साँवले सपनों की याद 9th Class (CBSE) Hindi क्षितिज
प्रश्न: साँवले सपनों का हुजूम कहाँ जा रहा है? उसे रोकना संभव क्यों नहीं है?
उत्तर: साँवले सपनों का हुजूम मौत की खामोश वादी की ओर जा रहा है। इसे रोकना इसलिए संभव नहीं है क्योंकि इस वादी में जाने वाले वे होते हैं जो मौत की गोद में चिर विश्राम कर रहे होते हैं। ये अपना जीवन जी चुके होते हैं।
प्रश्न: ‘मौत की खामोश वादी’ किसे कहा गया है? इसे घाटी की ओर किसे ले जाया जा रहा है?
उत्तर: ‘मौत की खामोश वादी’ कब्रिस्तान को कहा गया है। इस घाटी की ओर प्रसिद्ध पक्षी प्रेमी सालिम अली को ले जाया जा रहा है जो लगभग सौ वर्ष की उम्र में कैंसर नामक बीमारी का शिकार हो गए और मृत्यु की गोद में सो गए हैं।
प्रश्न: सालिम अली के इस सफ़र को अंतहीन क्यों कहा गया है?
उत्तर: सालिम अली के इस सफ़र को इसलिए अंतहीन कहा गया है क्योंकि इससे पहले वाले सफ़रों में सालिम अली जब पक्षियों की खोज में निकलते थे तो वे पक्षियों को देखते ही उनसे जुड़ी दुर्लभ जानकारियाँ लेकर लौट आते थे परंतु इस सफ़र का कोई अंत न होने से सालिम अली लौट न सकेंगे।
प्रश्न: मृत्यु की गोद में सोए सालिम अली की तुलना किससे की गई है और क्यों?
उत्तर: मृत्यु की गोद में सोए सालिम अली की तुलना उस वन-पक्षी से की गई है जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि सालिम अली भी अपनी जिंदगी के सौ वर्ष जीकर मृत्यु को प्राप्त कर चुके हैं। अब वे पक्षियों के बारे में जानकारी एकत्र करने नहीं जा सकेंगे।
प्रश्न: सालिम अली की दृष्टि में मनुष्य क्या भूल करते हैं? उन्होंने इसे भूल क्यों कहा?
उत्तर: सालिम अली की दृष्टि में मनुष्य यह भूल करते हैं कि लोग पक्षियों जंगलों-पहाड़ों, झरने-आवशारों आदि को आदमी की निगाह से देखते हैं। उन्होंने इसे भूल इसलिए कहा क्योंकि मनुष्य पक्षियों, नदी-झरनों आदि को इस दृष्टि से देखता है कि इससे उसका कितना स्वार्थ पूरा हो सकता है।
प्रश्न: वृंदावन में यमुना का साँवला पानी किन-किन घटनाओं की याद दिलाता है?
उत्तर: वृंदावन में यमुना का साँवला पानी कृष्ण से जुड़ी विभिन्न घटनाओं की याद दिलाता है, जैसे:
- कृष्ण द्वारा वृंदावन में रासलीला रचाना। चंचल गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाना।
- माखन भरे बर्तन फोड़ना और दूध-छाली खाना।
- वाटिका में घने पेड़ों की छाँव में बंशी बजाना और ब्रज की गलियों को संगीतमय कर देना जिसे सुनते ही लोगों के कदम ठहर जाना।
प्रश्न: वृंदावन में सुबह-शाम सैलानियों को होने वाली अनुभूति अन्य स्थानों की अनुभूति से किस तरह भिन्न है?
