मुख्य पर्व से लगभग सप्ताह भर पहले ही धूमधाम प्रारम्भ हो जाती है। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं। जैसे दीपावली से पूर्व भारत में होती है। घरों, दूकानों दफ्तरों, स्कूल, कॉलिजों में सफाई अभियान चलाया जाता है। सफेदी और रंग-रोगन के द्वारा महल से ले कर झोपड़ी तक जगमगाने लगती हैं। दुकानें सामान से पट जाती हैं। मिठाइयां नये-नये वस्त्र और नये-नये उपहार लोगों को बराबर अपनी और आकर्षित करते हैं। त्योहार की खुशी में घरों के आंगन में क्रिसमस का वृक्ष सजाया जाता है। उसके ऊपर चित्र, फल-फुल, गुब्बारे और खिलौने लटकाये जाते हैं। त्योहार के दिन गिरजाघरों को उसी प्रकार सजाया जाता है। जैसे हिन्दू मंदिरों को सजाते हैं। पर्व का प्रारम्भ गिरजाघरों में विशेष स्रोतों (हर्षगीतों) से होता है। यह पर्व 25 सितम्बर से नववर्ष तक चलता रहता है। लोग अपने प्रियजनों में मिठाइयां बांटते हैं। एक-दुसरे के घर जाकर बधाई देते हैं। इस अवसर पर प्रीति-भोजों का आयोजन किया जाता है। इस दिन रात को दीपकों और बत्तियों से सारा नगर प्रकाशित हो उठता है। जगह-जगह नाटक खेल कर ईसा मसीह के जीवन वृत्तांत की घटनाएं प्रस्तुत की जाती हैं। बड़े-बड़े नगरों में जलूस भी निकले जाते हैं। क्रिसमस की रात को बच्चों के सिरहाने के निचे टाफियां, खिलौने और मेवे रख दिये जाते हैं। प्रातः काल होने पर बच्चों को बताया जाता है कि दयालु वृद्ध सान्ता क्लाज उपहार उन के लिए रख गया है।
क्रिसमस का पर्व पुनर्मिलन का पर्व है। इस दिन लोग अपने परिवारों में आकर मिलते हैं। दूर-दूर नौकरी करने वाले अथवा रहने वाले एक स्थान पर एकत्र होकर त्यौहार मनाते हैं। आज क्रिसमस का त्यौहार पुरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दू लोग अपने इसाई मित्रों को बधाइयां देते हैं, शुभकामनाएं और उपहार भेंट करते हैं। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ईसाई बंधुओं को शुभकामनाएं अर्पित करते हैं। क्रिसमस का त्यौहार हमें सेवा, त्याग और क्षमाशीलता का संदेश देता है।