Sunday , December 22 2024
लोहड़ी पर हिन्दी निबंध विद्यार्थियों के लिए

लोहड़ी पर हिन्दी निबंध विद्यार्थियों के लिए

बैशाखी के समान लोहड़ी भी मुख्यतः पंजाब, हरियाणा और अब दिल्ली में मनाया जानेवाला त्यौहार है। इस त्यौहार का संबंध भी मौसम और फसल से है। पंजाब के रहनेवाले तथा पंजाबी सभ्यता-संस्कृति के माननेवाले विश्व के किसी भी भाग में रहते हों, इस त्यौहार को परम्परागत रीती और हर्षोल्लास से मनाते हैं। इस त्यौहार का सबंध भी धर्म या अध्याम से न होकर क्षेत्र-विशेष की जीवन-पद्धति से है। लोहड़ी का त्यौहार मकर संक्रान्ति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। भारतीय काल-गणना के हिसाब से यह पौष मास की अंतिम रात को मनाया जाता है। अंग्रेजी महीनों के हिसाब से यह यह 13 जनवरी को मनाया जाता है। पूस के महीने में शीत, कड़ाके की ठंड पड़ती है। शिशिर ऋतु अपने भरपूर यौवन में होती है। लगता है कि इस कड़ाके की ठंड से बचने के लिए लोग आग जलाकर तापते होंगे। बाद में यह परम्परा बन गया। आजकल लोहड़ी के दिन रात को वैयक्तिक रूप से घरों तथा सामूहिक रूप से किसी सार्वजनिक स्थल पर होली के लघु रूप में आग जलाई जाती है। जिस तरह होली-दहन से पूर्व उसकी पूजा होती है उसी तरह लोहड़ी के अग्नि-पुंज की भी पूजा-आरती की जाती हैं। पूजा में तिल के बने पदार्थ तथा मक्का के फुल्ले अग्नि को समर्पित किये जाते हैं। ऐसा करते समय वहाँ एकत्र जन-समूह, बच्चे, युवक, किशोर, युवतियाँ, व्यस्क सब गीत गाते हैं और नाचते भी हैं। आग तापते हुए वे एक-दूसरे के गले मिलते हैं, बधाइयाँ देते हैं, शुभकामनाएँ करते हैं। सब मिलकर तिल के बने हुए व्यंजन-रेबड़ी, गज्जक, तिल के लड्डू, मूँगफली, मक्के के फूले आदि खाते-खिलाते हैं। ये सब पदार्थ शरीर को शीत से बचने की शक्ति प्रदान करते हैं।

लोहड़ी पर हिन्दी निबंध विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

कुछ लोग इस त्यौहार का सम्बन्ध फसल की कटाई से भी जोड़ते हैं। इस मौसम में ईख की फसल काटकर उसके रस से गुड़ तैयार होने लगता है। लोहड़ी की रात को अनेक घरों में गन्ने के रस की खीर पकाई जाती है जिसे अगले दिन प्रातःकाल दूध में मिलाकर खाया जाता है। यह व्यंजन भी पौष्टिक तथा शरीर को शक्ति एवं गर्मी प्रदान करता है। कुछ घरों में लोहड़ी की रात को सरसों का साग भी पकाया जाता है। इस प्रकार ईख, मक्का, तिल का व्यंजनों में प्रयोग देखकर स्पष्ट कि इस त्यौहार का संबंध भी खेती-बाड़ी और फसल से है।

लोहड़ी के अवसर पर माता-पिता अपनी विवाहित बेटियों को उपहार देते हैं जिनमें ये सब व्यंजन शामिल होते हैं। नव-विवाहित दम्पतियों तथा नवजात शिशुओं के घरों में यह त्यौहार विशेष हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

पहले लोहड़ी की आग जलाने के लिए बालक-बालिकाएँ, किशोर-किशोरियाँ घर-घर जाकर लकड़ियाँ, उपले माँगने जाते थे पर अब यह प्रथा लगभग समाप्त हो गई है। फिर भी कुछ बच्चे घरों में जाकर लोहड़ी के लिए रेबड़ी, गज्जक, मूँगफली, मक्के के दाने और पैसे एकत्र करते हैं। पैसों से लकड़ियाँ खरीदी जाती हैं।

लोहड़ी के साथ एक लोक-कथा भी जुड़ी हुई है। कहते हैं कि पंजाब के गंजीवार इलाके में एक ब्राह्मण परिवार रहता था। किसी शाही खानदान के विलासी युवक की दृष्टि उस ब्राह्मण की अपूर्व सुन्दरी कन्या पर पड़ गई। उसने उस सुन्दरी को अपने हरम में डालना चाहा। गरीब, असहाय ब्राहम्ण ने जंगल में रहनेवाले एक डाकू से सहायता की याचना की। इस डाकू का नाम दुल्ला भट्टी था। दुल्ले ने शरण में आये विप्र की सहायता की, उसकी युवा, सुन्दर बेटी को अपनी बेटी मानकर उसका विवाह एक ब्राह्मण युवक से कर दिया। हिन्दुओं में वर-वधू अग्नि की प्रदक्षिणा कर सात फेरे लेते हैं। वही इस अवसर पर भी किया गया। पुत्री को करते समय दुल्ले ने उपहार के रूप में तिल-गुड़, शक्कर दिये। इसी घटना की स्मृति में यह त्यौहार मनाया जाने लगा। आज भी दुल्ले की सहृदयता और समय पर सहायता के लिए लोग उसके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए यह लोक-गीत गाते हैं –

सुन्दर-सुन्दरी होए तेरा कौन बेचारा हो,
दुल्ला भट्टीवाला हो,
दुल्ले धी ब्याही हो, सेर-शक्कर पाई हो

जो भी हो लोहड़ी ऋतु और फसल का त्यौहार है। पंजाब संस्कृति की झलक इसमें स्पष्ट दिखाई देती है। इससे पता चलता है कि सामान्य जन भी जानता था कि शीत ऋतु में स्वस्थ रहने, शीत से बचने के लिए कौन-से पदार्थ, कौन-से व्यंजन उपयोगी होते हैं। यह मैत्री, सहयोग और भाईचारे का भी सन्देश देता है।

Check Also

रतन टाटा पर हिंदी निबंध विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

रतन टाटा पर हिंदी निबंध विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

Ratan Tata Essay in Hindi: रतन टाटा प्रेरणा निबंध: भारत के सबसे सम्मानित और प्रभावशाली …