विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।।
हमारा राष्ट्रीय ध्वज केसरीया, श्वेत और हरे रंगों से बना है। इस के मध्य में अशोक चक्र है। इस चक्र में चौबीस शलाकाएं हैं और इसका रंग गहरा नीला (Navy Blue) है। भारत सरकार ने सम्राट अशोक के इस चक्र को ग्रहण कर भारतीय प्राचीन गौरव की रक्षा की है।
तिरंगे के तीन रंग अपने विशेष गुणों के प्रतीक हैं। केसरिया रंग उत्साह और वीरता का परिचायक है। इसी से प्रेरणा लेकर देश के अगणित वीरों ने देश की स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी। श्वेत रंग हमारी पवित्रता, उज्यल चारित्रिकता सत्य और सांस्कृतिक श्रेष्ठता का प्रतीक है। हरा रंग हमारे वैभव, श्री और सम्पत्रता का परिचायक है। लहलहाती हरी-भरी फसलों का रंग ही तो झलकता है, इस हरे रंग में। किसी दिन हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था। यह हरा रंग उसी ओर संकेत करता है। आज हजारे देश ने कृषि उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में जो बहुमुखी प्रगति की है हरा रंग उसी प्रगति का सूचक है।
ध्वज के मध्य में बना अशोक चक्र हमारी धार्मिक स्वतन्त्रता का प्रतीक है। उसकी चौबीस शलाकाएं हमारे विभिन्न धर्मों और उनकी समन्वित सांस्कृतिक एकता तथा ‘सर्वधर्म समभाव’ का परिचायक है। हमारे देश में सभी धर्मों के अनुयायियों को पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त है। सभी धर्म अपनी पूजा-पद्धति अपनाने में स्वतंत्र हैं। सभी धर्म अलग-अलग दिखाई पड़ते हैं। पर अनेकता में एकता ही हमारे राष्ट्र की वह विशेषता है जो विश्व में अन्यत्र दुर्लभ है।
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर यह ध्वज समारोह पूर्वक फहराया जाता है। स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले पर प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है। गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा इंडिया गेट पर ध्वज फहराया जाता है। दोनों ही अवसरों पर इक्कीस तोपों की सलामी दी जाती हैं। सेना की टुकड़िया ध्वज का अभिवादन करती हैं। देश के राज्यों में मुख्यमंत्रियों अथवा राज्यपालों द्वारा ध्वजारोहण किया जाता हैं। विभिन्न देशों में राजदूत ध्वजारोहण करते हैं।
देश के विभिन्न भागों में नगरों और गांवों में भी देश के नागरिक सांसदों, विधान सभा सदस्यों, पार्षदों, और मुख्य अधिकारियों की अध्यक्षता में ध्वजारोहण करते हैं। दोनों ही अवसरों पर राष्ट्रीय-एकता और स्वतंत्रता से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। स्वतंत्रता के प्रतीक तिरंगे के अनन्तकाल तक फहराते रहते की कामना की जाती है। राष्ट्र ध्वज के नीचे दिवंगत स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। हमें इस ध्वज की आन-बान और शान बनाए रखने के लिए प्राणों की परवाह भी नहीं करनी चाहिए।