सवैये 9th Class (CBSE) Hindi क्षितिज
प्रश्न: रसखान अगले जन्म में मनुष्य बनकर कहाँ जन्म लेना चाहते थे और क्यों ?
उत्तर: रसखान अगले जन्म में मनुष्य बनकर ब्रज क्षेत्र के गोकुल गाँव में जन्म लेना चाहते थे क्योंकि ब्रज उनके आराध्य श्रीकृष्ण की लीला भूमि रही है। ब्रज क्षेत्र में जन्म लेकर वह श्रीकृष्ण से जुड़ाव की अनुभूति करता है।
प्रश्न: रसखान ने ऐसा क्यों कहा है, ‘जो पसु हौं तो कहा बस मेरो’?
उत्तर: ‘जौ पसु हाँ तो कहा बस मेरो’ कवि रसखान ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि पशु की अपनी इच्छा नहीं चलती है। कोई भी उसके गले में रस्सी डालकर कहीं भी ले जा सकता है। उसकी इच्छा-अनिच्छा का कोई महत्व नहीं रहती है।
प्रश्न: कवि किस गिरि का पत्थर बनना चाहते हैं और क्यों?
उत्तर: कवि गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहता हैं क्योंकि इंद्र के प्रकोप और क्रोध से ब्रजवासियों को मचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को छाते की तरह उठाकरे श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की थी। गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनकर कवि श्रीकृष्ण से जुड़ाव महसूस करता है।
प्रश्न: ‘कालिंदी कुल कदंब की डारन’ का भाव स्पष्ट करते हुए बताइए कि कवि ने इसका उल्लेख किस संदर्भ में किया?
उत्तर: ‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ का भाव है – यमुना नदी के किनारे स्थित कदंब की डालों पर बसेरा बनाना। कवि ने। इसका उल्लेख अगले जन्म में पक्षी बनकर श्रीकृष्ण से जुड़ी वस्तुओं का सान्निध्य पाने के संदर्भ में किया है।
प्रश्न: गोपी किस तरह के वस्त्र धारण करना चाहती है और क्यों?
उत्तर: गोपियाँ पीले रंग के वैसे ही वस्त्र पहनना चाहती है जैसा श्रीकृष्ण पहना करते थे क्योंकि वह श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य पर मोहित है और वैसा ही रूप बनाना चाहती है।
प्रश्न: श्रीकृष्ण की मुसकान का गोपियों पर क्या असर होता है?
उत्तर: श्रीकृष्ण की मुसकान अत्यंत आकर्षक एवं मादक है। गोपियाँ इस मुसकान को देखकर अपनी सुध-बुध खो बैठती हैं। उनका खुद अपने तन-मन पर नियंत्रण नहीं रह जाता है। वे विवश होकर स्वयं को नहीं सँभाल पाती हैं।
प्रश्न: गोपियाँ ब्रज के लोगों से क्या कहना चाहती हैं और क्यों ?
उत्तर: गोपियाँ ब्रज के लोगों से यह कहना चाहती हैं कि कृष्ण के प्रभाव से बचने के लिए कानों में अँगुली रख लेंगी तथा उनके गोधन को नहीं सुनेंगी पर श्रीकृष्ण की मुसकान देखकर वह स्वयं को नहीं सँभाल पाएंगी और तन-मन पर वश नहीं रहेगा।
प्रश्न:
- पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बख़ान करती है? क्रम से लिखिए।
- चारों छंदों में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को परस्पर किन-किन रूपों में रखा है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
- ‘आदमी नामा’ शीर्षक कविता के इन अंशो को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के प्रति क्या धारणा बनती है?
- इस कविता का कौन-सा भाग आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों?
