बाल दिवस पर हिंदी निबंध [1] ~ 420 Words
बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर भारत के प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरु का जन्म दिवस 14 नवम्बर ‘बाल-दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है। नेहरु जी बच्चों से बहुत स्नेह करते थे। उनके साथ मिलकर वह स्वयं भी बच्चे बन जाते थे। इसलिए बच्चे उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरु’ कहते थे। इन्हीं बच्चों की मुस्कान के लिए उन्होंने अपना जन्मदिन इन्हीं बच्चों को भेंट कर दिया।
14 नवम्बर को प्रतिवर्ष स्कूलों में भी उनका जन्म दिवस मनाया जाता है। विद्यालय में तरह-तरह के कार्यक्रम, वाद-विवाद प्रतियोगिताएं, नृत्य, संगीत, नाटक, निबंध, कविता पाठ, मूक अभिनय, फैशन शो, खेल-कूद की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। प्रतियोगिता में विजयी छात्र -छात्राओं लो पुरस्कार दिए जाते हैं।
भारत की राजधानी दिल्ली में इण्डिया गेट के निकट ‘नेशनल स्टेडियम’ में छात्र-छात्राएं एकत्रित होते हैं। वहाँ पर बच्चे सामूहिक व्यायाम, ड्रिल और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री उपस्थित रहते हैं और अपने भाषण में बच्चों को देशभक्ति और नेहरु जी के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा देते हैं। अन्त में बच्चों में नेहरू जी का स्मृति चिन्ह गुलाब, मिठाइयां और पुरस्कार वितरित किये जाते हैं।
इसी तरह के कार्यक्रम राज्यों की राज्य सरकारें भी आयोजित करती हैं। बाल दिवस पर केवल बाल-कल्याण के बारे में ही विचार करना चाहिए। उनकी प्राथमिक शिक्षा को सुचारू रूप से चलाने के सरकार को कदम उठाने चाहिए। बाल मजदूरी प्रथा समाप्त करनी चाहिए। प्रतियोगिता में अधिक से अधिक छात्र लें इस बात का ध्यान अध्यापक को रखना चाहिए। प्रोत्साहन पुरस्कार देकर उनको प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे उनमें आत्मविश्वास जागृत हो। यही पढ़ लिखकर ‘देश के सिपाही‘ की भूमिका निभायेंगे। ध्रुव, अभिमन्यु, हकीकत, चंद्रशेखर आजाद सभी ने अपनी बाल्यावस्था में ही इतिहास लिख कर, देश को अपनी पहचान दी थी। बच्चों में आदर्शों की नींव मजबूत होनी चाहिए, जिससे उनका शिक्षा रूपी भवन मजबूती से खड़ा रहे और अविश्वास की आंधियों से गिरे नहीं। बाल दिवस का आयोजन इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर करना चाहिए।
गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस की तरह ही बाल दिवस भी बच्चों के लिए महत्त्वपूर्ण है। इस समारोह में बच्चे अपनी प्रतिभा को निखारते हैं और सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर होते हैं। बाल दिवस पर अध्यापकों के अतिरिक्त अभिभावकों का भी पूर्ण सहयोग होना चाहिए।