(2.) गुण स्वर संधि
नियम: यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘इ’ या ‘ई ‘ ‘उ’ या ‘ऊ ‘ और ‘ऋ’ आये ,तो दोनों मिलकर क्रमशः ‘ए’, ‘ओ’ और ‘अर’ हो जाते है। जैसे:
अ + इ = ए | देव + इन्द्र= देवन्द्र |
अ + ई = ए | देव + ईश = देवेश |
आ + इ = ए | महा + इन्द्र = महेन्द्र |
अ + उ = ओ | चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय |
अ+ऊ =ओ | समुद्र +ऊर्मि =समुद्रोर्मि |
आ + उ = ओ | महा + उत्स्व = महोत्स्व |
आ + ऊ = ओ | गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि |
अ + ऋ = अर् | देव + ऋषि = देवर्षि |
आ + ऋ = अर् | महा + ऋषि = महर्षि |
(3.) वृद्धि स्वर संधि
नियम: यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ए’ या ‘ऐ’आये, तो दोनों के स्थान में ‘ऐ’ तथा ‘ओ’ या ‘औ’ आये, तो दोनों के स्थान में ‘औ’ हो जाता है। जैसे:
अ + ए = ऐ | एक + एक = एकैक |
अ + ऐ =ऐ | नव + ऐश्र्वर्य = नवैश्र्वर्य |
आ + ए = ऐ | महा + ऐश्र्वर्य = महैश्र्वर्य सदा + एव = सदैव |
अ + ओ = औ | परम + ओजस्वी = परमौजस्वी वन + ओषधि = वनौषधि |
अ +औ = औ | परम + औषध = परमौषध |
आ +ओ = औ | महा + ओजस्वी = महौजस्वी |
आ + औ = औ | महा + औषध = महौषध |
(4.) यर्ण स्वर संधि
नियम: यदि ‘इ’, ‘ई’, ‘उ’, ‘ऊ’ और ‘ऋ’के बाद कोई भित्र स्वर आये, तो इ-ई का ‘यू’, ‘उ-ऊ’ का ‘व्’ और ‘ऋ’ का ‘र्’ हो जाता हैं। जैसे:
इ + अ = य | यदि + अपि = यद्यपि |
इ + आ = या | अति + आवश्यक = अत्यावश्यक |
इ + उ = यु | अति + उत्तम = अत्युत्तम |
इ + ऊ = यू | अति + उष्म = अत्यूष्म |
उ + अ =व | अनु + आय = अन्वय |
उ + आ =वा | मधु + आलय = मध्वालय |
उ + ओ = वो | गुरु + ओदन= गुवौंदन |
उ + औ = वौ | गुरु + औदार्य = गुवौंदार्य |
ऋ + आ = त्रा | पितृ + आदेश = पित्रादेश |