उत्तर: वृंदावन में सुबह-शाम सैलानियों को सुखद अनुभूति होती है। वहाँ सूर्योदय पूर्व जब उत्साहित भीड़ यमुना की सँकरी गलियों से गुजरती है तो लगता है कि अचानक कृष्ण बंशी बजाते हुए कहीं से आ जाएँगे। कुछ ऐसी ही अनुभूति शाम को भी होती है। ऐसी अनुभूति अन्य स्थानों पर नहीं होती है।
प्रश्न: पक्षियों के प्रति सालिम अली की दृष्टि अन्य लोगों की दृष्टि में क्या अंतर है? ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: सालिम अली दूर-दूर तक पक्षियों की खोज में यात्रा करते थे। वे अत्यंत उत्साह से दुर्गम स्थानों पर भी पक्षियों की खोज करते, उनकी सुरक्षा के बारे में सोचते और उनसे जुड़ी दुर्लभ जानकारी हासिल करते थे परंतु अन्य लोग पक्षियों को अपने स्वार्थ और मनोरंजन की दृष्टि से देखते हैं।
प्रश्न: ‘बर्ड-वाचर’ किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर: ‘बर्ड-वाचर’ प्रसिद्ध पक्षी-प्रेमी सालिम अली को कहा गया है क्योंकि सालिम अली जीवनभर पक्षियों की खोज करते रहे। और उनकी सुरक्षा के लिए पूरी तरह समर्पित रहे। वे अपने सुख-दुख की चिंता किए बिना आँखों पर दूरबीन लगाए पक्षियों से जुड़ी जानकारी एकत्र करते रहे।
प्रश्न: सालिम अली पक्षी-प्रेमी होने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी थे। साँवले सपनों की याद पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: सालिम अली पक्षियों से जितना लगाव रखते हुए उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित रहते थे उतना ही वे प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी चिंतित रहते थे। वे केरल की साइलेंट वैली को बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले और वैली को बचाने का अनुरोध किया।
प्रश्न: तहमीना कौन थीं? उन्होंने सालिम अली की किस तरह मदद की?
उत्तर: तहमीना सालिम अली की सहपाठिनी थी जो बाद में उनकी जीवनसंगिनी बनी। उन्होंने सालिम अली के पक्षी-प्रेम के मार्ग में कोई बाधा नहीं खड़ी की। उन्होंने सालिम अली का साथ दिया और प्रकृति से जुड़ने में उनकी मदद की।
प्रश्न: किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?
उत्तर: बचपन में एक बार मामा की दी हुई एयरगन से सालिम अली ने एक गौरैया का शिकार किया। मामा से गौरैया के बारे में जानकारी माँगनी चाही तो मामा ने उन्हें बाम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बी.एन.एच.एस) जाने के लिए कहा। बी.एन.एच.एस से इन्हें गौरैया की पूरी जानकारी मिली। उसी समय से सालिम अली के मन में पक्षियों के बारे में जानने की इतनी उत्सुकता जगी कि उन्होंने पक्षी विज्ञान को ही अपना करियर बना लिया।
प्रश्न: सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?
उत्तर: एक दिन सालिम अली प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले। उस समय केरल पर रेगिस्तानी हवा के झोंको का खतरा मंडरा रहा था। वहाँ का पर्यावरण दूषित हो रहा था। प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को वातावरण की सुरक्षा का ध्यान था। पर्यावरण के दूषित होने के खतरे के बारे में सोचकर उनकी आँखे नम हो गई।
प्रश्न: लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?”
उत्तर: लॉरेंस का व्यक्तित्व बिल्कुल साधारण तथा इतना खुला-खुला सा था कि उनके बारे में किसी से कुछ छिपा नहीं था। इसलिए फ्रीडा कहती है कि लॉरेन्स के बारे में एक गौरैया भी ढ़ेर सारी बातें बता सकती है।
प्रश्न: आशय स्पष्ट कीजिए:
- वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
- कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा!
- सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर:
- लॉरेंस का जीवन बहुत सीधा-सादा था, प्रकृति के प्रति उनके मन में जिज्ञासा थी। सालिम अली का व्यक्तित्व भी लॉरेंस की तरह ही सुलझा तथा सरल था।
- यहाँ लेखक का आशय है कि मृत व्यक्ति को कोई जीवित नहीं कर सकता। हम चाहे कुछ भी कर लें पर उसमें कोई हरकत नहीं ला सकते।
- टापू बंधन तथा सीमा का प्रतीक है और सागर की कोई सीमा नहीं होती है। उसी प्रकार सालिम अली भी बंधन मुक्त होकर अपनी खोज करते थे। उनके खोज की कोई सीमा नहीं थी।
प्रश्न: इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: लेखक की भाषा-शैली की विशेषताएँ:
- इनकी शैली चित्रात्मक है। पाठ को पढ़ते हुए इसकी घटनाओं का चित्र उभर कर हमारे सामने आता है।
- लेखक ने भाषा में हिंदी के साथ-साथ कहीं-कहीं उर्दू तथा कहीं-कहीं अंग्रेज़ी के शब्दों का प्रयोग भी किया है।
- इनकी भाषा अत्यंत सरल तथा सहज है।
- अपने मनोभावों को प्रस्तुत करने के लिए लेखक ने अभिव्यक्ति शैली का सहारा लिया है।
प्रश्न: इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: प्रकृति प्रेमी सालिम अली एक विचारशील व्यक्ति थे। प्रकृति तथा पक्षियों के प्रति उनके मन में कभी न खत्म होने वाली जिज्ञासा थी। उनका जीवन काफी रोमांचकारी था तथा उनका स्वभाव भ्रमणशील था। कभी-भी किसी-भी वक्त वे पक्षियों के बारे में पता करने निकल जाते थे।
प्रश्न: ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर: यह रचना लेखक जाबिर हुसैन द्वारा अपने मित्र सालिम अली की याद में लिखा गया संस्मरण है। पाठ को पढ़ते हुए इसका शीर्षक “साँवले सपनों की याद” अत्यंत सार्थक प्रतीत होता है। लेखक का मन अपने मित्र से बिछड़ कर दु:खी हो जाता है, अत: वे उनकी यादों को ही अपने जीने का सहारा बना लेते हैं।
प्रश्न: प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तर: पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए हम निम्नलिखित तरह से योगदान दे सकते हैं:
- वायु को शुद्ध रखने के लिए हमें पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
- हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे आसपास का स्थान साफ़-सुथरा रहे। इसके लिए हमें कूड़ेदान का प्रयोग करना चाहिए।
- जल को प्रदूषित नहीं होने देना चाहिए।
- तेज़ आवाज़ को रोककर हम ध्वनि प्रदूषण होने से रोक सकते हैं।
प्रश्न: ‘अब हिमालय और लद्दाख की बरफ़ीली जमीनों पर रहने वाले पक्षियों की वकालत कौन करेगा’? ऐसा लेखक ने क्यों कहा होगा? ‘सावले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: सालिम अली की मृत्यु पर लेखक के मस्तिष्क में उनसे जुड़ी हर यादें चलचित्र की भाँति घूम गईं। लेखक ने महसूस किया कि सालिम अली आजीवन पक्षियों की तलाश में पहाड़ जैसे दुर्गम स्थानों पर घूमते रहे। वे आँखों पर दूरबीन लगाए नदी के किनारों पर जंगलों में और पहाड़ जैसे दुर्गम स्थानों पर भी पक्षियों की खोज करते रहे और उनकी सुरक्षा के प्रति प्रयत्नशील रहे। वे पक्षियों को बचाने का उपाय करते रहे। इसके विपरीत आज मनुष्य पक्षियों की उपस्थिति में अपना स्वार्थ देखता है। सालिम अली के पक्षी-प्रेम को याद कर लेखक ने ऐसा कहा होगा।
प्रश्न: फ्रीडा कौन थी? उसने लॉरेंस के बारे में क्या-क्या बताया?
उत्तर: फ्रीडा डी.एच.लॉरेंस की पत्नी थीं। लॉरेंस के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया था कि मेरे लिए लॉरेंस के बारे में कुछ कह पाना असंभव-सा है। मुझे लगता है कि मेरे छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। वह मुझसे भी ज्यादा जानती है। वह सचमुच ही इतना खुला-खुला और सादा दिल आदमी थे। संभव है कि लॉरेंस मेरी रगों में, मेरी हड्डियों में समाया हो।
प्रश्न: ‘साँवले-सपनों की याद’ पाठ के आधार पर बताइए कि सालिम अली को नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप क्यों कहा गया है?
