फूल के रुप में देखेगी। जुही में जब पीले फूल लगेंगे तो लेखिका के समक्ष गिल्लू की स्मृति साकार हो जाएगी। इससे उन्हे संतोष मिलेगा।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न: लेखिका को अकस्मात किस छोटे जीव का स्मरण हो आया और कैसे?
उत्तर: लेखिका ने देखा कि सोनजुही में पीली कली आ गई है। यह देखकर उसे अकस्मात छोटे जीव गिल्लू का स्मरण हो आया। सोनजुही की इसी सघन हरियाली में गिल्लू छिपकर बैठता था जो अचानक लेखिका के कंधे पर कूदकर उसे चौंका देता था। लेखिका को लगा कि पीली कली के रूप में गिल्लू ही प्रकट हो गया है।
प्रश्न: कौए की काँव-काँव के बाद भी मनुष्य उसे कब आदर देता है और क्यों?
उत्तर: कौए की काँव-काँव के बाद भी मनुष्य उसे पितृपक्ष में आदर देता है, क्योंकि हमारे समाज में ऐसी मान्यता है कि हमारे पुरखे हमसे कुछ पाने के लिए पितृपक्ष में कौओं के रूप में आते हैं। इसके अलावा कौआ हमारे किसी दूरस्थ के आने का संदेश भी लेकर आता है।
प्रश्न: कौए अपना सुलभ आहार कहाँ खोज रहे थे और कैसे?
उत्तर: लेखिका ने देखा कि गमले और दीवार की संधि में गिलहरी का छोटा-सा बच्चा है जो संभवत: घोंसले से गिर पड़ा होगा। कौए उसे उठाने के प्रयास में चोंच मार रहे थे। इसी छोटे बच्चे में कौए अपना सुलभ आहार खोज रहे थे।
प्रश्न: लेखिका की अनुपस्थिति में गिल्लू प्रकृति के सान्निध्य में अपना जीवन किस प्रकार बिताता था?
उत्तर: लेखिका की अनुपस्थिति में गिल्लू खिड़की में बनी जाली को उठाने से बने रास्ते द्वारा बाहर चला जाता था। वह दूसरी गिलहरियों के झुंड में शामिल होकर उनका नेता बन जाता और हर डाल पर उछल-कूद करता रहता था। वह लेखिका के लौटने के समय कमरे में वापस आ जाता था।
प्रश्न: गिल्लू का प्रिय खाद्य क्या था? इसे न पाने पर वह क्या करता था?
उत्तर: गिल्लू का प्रिय खाद्य काजू था। इसे वह अपने दाँतों से पकड़कर कुतर-कुतर कर खाता रहता था। गिल्लू को जब काजू नहीं मिलता था तो वह खाने की अन्य चीजें लेना बंद कर देता था या उन्हें झूले से नीचे फेंक देता था।
प्रश्न: लेखिका ने कैसे जाना कि गिल्लू उसकी अनुपस्थिति में दुखी था?
उत्तर: लेखिको एक मोटर दुर्घटना में घायल हो गई। इससे उसे कुछ समय अस्पताल में रहना पड़ा। उन दिनों जब लेखिका के कमरे का दरवाजा खोला जाता तो गिल्लू झूले से नीचे आता परंतु किसी और को देखकर तेजी से भागकर झुले में चला जाता। सब उसे वहीं काजू दे आते, परंतु जब लेखिका ने अस्पताल से आकर झूले की सफ़ाई की तो उसे झूले में काजू मिले जिन्हें गिल्लू ने नहीं खाया था। इससे लेखिका ने जान लिया कि उसकी अनुपस्थिति में गिल्लू दुखी थी।
प्रश्न: भोजन के संबंध में लेखिका को अन्य पालतू जानवरों और गिल्लू में क्या अंतर नज़र आया?
उत्तर: लेखिका ने अनेक पशु-पक्षी पाल रखे थे, जिनसे वह बहुत लगाव रखती थी परंतु भोजन के संबंध में लेखिका को अन्य पालतू जानवरों और गिल्लू में यह अंतर नज़र आया कि उनमें से अिकसी जानवर ने लेखिका के साथ उसकी थाली में खाने की हिम्मत नहीं कि जबकि गिल्लू खाने के समय मेज़ पर आ जाता और लेखिका की थाली में बैठकर खाने का प्रयास करता।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न: लेखिका ने लघु जीव की जान किस तरह बचाई? उसके इस कार्य से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर: लेखिका ने देखा कि गमले और दीवार की संधि के बीच एक छोटा-सा गिलहरी का बच्चा पड़ा है। शायद यह घोंसले से गिर गया होगा। इसे कौए अपना भोजन बनाने के लिए तत्पर थे कि लेखिका की दृष्टि उस पर पड़ गई। उसने उस बच्चे को उठाकर उसके घावों पर पेंसिलीन लगाई और पानी पिलाया। इससे वह दो-तीन दिन में स्वस्थ हो गया। लेखिका के इस कार्य में हमें:
- जीव जंतुओं के प्रति संवेदनशील बनने की प्रेरणा मिलती है।
- जीव-जंतुओं की रक्षा करने की सीख मिलती है।
- जीव-जंतुओं को न सताने तथा उन्हें प्रताड़ित न करने की प्रेरणा मिलती है।
प्रश्न: लेखिका को जीव-जंतुओं की संवेदनाओं की सूक्ष्म समझ थी। इसे स्पष्ट करते हुए बताइए कि आपको इनसे किन किन मूल्यों को अपनाने की सीख मिलती है?
उत्तर: लेखिका अत्यंत सदय, संवेदनशील तथा परदुखकोतर थी। उससे मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षियों का दुख भी नहीं देखा जाता था। इसके अलावा उसे जीव-जंतुओं की भावनाओं की सूक्ष्म समझ थी। लेखिका ने देखा कि वसंत ऋतु में गिल्लू अन्य गिलहरियों की चिक-चिक सुनकर उन्हें अपनेपन के भाव से खिड़की में से निहारता रहता है। लेखिका ने तुरंत कीलें हटवाकर खिड़की की जाली से रास्ता बनवा दिया, जिसके माध्यम से वह बाहर जाकर अन्य गिलहरियों के साथ उछल-कूद करने लगा। इससे हमें जीव-जंतुओं की भावनाएँ समझने, उनके प्रति दयालुता दिखाने तथा जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में पहुँचाने की प्रेरणा मिलती है।