Monday , November 4 2024
ईद त्योहार पर विद्यार्थियों और बच्चों के लिए निबंध

ईद त्योहार पर विद्यार्थियों और बच्चों के लिए निबंध

इस्लाम धर्म माननेवालों का मूल निवास-स्थान प्रकृति के वरदानों से वंचित रहा है। मध्य एशिया की जमीन अनुर्वर है, जलवायु खेती-बाड़ी और अनाज-उत्पादन की दृष्टी से प्रतिकूल है। अतः वहाँ भारत की तरह न प्राकृतिक संसाधन हैं और न खुशहाली। त्योहार मनाने के लिए जिन अनुकूल, सुखद, उल्लासपूर्ण परिस्थितियों की आवश्यकता होती है उनका इस प्रदेश में अभाव ही रहा है। यही कारण है कि मुसलमान वर्ष में केवल दो-तीन त्यौहार ही मनाते हैं। इनमें भी सबसे महत्त्वपूर्ण त्यौहार है ईद। ईद शब्द ही प्रसन्नता का भाव प्रकट करनेवाला है। उसके साथ जो मुहावरे जुड़े हैं-जैसे ईद ही ईद है, ईद का चान्द  मुस्करा रहा है, तुम तो ईद के चांद हो गये आदि वे भी प्रसन्नता के द्योतक हैं। मुसलमान हिजरी संवत् तथा चन्द्रमा के उदय के आधार पर काल-गणना करते हैं। यही कारण है कि जिसे हम पूर्णिमा कहते हैं, उसे वे चौदहवीं का चांद कहते हैं। पाकिस्तान हिन्दुस्तान से एक दिन पहले चौदह अगस्त को आजादी का जश्न मनाता है।

ईद का त्योहार हर वर्ष एक बार नहीं दो बार आता है। एक को ईद-उल-फितर कहते हैं और दूसरे को ईद-उल-जुहा नाम दिया गया है। इनके मनाने का न कोई निश्चित महीना है और न कोई निश्चित तिथि। चन्द्रमा दिखाई देने पर ही निर्णय होता है कि ईद कब मनाई जायेगी। यदि एक स्थान पर चाँद आज दिखाई दे गया तो कल ईद मनाये जाने की घोषणा होती है और यदि एक दिन बाद दिखाई देता है तो परसों ईद मनाई जाती है। यही कारण है कि भारत में कई बार विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न तिथियों को ईद मनाई जाती है। दिल्ली में आज चाँद दिखाई दे गया तो ईद कल मनाई जाएगी और कलकत्ता, मुम्बई, चेन्नई या केरल में चाँद आज न दिखाई दिया तो वहाँ एक दिन बाद ईद का त्यौहार मनाया है।

ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा दोनों पवित्र दिन हैं, खुशी के त्योहार हैं, मधुर-मिलन और हर्षोल्लास के अवसर हैं, दोनों दिन मस्जिदों में विशेष नमाज अता की जाती है, नमाज के बाद इमाम सन्देश देता है। घरों में सिवैयां आदि स्वादिष्ट पदार्थ बनाये जाते हैं, नये-नये कपड़े पहने जाते हैं, मेले लगते हैं, उनमें विभिन्न वस्तुओं की दुकानें लगती हैं, लोग विशेषकर स्त्रियाँ और बच्चे खरीदारी करते हैं। अन्तर यह है कि ईद-उल-फितर के दिन मांसाहारी भोजन किया जाता है। उस दिन बकरे का बलिदान कर, उसे हलाल कर उसके मांस से बने व्यंजन-शीरनी नियाज या प्रसाद के रूप में बाँटकर खाने-खिलाने की परम्परा है।

ईद-उल-जुहा अधिक सात्विक एवं पवित्र त्यौहार है। वह न केवल तन को स्वच्छ रखने, घरों को सजाने-सँवारने का संदेश लेकर आता है अपितु हृदय, आत्मा, आचार-व्यवहार को भी शुद्ध करने का संदेश देता है। ईद-उल-जुहा से पहले रमजान का पवित्र महीना होता है। पूरे महीने धार्मिक मनोवृत्ति के मुसलमान रोजा रखते हैं अर्थात् सूर्योदय से पूर्व कुछ खा-पीकर दिन-भर उपवास करते हैं, कोई भी अनुचित काम नहीं करते, आचार-विचार-शुद्ध रखते हैं, सन्ध्या समय सूर्यास्त के बाद दान-पूण्य करने,गरीबों, अनाथों, रोगियों, विकलांगों को भोजन कराने के बाद ही स्वयं कुछ खाते-पीते हैं, रोजे का उपारण करते हैं। इस महीने में ये धार्मिक प्रवृत्ति के लोग दिन में पाँच बार नमाज पढ़ते हैं। पूरे महीने यह क्रम चलता रहता है। एक मास बाद जब आकाश में द्वितीया का चाँद दिखाई देता है तो अगले दिन ईद मनाई जाती है।

ईद के दिन प्रातःकाल होते ही मुसलमान स्नान करते हैं, इस शुभ अवसर के लिए बनाये गये नए कपड़े पहनते हैं, सजधज कर किसी पास की मस्जिद में या ईदगाह में जाकर नमाज़ अता करते हैं। वहाँ सामूहिक नमाज पढ़ी जाती है। लयबद्ध तरीके से नमाज की विभिन्न मुद्राओं में उठते-बैठते श्रद्धालु, भक्त मुसलमानों को देखकर मन आश्चर्य-विमुग्ध हो जाता है। नमाज के बाद सब एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हुए परस्पर गले मिलते हैं। ईदगाह में मेला लगता है। वहाँ तरह-तरह की मिठाइयाँ, फलों, खिलौनों, घरलू कामकाज की चीजों की दुकानें लगती हैं। बच्चों के लिए यह मेला विशेष आकर्षण का केन्द्र होता है। घरवालों से मिले पैसों से वे मनपसन्द चीजें खाते हैं, खरीदते हैं, एक-दूसरे को दिखाकर अपने को सुर्खरू करने की चेष्टा करते हैं। प्रेमचन्द की कहानी ‘ईदगाह‘ जिन्होंने पढ़ी है उनके सामने ईद के मेले का दृश्य तो साकार होता ही है, मुस्लिम सभ्यता, संस्कृति, गार्हस्थिक जीवन और बच्चों की मनोवृत्ति का भी पता चल जाता है। हिन्दू मुसलमानों के घर जाकर उन्हें बधाई देते हैं और मुसलमान भाई उन्हें स्वादिष्ट सिवैयाँ खिलाकर उनका आतिथ्य करते हैं।

सारांश यह कि ईद का त्यौहार प्रसन्नता, पवित्रता, खुशी, प्रेम, भाईचारे, दान-दक्षिणा, गरीबों की सहायता करने का सन्देश देनेवाला पावन पर्व है। इससे इस्लामी जीवन-पद्धति और संस्कृति की झलक भी मिलती है।

Check Also

दशहरा पर 10 लाइन: विजयादशमी के त्यौहार पर दस पंक्तियां

दशहरा पर 10 लाइन: विजयादशमी के त्यौहार पर दस पंक्तियां

दशहरा पर 10 लाइन: दशहरा भगवान राम की रावण पर विजय का उत्सव है, जो …