Tuesday , November 5 2024
आदर्श विद्यार्थी पर निबंध Hindi Essay on Ideal Student

अनुशासन पर विद्यार्थियों और बच्चों के लिए हिंदी निबंध

अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है – ‘शासन के पीछे चलना‘। अपने पथ-प्रदर्शक जैसे जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गाँधी आदि की तरह उनके आदेशों के नियन्त्रण में रहकर नियमबद्ध जीवन व्यतीत करना अनुशासन कहलाता है।

अनुशासन का प्रथम केन्द्र उसके माता-पिता हैं जहाँ बालक अनुशासन का पाठ सीखता है। इसके पश्चात् विद्यालय जाकर गुरु से अनुशासन का पाठ पढ़ता है। जो बच्चा प्रारम्भ से ही अनुशासित होगा तो वह समस्त समस्याओं का समाधान भविष्य में करने में सक्षम रहेगा। अपने माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान भी करेगा। जो माता-पिता बच्चों को अनुशासन में नहीं रखते वह स्वयं उनसे भविष्य में अपमानित होते हैं। ऐसा बालक गुरु का भी सम्मान नहीं करता।

अनुशासन की शिक्षा के लिए सवोत्तम केन्द्र विद्यालय है। यहाँ उन्हें अनुशासन की पूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए। जिससे वह कक्षा में झगड़ा न करे, गुरु का सम्मान करें, उसकी अनुपस्थिति में शोर न करें, कक्षा में पढ़ाए जा रहे पाठ को ध्यान से सुने। पाश्चात्य देशों में बच्चे को सबसे पहले अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है। अनुशासन प्रियता को उनमें कूट-कूटकर भरा जाता है। पाश्चात्य देश अनुशासित रहने में जितने आगे हैं भारतीय उतने ही पीछे।

अनुशासन के नाम पर छोटे बच्चे को अधिक दण्डित नहीं किया जाना चाहिए। अधिकतर देखा जाता है माता-पिता अनुशासन सिखाने के नाम पर बच्चे को पीटते हैं। ऐसे में बच्चे की कोमल भावनाएँ कुचल जाती हैं, वह अपराधी की तरह अनुशासन तोड़ने की खोज में रहता है।

हमारे देश में अनुशासन की स्थिति बड़ी भयानक है। कार्यालयों में व्यक्ति समय पर नहीं पहुँचते। बिना रिश्वत लिए काम नहीं करते। विधान सभा में देश की समस्याओं को निपटाने की जगह गाली-गलौच और शोर-शराबा होता है। अध्यापक और अध्यापिकाएँ सड़कों पर नार लगाते हैं। डाक्टर हड़ताल पर चले जाते हैं। ऐसी स्थिति में राष्ट्र अनुशासन हीनता की और बढ़ता है।

महाविद्याल्य और विश्वविद्यालय राजनीति के अखाड़े बनते जा रहे हैं। जब यहाँ पर छात्र संघ के चुनाव होते हैं तो ऐसा लगता है मानों देश में आम चुनाव हो रहे हों। ऐसे में सरस्वती का मन्दिर राजनीति का अड्डा बन जाता है।

अनुशासनहीनता के लिए हमारी शिक्षा पद्धति भी जिम्मेदार है। आज की शिक्षा बरोजगार की लौर ले जाती है, छात्रों को पढ़ लिख कर नौकरी नहीं मिलती। ऐसे में छात्र पथराव, हड़ताल, गाड़ियों में आग लगाना, तोडफोड़ करता है। अपने भविष्य की अनिश्चितता उसे आक्रोशी बना देती है। ऐसे में कई बार छात्र पथ-भ्रष्ट भी हो जाता हैं।

अनुशासन में रहकर ही व्यक्ति अपनी सर्वागीण विकास कर सकता है। वही नन्हा- मुन्ना राही देश के सिपाही की भूमिका निभाता है। अनुशासन में केवल मानव ही नहीं रहता अपितु यह प्रकृति भी रहती है। यदि नदी अनुशासनहीन हो जाए तो कीचड़ बन जाती, गंगा नहीं बन पाती। पेड़ के यदि निचले तने फैलने लगे तो वह ऊंचा नहीं उठ पाता। सूर्य और चन्द्रमा समय पर उदय और अस्त होते है। सभी ऋतुएं समय पर आती हैं। वृक्ष समय पर फल और फूल देते हैं। यदि प्रकृति एक पल के लिए भी अनुशासनहीन हो जाए तो देश में प्रलय आ जाएगी। अनुशासनहीन नदी जिस प्रकार सुन्दर शहर और गाँव को बहा कर ले जाती है और श्मशान बना देती है उसी प्रकार छात्र अनुशासन हीन होते हैं। अपनी अनुशासनहीनता के कारण ही भारत हजारों वर्षों तक दासता की जंजीरों में जकड़ा रहा।

अनुशासन जीवन को सुखमय बनाता है। जीवन को लक्ष्य की ओर ले जाता है। लक्ष्य प्राप्ति मानव को सुखी और सम्पन्न कर देती है। सुन्दर और स्वस्थ राष्ट्र की कल्पना हम अनुशासन में ही कर सकते हैं।

Check Also

दशहरा पर 10 लाइन: विजयादशमी के त्यौहार पर दस पंक्तियां

दशहरा पर 10 लाइन: विजयादशमी के त्यौहार पर दस पंक्तियां

दशहरा पर 10 लाइन: दशहरा भगवान राम की रावण पर विजय का उत्सव है, जो …