Sunday , December 22 2024
प्रदूषण पर विद्यार्थियों और बच्चों के लिए हिन्दी निबंध

प्रदूषण पर विद्यार्थियों और बच्चों के लिए हिन्दी निबंध

यह पृथ्वी जीवों से है, जीवों की है जीवों के लिए है। इस पृथ्वी पर मनुष्य और पशुओं का समान अधिकार है। जब से मानव ने विज्ञान से हाथ मिलाया है तब से अनेक समस्याएं उत्पन्न हुईं। उनमें सबसे भयावह समस्या प्रदूषण की है। प्रदूषण का अर्थ है – दूषित होना।

पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन पाँच तत्वों से बना यह संसार दूषित हो रहा है और इसे दूषित करने के लिए मानव ही जिम्मेदार है। प्राचीन समय में यह समस्या इतनी विकट नहीं थी जितनी आज है। कारण यह है उस समय कृषि व्यवस्था थी। उद्योग धन्धे न के बराबर थे। इसलिए वायु शुद्ध और जल शुद्ध था।

वर्तमान समय में नगरों का विकास हो रहा है। औद्योगीकरण फैल रहा है। कारखाने दिन रात जहरीला धुंआ उगल रहे हैं और प्रदूषण फैल रहा है।

प्रदूषण पर हिन्दी निबंध

प्रदूषण का सर्वप्रथम कारण बढ़ती हुई जनसंख्या है। विशाल जनसमुदाय को खाने के लिए भोजन चाहिए इसलिए इसलिए खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए तरह-तरह की खाद डाली जाती है। फसलों पर तरह-तरह के रसायनिक पदार्थ छिड़के जाते हैं। जो हमारे भोजन को विषाक्त बनाते हैं। मनोरंजन के लिए सिनेमाघर, रहने के लिए घर, घुमने के लिए दर्शनीय स्थल, होटल, पार्क, बिजली, घर, रेल लाइन, बाजार, बस स्टैंड इन सभी के लिए जगह चाहिए, इसलिए कृषि योग्य भूमि और वनों को साफ किया जा रहा है। जिससे वनों पर बुरा असर पड़ा है।

नगरों का गन्दा जल, मल-मूत्र, कारखानों का कचरा सीधे नदियों में डाला जाता है, जिससे जल दूषित होता है और नाना प्रकार के चर्म रोग उत्पन्न होते हैं। जल में रहने वाली मछलियां भी मर जाती हैं।

इस प्रदूषण का कारण मानव स्वयं हैं। समुद्र को असीम शक्ति वाला समझकर पृथ्वी का सारा कचरा इसमें फेंक देता है। नदियां अपना दूषित जल इसमें मिला देती हैं। विकासशील देश भी अपना कचरा इसमें डाल देते हैं। परमाणु हथियारों को समाप्त करने के लिए भी समुद्र का सहारा लिया जाता है। हमारे जलयान और तेल, पेट्रोलियम टैंकर इसमें आवागमन करते हैं। कई बार दुर्घटनाओं में तेल या पेट्रोलियम टैंकर फट जाते हैं और तेल समुद्र सतह पर फैल जाता है। जिससे समुद्र में रहने वाले जीवों की कब्र स्वयं ही बन जाती है। अभी हाल ही में इराक और कुवैत के युद्ध में इराक ने कुवैत के तेल कुओं में आग लगा दी जिससे जहरीली गैसें और धुआं तो निकला ही, तेल भी समुद्र की सतह पर फैल गया।

जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण ये सभी मनुष्य को हानी पहुंचाते हैं जिससे मलेरिया, हैजा, फेफड़ों का कैंसर, कानों को कम सुनाई देना, खांसी, अन्धापन, थकावट, निंद्रा, अमाशय संबंधी रोग और नाना प्रकार की बीमारियाँ फैल रही हैं।

भोपाल गैस त्रासदी वायुमंडल का भयंकर विस्फोट है जिसमें ‘मिथाइल आइसो साइनेट‘ विषैले पदार्थ से युक्त गैस निकली और हजारों लोग मौत की नींद सो गए। जो मर गए वह जीवन से मुक्त हो गए और जो बच गए वह जीवन और मृत्यु के बीच लटक गए, इस प्रगतिशील वैज्ञानिकता का अभिशाप झेलने को।

प्रत्येक विकासशील देश अपने को सामरिक दृष्टि से सम्पन्न बनाने के लिए हथियारों की होड़ कर रहा है तरह-तरह के परमाणु बम बना रहा है। अन्तरिक्ष में अपने उपग्रह भेज रहा है। जल और भूमि तो प्रदूषित थे ही अब आकाश को भी दूषित कर दिया।

जनसंख्या वृद्धि से यातायात के वाहनों में भी वृद्धि हुई है। सड़कों के किनारें लगे वृक्षों पर धुंए की कालिमा की मोटी-मोटी परते चढ़ी मिलती हैं। फिर सड़क पर चलने वाले मनुष्यों का तो कहना ही क्या। गैसों के बढ़ जाने से वायुमण्डल का तापमान भी बढ़ा जिससे हिमखण्ड पिघलने लगे।

प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सबसे पहले जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाई जाए। दूषित जलों को सीधा नदियों में न डाला जाए। कारखाने नगरों से दूर हों, चिमनियां बहुत ऊंची हों। कारखानों के कचरे को भूगर्भ में डाला जाए। सड़कों के दोनों किनारों पर वृक्ष लगाए जाएं। सड़क पर चलने वाले वाहनों की नियमित जांच की जाए, धुँआ उगलते वाहनों से दण्ड लिया जाए, भूमिगत नालिया बनाई जाएं, खली जगह पर वृक्ष लगाए जाएं जिससे अच्छी वर्षा होने में सहायता मिले और भूमि कटाव रुके। शहरों की जनसंख्या प्रसार रोकने के लिए गांवों को शहरों की तरह साधन सम्पन्न बनाया जाए।

भविष्य में यदि इस पृथ्वी को प्रदूषित होने से नहीं बचाया गया तो बिना विश्व युद्ध के ही केवल प्रदुषण से ही मानव मात्र का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

Check Also

रतन टाटा पर हिंदी निबंध विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

रतन टाटा पर हिंदी निबंध विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

Ratan Tata Essay in Hindi: रतन टाटा प्रेरणा निबंध: भारत के सबसे सम्मानित और प्रभावशाली …