उपसर्ग – प्रत्यय
शब्द दो प्रकार के होते है – मूल और व्युतपन्न यानी बनाए गए शब्द। मूलशब्दों में शब्दांश लगाकर व्युतपन्न शब्द बनाए जाते है। ये शब्दांश मूलशब्दों के प्रारंभ या अंत में लगते है। ये स्वतंत्र रूप में प्रयुक्त न होकर, मूलशब्दों से जुड़कर किसी नए शब्द का निर्माण करते है। शब्द के पहले लगने वाले शब्दांश उपसर्ग कहलाते हैं और बाद में लगने वाले प्रत्यय।
शब्दांश
इनके कुछ उदाहरण देखें –
अ – अमर, अजय, अस्पष्ट
अनु – अनुसार, अनुरूप
प्रति – प्रत्येक, प्रतिरूप, प्रतिकूल
सु – सुपुत्र, सुयश, सुबोध
प्रत्ययई – ज़बानी,चोरी
आई – पढ़ाई, सिलाई
ता – मानवता, सुंदरता
आपा – बुढ़ापा, पुजापा
आइए, कुछ उपसर्गो, अनेक अर्थो तथा उनसे बननेवाले शब्दों का अध्ययन करें –
उपसर्ग : अर्थ – उदाहरण
अ : अभाव – अज्ञान, अधर्म, अमान्य
अन् : अभाव – अनादर, अनीश्वर, अनावश्यक
अनु : पीछे – अनुरूप, अनुक्रम, अनुवाद
अप : बुरा,हीन – अपमान, अपभृंश, अपकार
अव : बुरा, नीचे – अवगुण, अवनति, अवमानना
अति : अधिक – अत्याचार, अत्यंत, अत्यधिक
आ : तक – आजन्म, आजीवन, आमरण
उत् : श्रेष्ठ – उत्कर्ष, उत्कृष्ट, उत्पन्न
दूर : बुरा – दुर्दिन, दुर्गम, दुर्दर्शा
दुस : बुरा – दुस्साहस, दुश्चरित्र, दुष्कर्म
निर् : बिना – निर्मल निमोर्ह, निदोर्ष
प्र : अधिक – प्रबल, प्रयत्न, प्रयास
प्रति : उलटा,हर – प्रतिकूल, प्रतिहार, प्रतिदिन
वि : विशेष – विजय, विरोध, वियोग
सु : अच्छा – सुपुत्र, सुशील, सुरम्य
कु : बुरा – कुपुत्र, कुकर्म, कुमार्ग
स्व : अपना – स्वदेश, स्वतंत्र, स्वभाव
स : के साथ – सहर्ष, सफल, सस्नेह
अन : रहित – अनबन, अनमोल, अनपढ़
अध : आधा – अधपका, अधजला, अधमरा
नि : रहित – निकम्मा, निडर, निहत्था
भर : पूरा – भरपूर, भरपेट, भरसक
अ : अभाव – अछूत, अनाम, असुंदर
कम : थोड़ा – कमज़ोर, कमअक्ल, कमखर्च
गैर : के बिना,के विरुदध – गैरहाजिर, गैरमुमकि, गैरकानूनी
खुश : प्रसन्न – खुशनुमा, खुशदिल, खुशबू
ना : बिना – नासमझ, नापसंद, नालायक
बद : बुरा – बदनसीब, बदबू, बदनाम
बे : बिना – बेढंगा, बेईमान, बेनाम
ला : बिना – लाइलाज, लापरवाह, लापता
हम : सहयोगी – हमराज़, हमसफ़र, हमशक्ल
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