उत्तर: सालिम अली महान पक्षी-प्रेमी थे। इसके अलावा वे प्रकृति से असीम लगाव रखते थे। वे प्रकृति के इतना निकट आ गए थे कि ऐसा लगता था कि उनका जीवन प्रकृतिमय हो गया था। सालिम अली प्रकृति के प्रभाव में आने के कायल नहीं थे। वे प्रकृति को अपने प्रभाव में लाना चाहते थे। पक्षी-प्रेम के कारण वे पक्षियों की खोज करते हुए प्रकृति के और निकट आ गए। नदी-पहाड़, झरने विशाल मैदान और अन्य दुर्गम स्थानों से उनका गहरा नाता जुड़ गया था। जिंदगी में अद्भुत सफलता पाने के बाद भी वे प्रकृति से जुड़े रहे। इस तरह उनका जीवन नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गया था।
प्रश्न: ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर सालिम अली के व्यक्तित्व की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: सालिम अली दुबली-पतली काया वाले व्यक्ति थे, जिनकी आयु लगभग एक सौ वर्ष होने को थी। पक्षियों की खोज में की गई लंबी-लंबी यात्राओं की थकान से उनका शरीर कमजोर हो गया था। वे अपनी आँखों पर प्रायः दूरबीन चढ़ाए रखते थे। पक्षियों की खोज के लिए वे दूर-दूर तक तथा दुर्गम स्थानों की यात्राएँ करते थे। उनकी एअर गन से घायल होकर गिरी नीले कंठवाली गौरैया ने उनके जीवन की दिशा बदले दी। वे पक्षी प्रेमी होने के अलावा प्रकृति प्रेमी भी थे। वे प्रकृतिमय जीवन जीते थे और उसकी सुरक्षा के लिए प्रयासरत रहते थे। वे नदी पहाड़-झरनों आदि को प्रकृति की दृष्टि से देखते थे।
प्रश्न: ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर बताइए कि सामान्य लोग पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान किस तरह दे सकते हैं?
उत्तर: ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ से ज्ञात होता है कि सालिम अली प्रकृति और उससे जुड़े विभिन्न अंगों-नदी, पहाड़, झरने, आबशारों आदि को प्रकृति की निगाह से देखते थे और उन्हें बचाने के लिए प्रयत्नशील रहते थे। उन्होंने केरल साइलेंट वैली को बचाने का अनुरोध किया। इसी तरह सामान्य लोग भी अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए विभिन्न रूपों में अपना योगदान दे सकते हैं; जैसे:
- अधिकाधिक पेड़ लगाकर धरती की हरियाली बढ़ाकर।
- पेड़ों को कटने से बचाकर।
- प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का प्रयोग न करके।
- अपने आसपास साफ़-सफ़ाई करके।
- जल-स्रोतों को दूषित होने से बचाकर।
- वन्य जीवों तथा पक्षियों की रक्षा करके मनुष्य पर्यावरण की सुरक्षा कर सकता है।
9th Class (CBSE) Hindi क्षितिज
गद्य – खंड
- Chapter 01: दो बैलों की कथा
- Chapter 02: ल्हासा की ओर
- Chapter 03: उपभोक्तावाद की संस्कृति
- Chapter 04: साँवले सपनों की याद
- Chapter 05: नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
- Chapter 06: प्रेमचंद के फटे जूते
- Chapter 07: मेरे बचपन के दिन
- Chapter 08: एक कुत्ता और एक मैना
काव्य – खंड
- Chapter 09: साखियाँ एवं सबद
- Chapter 10: वाख
- Chapter 11: सवैये
- Chapter 12: कैदी और कोकिला
- Chapter 13: ग्राम श्री
- Chapter 14: चंद्र गहना से लौटती बेर
- Chapter 15: मेघ आए
- Chapter 16: यमराज की दिशा
- Chapter 17: बच्चे काम पर जा रहे हैं