मैंने भी एक नन्ही, प्यारी-सी बिल्ली पाल रखी है। इस का रंग श्वेत एवं गेहुआं है। इसकी आंखे चमकदार और नीले रंग की हैं। मैं और मेरे घर वाले इसे प्यार से ‘रानी’ कहकर पुकारते हैं। रानी कहते ही वह मेरे पास दौड़ती चली आती है। मैं रानी को प्रतिदिन दूध, डबल रोटी और बिस्कुट खिलाता हूँ। इसे प्रतिदिन साबुन से स्नान कराता हूं।
साधारण भारतीय जातिगत आधार पर बिल्ली को ब्राह्मणी मानते हैं। बिल्लियां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार की होती हैं। मेरी बिल्ली रानी पूर्णतया शाकाहारी है। रानी बड़ी आज्ञाकारिणी है। वह घर में गंदगी नहीं फैलाती।
नित्यकर्म के लिए मैं उसे बाहर ले जाता हूं। शाम को उसे लेकर मैं समीप के पार्क में चला जाता हूँ। मैं वहाँ उसके साथ खेलता हूँ। कभी दौड़ता हूँ, कभी कूदता हूँ। वह पूँछ हिलाकर और म्याऊँ-म्याऊँ करके अपनी प्ररान्नता प्रकट करती है।
रानी घर में स्वतंत्रता पूर्वक घूमती फिरती है। परन्तु खाने की चीजें खराब नहीं करती। जैसे ही द्वार की घंटी बजती है, उसके कान खड़े हो जाते हैं। तुरन्त द्वार की ओर भाग जाती है मानों हमारा स्वागत कर रही हो। कभी-कभी वह किसी चूहे को मुंह में दबाकर बाहर भाग जाती है।
कुत्ता बिल्ली का शत्रु होता है। पर रानी इतनी स्वस्थ है कि छोटे-मोटे कुत्ते पर तो झपट ही पड़ती हैं। सर्दियों के दिनों में वह छत पर धूप सेंकती है और ग्रीष्म ऋतु में सोफे और पलंग के नीचे विश्राम करती है। रानी मुझे बहुत प्रिय है। यदि मैं कही बाहर जाता हूँ तो मुझे उसकी बहुत याद आती है।