Sunday , December 22 2024
पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर निबंध: सादा जीवन, उच्च विचार और दृढ़ संकल्प व्यक्तित्व के धनी

पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर हिंदी निबंध विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर हिंदी निबंध: पंडित दीनदयाल उपाध्याय सादा जीवन, उच्च विचार और दृढ़ संकल्प व्यक्तित्व के धनी थे। वे एक मेधावी छात्र, संगठक लेखक, पत्रकार, विचारक, राष्ट्रवादी और एक उत्कृष्ट मानवतावादी थे। उनके सामाजिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन में सबसे कमजोर और सबसे गरीब व्यक्ति की चिन्ता सदैव कचैटती थी।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर हिंदी निबंध:

गरीबों व माँ भारती की सेवा करने के भाव को लेकर जबरदस्त उत्साह, जज्बे, जुनून और दृढ़ विश्वास के साथ, वे 1937 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) में शामिल हुए। इसके बाद जनसंघ के महासचिव के रूप में राजनीति में कदम रखा और 29 दिसम्बर 1967 को जनसंघ के अध्यक्ष बने। उन्होने 1951 से 1967 तक इस जिम्मेवारी का बखुबी निर्वहन किया। यह देश में कांग्रेस का राजनीतिक विकल्प था।

उन्होंने स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के एक मजबूत, जीवंत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के विचार को आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया। पूंजीवाद और समाजवाद की जगह पण्डित दीन दयाल उपाध्याय ने स्वराज के रूप में गांधी जी द्वारा परिकल्पित नैतिक मूल्यों और लोकव्यवहार के आधार पर आर्थिक नीतियों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उनके लिए राजनीति जन सेवा का माध्यम थी। वे कहते थे कि राजनीतिक व्यक्ति को जन सेवक के रूप कार्य करना चाहिए।

स्वदेशी आर्थिक मॉडल को अपनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एकात्म-मानववाद को रेखांकित किया। इसमें समावेशी और जन समुदाय को सशक्त बनाने का विचार था। उनका मानना था कि स्वदेशी और लघु उद्योग भारत की आर्थिक योजना की आधारशिला होनी चाहिए, जिसमें सद्भाव, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय नीति और अनुशासन का समावेश हो। स्वदेशी की प्राथमिकता रखते हुए वह विश्व स्तर पर हो रहे नवाचारों को अपनाने के भी कतई खिलाफ नहीं थे। हमारी जरूरतों की वस्तुओं का निर्माण भी देश में ही करना चाहते थे ताकि हम आत्मनिर्भर बनें। वे प्राकृतिक खेती के भी बहुत ही कद्रदान थे। वह जानते थे कि प्राकृतिक खेती से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि कृषि में टिकाऊ और लचीलापन आएगा।

उनका मानना था कि भारतीयता, धर्म, धर्मराज्य, राष्ट्रवादी और अंत्योदय की अवधारणा से ही भारत को विश्व गुरु का स्थान हासिल हो सकता है। सभी के लिए शिक्षा और हर हाथ को काम, हर खेत को पानी के उनके दृष्टिकोण ने ही एक लोकतांत्रिक आर्थिक व्यवस्था में आत्मनिर्भर होने का मार्ग प्रशस्त किया है। पण्डित दीन दयाल जी एक ऐसी व्यवस्था के विरोधी थे जो रोजगार के अवसर को कम करती है लेकिन सामाजिक समानता, पूंजी और सत्ता के विकेंद्रीकरण के पक्षधर थे। स्वतंत्रता, समानता और न्याय की गारंटी देने वाली भारतीय
संस्कृति पर उनका विचार बिल्कुल स्पष्ट था। भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सुशासन के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में व ग्रामीणों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने में दीन दयाल उपाध्याय जी के पदचिन्हों का अनुसरण किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ‘‘लोकल से वोकल’’ का सपना देखना वास्तव में हमारे लिए खुशी की बात है। प्रधानमंत्री जी की इस सोच में पण्डित दीन दयाल जी के विचार पूरी तरह झलकते है।

देश में कोविड -19 महामारी प्रबंधन, वैक्सीन का निर्माण, सामूहिक टीकाकरण अभियान, और ब्वॅप्छ जैसे तकनीकी सिस्टम उपयोग ने पूरी दुनिया के सामने हमारी क्षमताओं को सिद्ध कर दिया है। इसी वजह से अब कोरोना वायरस का मुकाबला करने में हम पूरी तरह सक्षम हैं। यही दीन दयाल जी का ‘स्वदेशी आर्थिक मॉडल’ का विचार था।

आज हमारे स्टार्ट-अप एक मजबूत भारत की नींव रख रहे हैं। देश अब यूनिकॉर्न के शतक की ओर बढ़ रहा है। 2020-21 के दौरान 2.5 लाख से अधिक ट्रेडमार्क पंजीकृत किया जाना इस बात का प्रमाण है कि पंजीकृत स्टार्ट-अप्स ने रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 48,093 स्टार्टअप्स के माध्यम से 5,49,842 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है।

केंद्र सरकार की दीन दयाल अंत्योदय योजना एक व्यापक योजना है जिसका उद्देश्य कौशल विकास और अन्य माध्यमों से आजीविका के अवसरों को बढ़ाकर शहरी और ग्रामीण गरीबों का उत्थान करना है। हरियाणा सरकार भी कई योजनाएं बनाकर समग्र सशक्तिकरण सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। उदाहरण के लिए, मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना (एमएपीयूवाई) राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है जो गरीबों में सबसे गरीब को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए है।

अंत में, मैं जनसंघ के कालीकट अधिवेशन में उनके द्वारा कहे गए उनके शानदार शब्दों को उद्धृत करना चाहूंगा “हम किसी विशेष समुदाय या वर्ग की नहीं बल्कि पूरे देश की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं“। उनकी प्रतिज्ञा थी कि हमें हर भारतवासी को भारत माता की संतान होने पर गर्व का अनुभव करवाना है।

हम भारत माता को ‘‘सुजलां, सुफलां‘‘ के वास्तविक अर्थों को धरातल पर उतारने में स्वयं को समर्पित कर देंगे। आइए हम एक आत्मनिर्भर और समावेशी भारत बनाने का संकल्प लें, जो पण्डित दीन दयाल उपाध्याय जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

~ श्री बंडारू दत्तात्रेय, माननीय राज्यपाल, हरियाणा

Check Also

रतन टाटा पर हिंदी निबंध विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

रतन टाटा पर हिंदी निबंध विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

Ratan Tata Essay in Hindi: रतन टाटा प्रेरणा निबंध: भारत के सबसे सम्मानित और प्रभावशाली …