- आदमी की प्रवृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी में निम्नलिखित रूपों का बखान करती है:
- आदमी का बादशाही रूप
- आदमी का मालदारी रूप
- आदमी का कमजोरी वाला रूप
- आदमी का स्वादिष्ट भोजन करने वाला रूप
- आदमी का सूखी रोटियाँ चबाने वाला रूप
- चारों छंदो में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों का तुलनात्मक रूप प्रस्तुत किया है:
सकारात्मक रूप
- एक आदमी शाही किस्म के ठाट-बाट भोगता है।
- एक आदमी मालामाल होता है।
- एक स्वादिष्ट भोजन खाता है।
- एक धर्मस्थलों में धार्मिक पुस्तकें पढ़ता है।
- एक आदमी जानन्योछावर करता है।
- एक शरीफ सम्मानित है।
नकारात्कम रूप
- दूसरे आदमी को गरीबो में दिन बिताने पड़ते हैं।
- दूसरा आदमी कमज़ोरी झेलती है।
- दूसरा सूखी रोटियाँ चबाता है।
- दूसरा धर्मस्थलों पर जूतियाँ चुराता है।
- दूसरा जान से मार डालता है।
- दूसरा दुराचारी दुरव्यवहार करने वाला
- ‘आदमी नामा’ शीर्षक कविता के अंशों को पढ़कर हमारे मन में मनुष्य के प्रति यह धारणा बनती है कि उसकी प्रवृति केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करना ही है लेकिन कुछ लोग परोपकारी भी हैं। कुछ दूसरों की मद्द करके खुशी महसूस करते हैं तो कुछ अपमानित करके खुश होते हैं। कुछ मनुष्य अच्छे हैं तो कुछ बुरे। अत: मनुष्य भाग्य और परिस्थितियों का दास है।
- इस कविता में मनुष्य के विभिन्न रूप दिखाए गए हैं। यही भाग बहुत अच्छा है:
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सो है वो भी आदमी
- ‘आदमी नामा’ कविता के आधार पर आदमी की प्रवृतियाँ विभिन्न हैं। कुछ लोग बहुत अच्छे होते हैं कुछ लोग बहुत बुरे होते हैं। कुछ मस्ज़िद बनाते हैं, कुरान शरीफ़ का अर्थ बताते हैं तो कुछ वहीं जूतियाँ चुराते हैं कुछ जान न्योछावर करते हैं, कुछ जान ले लेते हैं। कुछ दूसरों को सम्मान देकर खुश होते हैं तो कुछ अपमानित करके खुशी महसूस करते हैं।
प्रश्न: निम्नलिखित अंशों को व्याख्या कीजिए:
- दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी - अशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर
ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर
उत्तर:
- इस दुनिया में हर तरह का आदमी है। कुछ आदमी बादशाह जैसे ठाट-बाट से जीते हैं तो कुछ गरीबी में ही जीते हैं। दोनों ही स्थितियों में बहुत अन्तर है।
- इस दुनिया में कुछ लोग बहुत ही शरीफ़ होते हैं तो कुछ लोग बहुत ही खराब स्वभाव के। कुछ वजीर, कुछ बादशाह होते हैं। कुछ स्वामी तो कुछ सेवक होते हैं, कुछ लोगों के दिल काले होते हैं।
प्रश्न: निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए:
- पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी - पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुन के दौड़ता है सो है वो भी आदमी
उत्तर:
- इन पंक्तियों में अभिव्यक्त व्यंग्य यह है व्यक्ति-व्यक्ति की रूचि और कार्यों में अंतर होता है। मनुष्य अच्छा बनने पर आए तो वह कुरआन पढ़ने वाला और नमाज़ अदा करने वाला सच्चा धार्मिक भी बन सकता है और यदि वह दुष्टता पर आए तो वह जूतियाँ चुराने वाला भी बन सकता है। कुछ लोग बुराई पर नज़र रखने वाले भी होते हैं। इन सभी कामों को करने वाले आदमी ही तो हैं। मनुष्य के स्वभाव में अच्छाई बुराई दोनों होते हैं परन्तु वह किधर चले यह उस पर ही निर्भर करता है।
- इन काव्य पंक्तियों में निहित व्यंग्य यह है कि मनुष्य के विविध रूप हैं। एक व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का अपमान कर बैठता है तो कोई किसी को मदद के लिए पुकारता है। उसकी पुकार सुनते ही कोई दयावान उसकी मद्द के लिए भागा चला आता है। अत: मनुष्य में अच्छाई, बुराई दोनों ही हैं। यह उस पर निर्भर करता है कि वह किधर चल पड़े।
प्रश्न: नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण कीजिए और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण उनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।
राज़ (रहस्य)
राज (शासन)
ज़रा (थोड़ा)
जरा (बुढ़ापा)
फ़न (कौशल)
फन (साँप का मुहँ)
फ़लक (आकाश)
फलक (लकड़ी का तख्ता)
ज़ फ़ से युक्त दो–दो शब्दों को और लिखिए।
उत्तर:
बाज़
नाज़
कफ़
फ़क्र
बाज
नाज
कफ
फक्र
प्रश्न: निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए:
- टुकड़े चबाना
- पगड़ी उतारना
- मुरीद होना
- जान वारना
- तेग मारना
उत्तर:
- टुकड़े चबाना − मज़दूर मेहनत करके भी सूखे टूकड़े चबाता है।
- पगड़ी उतारना − ठाकुर दास ने भरी पंचायत में मोहनदास की पगड़ी उतारने में कोई कसर न छोड़ी।
- मुरीद होना − उसकी बातें सुनकर मैं तो उसका मुरीद बन गया।
- जान वारना − गणेश अपने भाई पर जान वारता है।
- तेग मारना − दुष्ट स्वभाव के लोग ही दूसरों को तेग मारते हैं।
प्रश्न: श्रीकृष्ण और उनसे जुड़ी वस्तुओं का सान्निध्य पाने के लिए कवि क्या-क्या त्यागने को तैयार है?
