10th Hindi Examination 2024-35: दसवीं कक्षा हिन्दी बोर्ड (2024-25)
- कृपया जाँच कर लें कि इस प्रश्न-पत्र में मुद्रित पृष्ठ 15 हैं।
- कृपया जाँच कर लें कि इस प्रश्न-पत्र में 16 प्रश्न हैं।
- प्रश्न-पत्र में दाहिने हाथ की ओर दिए गए प्रश्न-पत्र कोड को परीक्षार्थी उत्तर-पुस्तिका के मुख-पृष्ठ पर लिखें।
- कृपया प्रश्न का उत्तर लिखना शुरू करने से पहले, उत्तर-पुस्तिका में प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
- इस प्रश्न-पत्र को पढ़ने के लिए 15 मिनट का समय दिया गया है। प्रश्न-पत्र का वितरण पूर्वाह में 10.15 बजे किया जाएगा। 10.15 बजे से 10.30 बजे तक परीक्षार्थी केवल प्रश्न-पत्र को पढ़ेंगे और इस अवधि के दौरान वे उत्तर-पुस्तिका पर कोई उत्तर नहीं लिखेंगे।
Class: | 10th Standard (CBSE) – Board Exam 2024-25 |
Subject: | Hindi (085) |
Time Duration: | 03 Hours |
Maximum Marks: | 80 |
Date: | 28 February 2025 |
सामान्य निर्देश: 10th CBSE Board Hindi Examination
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए:
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 16 अल हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- इस प्रश्न-पत्र में चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- खंड-क में अपठित गद्यांश से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- खंड-ख में व्यावहारिक व्याकरण से प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- खंड- ग पाठ्यपुस्तक पर आधारित है, निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।
- खंड-घ रचनात्मक लेखन पर आधारित है, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- यथासंभव सभी खर्डे के अश्नों के उत्तर क्रमशः: लिखिए।
खण्ड ‘क’
(अपठित गद्यांश 14 Marks)
प्रश्न 01: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: 7 Marks
जलवायु परिवर्तन के साथ जैसे-जैसे मौसम का पैटर्न समुद्र के स्तर को प्रभावित कर रहा है, नदी प्रणालियों में भूकंप से होने वाले महा विनाशकारी परिवर्तनों को समझना अपरिहार्य हो चला है। धरती लगातार हिल रही है। पहाड़ों में दरारें पड़ रही हैं। नदियाँ वैसे भी, विशेष रूप से मार्ग और प्रवाह में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होती हैं। भूकंप से नदी मार्ग में परिवर्तन के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं, जिससे संपत्ति, कृषि और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुँच सकता है) हाल में, जब अध्येताओं की एक टीम ने ढाका से सौ किलोमीटर दक्षिण में नदी की पुरानी मुख्यधारा खोजने के लिए सैटेलाइट चित्रों का इस्तेमाल किया तो उस इलाके में भूकम्पीय संकेत-चिह्न मिले। इस क्षेत्र में गंगा और ब्रह्मपुत्र की प्लेटें करीब होने से यहाँ अक्सर तेज भूकम्प आते रहे हैं। डेल्टा वाले नदी क्षेत्र में उच्च तीव्रता का भूकंप आने पर प्रवाह का रास्ता पूरी तरह बदल सकता है। वहाँ तबाही इसलिए बहुत भयावह होगी, क्योंकि अब उस क्षेत्र में लाखों की घनी बसावट है। भूकंपीय गतिविधियों और नदियों के प्रवाह पर बारीक नजर रखे हुए वैज्ञानिक लगातार ऐसे जोखिम वाले तमाम वैश्विक क्षेत्रों की पहचान करने में जुटे हैं। सब कुछ के बावजूद, किसी भूकंप के सटीक मानदंडों या किसी भी क्षण नदी के बहाव के बस में पूर्वानुमान लगाना असंभव है।
(i) निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए। दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए:
कथन: नदी प्रणालियों में भूकंपीय विनाशकारी बदलावों को समझना अनिवार्य हो गया है।
कारण: भूकंप से नदी मार्ग में परिवर्तन के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
विकल्प:
- कथन और कारण दोनों गलत हैं।
- कथन सही है लेकिन कारण गलत है।
- कथन और कारण दोनों सही हैं और कारण कथन की सही व्याख्या है।
- कथन गलत है किंतु कारण सही है।
(ii) अध्ययनकर्ताओं को ढाका के दक्षिण में नदी की मुख्यधारा खोजते हुए क्या जानकारी मिली?
