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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध Hindi Essay on Ideal Student

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध Hindi Essay on Ideal Student

आदर्श विद्यार्थी का अर्थ है – श्रेष्ठ आचरण करने वाला विद्यार्थी। वैसे तो मानव जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त कुछ न कुछ सीखता है परन्तु जीवन में विद्या प्राप्त करने की विशेष अवस्था को विद्यार्थी-जीवन कहते है। विद्या को नियमित रूप से प्राप्त करने वाला विद्यार्थी कहलाता है। विद्यार्थी का आदर्श विद्या-प्राप्ति है, किन्तु आदर्श विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों के लिए आदर्श होता है।

आदर्श विद्यार्थी विद्या प्रेमी होता है। वह केवल पुस्तकों का अध्ययन ही नहीं करता अपितु मनन भी करता है। कक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त करने के लिए आलस्य-रहित होकर स्वाध्याय करता है। आदर्श विद्यार्थी विद्या के प्रति कभी भी उदासीन नहीं होता। वह अपना पाठ नित्य स्मरण करता है। वह जिज्ञासु प्रवृत्ति का विद्यार्थी होता है और हर क्षण कुछ न कुछ सीखने के लिए तैयार रहता है। यदि उसे स्वयं नहीं आता तो वह अपने से छोटों से भी पूछने में अपना अपमान नहीं समझता। वह विद्यार्थी-जीवन के अमूल्य महत्व को ध्यान में रखकर विद्या-प्राप्ति के प्रति असावधानी नहीं बरतता। कठोर परिश्रम करके विद्या प्राप्त करना उसका एकमात्र लक्ष्य होता है क्योंकि यही विद्या उसे विनयशील बनाती है।

आदर्श विद्यार्थी का यह अर्थ कदापि नहीं कि वह मात्र किताबी-कीड़ा बना रहे। उसे विद्याध्यन के साथ-साथ खेलकूद में भी भाग लेना चाहिए। “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है” इस बात को ध्यान में रखकर खेल के समय खेल और पढ़ाई के समय पढ़ना चाहिए।

सादा जीवन उच्च विचार” के सिद्धान्तों का आदर्श विद्यार्थी को सदैव पालन करना चाहिए। उसे शरीर को सुन्दर बनाने वाले सजावटी वस्त्र और आभूषणों के उपयोग बचना चाहिए। क्योंकि यह सौन्दर्य प्रसाधन विद्यार्थी को अपनी ओर खींचते हैं जिससे उनका बालक मन विद्याध्ययन से दूर हो जाता है। उच्च विचार रखने वाला मन कलुषित हो जाता है।

आदर्श विद्यार्थी का उद्देश्य होता है कि सदाचार और आदशवान् बनकर अपने अन्य सहपाठियों को अपने नैतिक गुणों द्वारा प्रभावित करना। वह अपने गुरुजनों और माता-पिता का सदैव सम्मान करता है। अपने सहपाठियों के प्रति प्रेम भाव रखता है और कष्ट में उनकी सहायता करता है।

घर के आवश्यक कार्यों में सहयोग देता है। सन्तुलित और पौष्टिक आहार ग्रहण करता है। सबसे मेल-मिलाप की भावना के कारण उसके शत्रु भी नहीं होते। वह नियम पूर्वक विद्यालय जाता है और अपना गृहकार्य भी पूर्ण करता है।

आदर्श विद्यार्थी को अहंकार और क्रोध से दूर रहना चाहिए। परोपकारी बनकर नि:स्वार्थ भाव से दूसरों को सेवा करनी चाहिए। मधुर भाषी और सत्य-वक्ता होना चाहिए। महात्माओं के जीवन-चरित्र पढ़कर उन्हीं गुणों को आत्मसात करना चाहिए अर्थात् उनके जैसा बनने की कोशिश करनी चाहिए।

आदर्श विद्यार्थी अपने आदर्श कार्यों और नैतिक आदर्शों के द्वारा सब के हृदय पर छा जाता है। वही राष्ट्र का भावी कर्णधार बनता है।

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