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विज्ञान के वरदान पर निबंध: Hindi Essays on the Gift of Science

विज्ञान के वरदान पर निबंध: Hindi Essays on the Gift of Science

इस सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा, पालन कर्त्ता विष्णु और संहारक शिव हैं। लेकिन मानव के नए-नए आविष्कारों को देखकर ऐसा लगता है इन तीनों महाशक्तियों को मानव ने अपने हाथों की कठपुतली बना लिया है। परखनली में शिशु को जन्म देकर ब्रह्मा को चौंका दिया।

नए-नए उद्योग, कारखाने और कम्पनियां लगाकर वह मानव का पालन कर रहा है परमाणु बम का निर्माण कर सृष्टि का संहार कर सकता है। जैसे अमरीका ने जापान पर परमाणु बम गिराकर नरसंहार की एक झलक दिखाई।

विज्ञान पृथ्वी के लिए कामधेनु है जिसके द्वारा बहरा सुन सकता है, अन्धों को आखें दी जा सकती हैं, कृत्रिम पैर लगाकर मानव न केवल चल ही सकता है बल्कि अपना लक्ष्य भी प्राप्त कर सकता है। जैसे बिना पैरों के सुधा रमन्नन ने नृत्य जगत में धूम मचा दी।

मानव अपनी आवश्यकताओं के लिए नए-नए आविष्कार करता रहा है और कर रहा है। मोटर साइकिल, हवाई जहाज, कार, रेलगाड़ी का निर्माण किया जिससे घंटों की यात्रा मिनटों में हो जाती है। बेतार के तार टेलीफोन को बनाना जिसके द्वारा हम देश और विदेश दोनों जगह वार्तालाप कर सकते हैं।

जीवन को संगीतमय बनाने के लिएदूरदर्शन, रेडियो, टेप रिर्काडर बनाए। पैन, पेंसिल बनाकर लेखन कला को समृद्ध किया। पानी से बिजली बनाकर अमावस्या की रात को पूर्णिमा में बदल दिया। गूंगे, बहरे और अन्धों के लिए उनके अनुरूप यन्त्रों का आविष्कार किया, जिससे वह सामान्य जीवन व्यतीत कर सके।

एक्स-रे का निर्माण कर मानव ने भीतरी अंगों के चित्र लिए। गर्मी को दूर करने के लिए कूलर, पंखे और सर्दी को दूर करने के लिए हीटर बनाए। देश और विदेश की जानकारी प्राप्त करने के लिए टेलीविजन बनाया जिसे न केवल सुना जा सकता है अपितु देख भी सकते हैं। खेती के लिए नए-नए तरीके और औजार बनाए, गैस चालित चूल्हों का निर्माण किया।

कपड़े धोने की मशीन, जल निकासी के लिए जमीन के भीतर नालियां, कीट-पतंगों के नाश के लिए जहरीली दवाएं, स्वास्थ्यवर्धक इंजैक्शन, हृदय रोपण, शल्य-चिकित्सा, प्लास्टिक सर्जरी, कपड़े सीने की मशीन, गेहूं पीसने की मशीन, कम्प्यूटर, फैक्स, इलैक्ट्रोस्ट्रेट मशीन, कैमरा जैसी मानवोपयोगी वस्तुएं बनाईं। हर मौसम के फलों और सब्जियों को सुरक्षित रखकर प्रकृति को अपना दास बनाया।

विज्ञान के जहाँ अनेक लाभ हैं वहाँ हानियाँ भी हैं। यातायात की दुर्घटनाओं को बढ़ना, एक देश का दूसरे देश के साथ हथियार लेकर लड़ना, ज्वलनशील पदार्थ फेंकना, बम के द्वारा नुकसान पहुँचाना। परमाणु बम का भय दिखाकर छोटे देशों को दबाना। सभी कार्य मशीनों द्वारा होने से मानव निकम्मा और आलसी हो गया हैं।

दस व्यक्तियों का काम एक अकेली मशीन के द्वारा होने से बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई। घरेलू गैस का तनिक भी असावधानी से प्रयोग होने पर भयंकर विस्फोट को होना आम बात है। विज्ञान ‘अलादीन के चिराग’ की तरह मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। सभी क्षेत्रों में अपनी विजय पताका लहरा रहा है। यह मानव के ऊपर है कि वह किस तरह इसका उपयोग करता है। विज्ञान केवल तब तक वरदान है जब तक हम उसका सही उपयोग करें अन्यथा अभिशाप।

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