राष्ट्रीय एकता पर निबंध [1] (900 शब्द)
राष्ट्रीय एकता प्रस्तावना
हमारा भारत देश विविधताओं से भरा देश है, यहा विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, संप्रदायो को मनाने वाले लोग रहते है। हमारा देश बहुभाषी, बहुसांस्कृतिकऔर बहुधर्मी होने के बावजूद भी राष्ट्रीय रुप से एक है। हमारे राष्ट्रीय एकता की भावना ही हमारे देश की एकता का आधार स्तंभ है और एकता में शक्ति की अवधारणा से तो हम सब ही वाकिफ है फिर भी कई सारे ऐसी बाते है, जिन्हें अपनाकर हम अपने देश को और भी ज्यादा संगठित तथा प्रगतिशील बना सकते है।
राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता
भारत में राष्ट्रीय एकता का महत्व बहुत ही बड़ा है। यह हमारे देश की राष्ट्रीय एकता की भावना ही थी, जिसने हमें एक साथ लाकर हमारे देश के आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत से लड़ने के लिए एक किया। कश्मीर में कन्याकुमारी तक फैला हमारा यह भारत देश कई तरह की विविधताओं से भरा हुआ है और ऐसे में हमें एक सूत्र में पिरोये रखने के लिए हमारे अंदर राष्ट्रीय एकता की भावना का होना बहुत ही आवश्यक है।
भले ही अपने देश में हम पंजाबी, गुजराती, मराठी या बिहारी नाम से जाने जाते हैं, लेकिन एक बार हम जब अपने देश के बाहर जाते हैं तो वहां सिर्फ हमें एक भारतीय के रुप में जाना जाता है। वहां हमारे प्रदेश, जाति या धर्म का कोई महत्व नही रह जाता है। इस प्रकार से हम कह सकते है कि हमारी मजबूत अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रस्तुत करने के लिए हममें राष्ट्रीय एकता का होना बहुत ही आवश्यक है।
राष्ट्रीय एकता और अखंडता की अवधारणा
इस बात को लेकर हमेशा सवाल उठते रहते हैं कि भले ही धार्मिक रुप से भारत के हर प्रांत में कई समानताएं रही हो पर प्रचीनकाल में भारत कभी भी एक नही था और इसका वर्तमान रुप अंग्रेजो द्वारा दिया गया पर यह बात सत्य नही है। हमारे देश में राष्ट्रीय एकता और अखंडता की अवधारणा अग्रेंजो के आने से बहुत पहले ही जन्म ले चुकी थी। भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय एकता और अखंडता का पक्ष रखने वाले व्यक्ति आचार्य चाणक्य थे, जिन्होंने ना सिर्फ राष्ट्रीय अखंडता का स्वप्न देखा बल्कि की इसे साकार भी किया।
जब-जब हमारा देश पतन के कगार पर पंहुचकर परतंत्र हुआ, तब-तब हमारी राष्ट्रीय एकता की भावना ने हमें गुलामी के जंजीरो को काटने के लिए साथ आने की प्रेरणा दी फिर चाहे वह 300 ई.पू. आचार्य चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य का समय रहा हो या 1857 ई. में मंगल पांडे द्वारा प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में आजादी के लिए किया गया विद्रोह हो। हमारी राष्ट्रीय एकता की भावना ने ही हमें इनके लिए प्रेरित करने का कार्य किया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्रीय एकता की भूमिका
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए जिस चीज ने लोगों को सबसे अधिक प्रेरित किया, वह हमारी राष्ट्रीय एकता की भावना ही थी। इसी ने हमें हमारे गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए प्रेरित किया और हमें संगठित करने का कार्य किया। जब अंग्रेजों द्वारा जलियावाला बाग कांड जैसा जघन्य अपराध किया गया तो हमारे देश के दूर-दराज के इलाकों में भी विरोध प्रदर्शन हुए और लोगो ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की। यह हमारी राष्ट्रीय एकता की ही भावना थी जिसने पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक हमारे देश को एक करने का कार्य किया और आजादी के लड़ाई के लिए सबको एकजुट किया।
स्वतंत्र भारत के निर्माण में राष्ट्रीय एकता की भूमिका
हमारे राष्ट्रीय एकता के भावना की भूमिका सिर्फ हमारे स्वतंत्रता संर्घष तक ही सीमित नही है बल्कि की इसका मुख्य योगदान तो भारत के स्वतंत्रता के बाद वर्तमान भारत के निर्माण में रहा है। अंग्रेजो ने भारत को स्वतंत्रता प्रदान करने के बाद वापस उसी स्थिति में पहुंचा दिया था, जो उनके आने के पहले थी। उन्होंने आजादी की घोषणा के बाद 584 छोटी-छोटी रियासतों को यह सुविधा प्रदान की अगर वह चाहें तो भारत या पाकिस्तान में मिले या पूर्णतः स्वतंत्र रहे।
इसमें से अधिकतर रियासतों ने अपने राज्यों का विलय गणतांत्रिक भारत में कर दिया परन्तु जूनागढ़, कश्मीर, त्रावणकोर और हैदराबाद जैसी कई रियासतों ने भारतीय गणतंत्र को या तो चुनौती दी या फिर स्वतंत्र रहने की घोषणा की। ऐसे में इनमें से कई प्रांतो की जनता ने खुद को भारतीय नागरिक मानते हुए अपने प्रांत के राजा-महाराजाओं के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, इन घटनाओं से डरकर त्रावणकोण और जूनागढ़ के शासकों ने अपने राज्यों का भारत में विलय कर दिया।
इसके अलावा हमारे देश को एक करने और आजादी के पश्चात हमारे अंदर राष्ट्रीय एकता की भावना को जगाने का सबसे महत्वपूर्ण कार्य भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया। अपने दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति के बलबूते उन्होंने 500 से भी अधिक छोटी-छोटी रियासतों को एक करते हुए ना सिर्फ वर्तमान भारत के रुप को आकार दिया बल्कि की हैदराबाद और जूनागढ़ विद्रोह जैसी घटनाओं पर विजय पाकर विश्व को गणतांत्रिक भारत की शक्ति का भी परिचय दिया।
निष्कर्ष
हमारे राष्ट्रीय एकता का हमारे जीवन और हमारे देश के अस्तित्व में बहुत बड़ा योगदान है। यह हमारी राष्ट्रीय एकता की भावना ही है, जो भारत जैसे विविधतापूर्ण और बहुसांस्कृतिक देश को एक रखने का कार्य करती है। हमारी राष्ट्रीय एकता की भावना ने ही हमें अंग्रेजी हुकूमत से लड़ने के लिए एक किया और हमें स्वतंत्रता दिलाई। यहीं कारण है कि हमारी राष्ट्रीय एकता हमारे लिए इतनी महत्वपूर्ण है।
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