उत्तर: रसखान श्रीकृष्ण के प्रति अगाध आस्था और लगाव रखते हैं। वे अपने आराध्य से जुड़ी हर वस्तु से प्रेम करते हैं। इन वस्तुओं को पाने के लिए वे अपना सर्वस्व त्यागने को तैयार हैं। वे लकुटी और कंबल के बदले तीनों लोकों का राज्य, उनकी गाएँ चराने के बदले आठों सिधियाँ और नवों निधियों का सुख छोड़ने को तैयार हैं। श्रीकृष्ण जिन करील के कुंजों की छाया में मुरली बजाते हुए विश्राम किया करते थे उन कुंजों की छाया पाने के लिए कवि सोने के सैकड़ों महलों का सुख छोड़ने को तैयार है।
प्रश्न: ‘ब्रज के बन-बाग, तड़ाग निहारौं’ का अशय स्पष्ट करते हुए बताइए कि कवि ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर: ब्रजे के बन-बाग और तड़ाग देखने का आशय है-ब्रजभूमि पर स्थित उन बन-बाग और तालाबों को निहारते रहना जहाँ श्रीकृष्ण गाएँ चराया करते थे और विश्राम किया करते थे। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि कवि रसखान श्रीकृष्ण का अनन्य भक्त है। वह श्रीकृष्ण से ही नहीं वरन उनसे जुड़ी हर वस्तु से अत्यधिक लगाव रखता है। इन वस्तुओं को पाने के लिए वह अपना हर सुख त्यागने को तैयार है। यह श्रीकृष्ण के प्रति कवि की भक्ति भावना की पराकाष्ठा है।
प्रश्न: ‘या मुरली मुरलीधर की अधरा न धरी अधरा न धरौंगी’ का भाव स्पष्ट करते हुए बताइए कि गोपी ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर: भाव यह है कि गोपी श्रीकृष्ण का रूप बनाने के लिए उनकी हर वस्तु धारण करने को तैयार है पर उनकी मुरली नहीं, क्योंकि गोपी मुरली से ईर्ष्या भाव रखती है। इसी मुरली ने गोपियों को कृष्ण से दूर कर रखा है। कृष्ण के होठों से लगकर मुरली गोपियों की व्यथा बढ़ाती है।
9th Class (CBSE) Hindi क्षितिज
गद्य – खंड
- Chapter 01: दो बैलों की कथा
- Chapter 02: ल्हासा की ओर
- Chapter 03: उपभोक्तावाद की संस्कृति
- Chapter 04: साँवले सपनों की याद
- Chapter 05: नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
- Chapter 06: प्रेमचंद के फटे जूते
- Chapter 07: मेरे बचपन के दिन
- Chapter 08: एक कुत्ता और एक मैना
काव्य – खंड
- Chapter 09: साखियाँ एवं सबद
- Chapter 10: वाख
- Chapter 11: सवैये
- Chapter 12: कैदी और कोकिला
- Chapter 13: ग्राम श्री
- Chapter 14: चंद्र गहना से लौटती बेर
- Chapter 15: मेघ आए
- Chapter 16: यमराज की दिशा
- Chapter 17: बच्चे काम पर जा रहे हैं