- उस क्षेत्र के पहाड़ों में दरारे मिलीं
- उस क्षेत्र की संवेदनशीलता की जानकारी मिली
- नदी की पुरानी मुख्यधारा इस क्षेत्र से गायब हो चुकी है
- उस इलाके में नदी की पुरानी मुख्यधारा के संकेत-चिह्न मिले
(iii) डेल्टा वाले क्षेत्र में तीव्र भूकम्प आने से होगा:
- नदी-मार्ग बदल सकता है
- भयानक तबाही होगी
- उन क्षेत्रों में घनी बसावट हो सकती है
- वहाँ अकसर तेज भूकम्प आते रहेंगे
विकल्प:
- I-II
- II-III
- III-IV
- I-IV
(iv) भूकंप के सटीक मापदंड और नदी के बहाव का पूर्वानुमान लगाना असंभव क्यों है? किन्हीं दो बिंदुओं का उल्लेख कीजिए।
(v) पृथ्वी म॑ हो रही लगातार भीतरी हलचल के कौन-से परिणाम हो रहे है और हो सकते हैं?
2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: 7 Marks
रंगमंच की दुनिया में मोबाइल थियेटर अबूझा नाम नहीं और असल में तो ये मनोरंजन का दूसरा नाम है। देश ही नहीं दुनिया भर में अपनी तरह का अनोखा, चलता-फिरता रंगमंच जो खानाबदोश जिंदगी जीता है। जिसका आज यहाँ ठौर, तो कल वहाँ ठिकाना इसलिए इसे भ्रमण थियेटर भी कहते हैं। असम में फिल्मों से ज्यादा मोबाइल थियेटर लोकप्रिय है। असम के लेखकों और कलाकारों के लिए ये थियेटर किसी संजीवनी से कुछ कम नहीं हैं। ट्रकों पर खाने-पीने से लेकर स्टेज, कुर्सी, पोशाक, तकनीकी उपकरणों समेत सारे सामानों से लदकर ये आठ से नौ महीनों तक राज्य के अलग-अलग हिस्सों में लगातार प्रदर्शन करते हैं। रूपरेखा भले ही नाटक की हो, पर इसका स्टाइल पूरा फिल्मी है। फिल्मों की तरह इन थियेटरों में दिखाए जाने वाले नाटकों का भी बैनर, पोस्टर लगाकर खूब प्रचार होता है। थियेटर शब्द सुनकर आमतौर पर गंभीर विषयवस्तु और श्वेत-श्याम स्टेज के नाटकों का खाका मस्तिष्क में उभरता है। ये घुमक्कड़ रंगमंच मंचन भले ही नाटकों का करते हैं, लेकिन इनमें पटकथा से लेकर नाच-गाना, एक्शन, इमोशन हर तरह का फिल्मी मसाला होता है। अभिनय और प्रस्तुति के मामले में यहाँ मनोरंजन से कोई समझौता नहीं होता। टी.वी., केबल चैनलों और नई तकनीकों का इसके बाज़ार पर भी असर पड़ा है। बाज़ार और तकनीकी चहलकदमी ने इसका रूप ही नहीं रुख भी बदल दिया है लेकिन फिर भी इंटरनेट की तकनीक आँधी इसके तंबू को उखाड़ नहीं पाई है। इसकी वजह है इसकी विविधता में वास्तविकता। पुरानी लाइटिंग, साउंड, तकनीकी उपकरणों के बावजूद इनके सेट एकदम असली लगते हैं और उस पर कलाकारों की जीवंत और उम्दा प्रस्तुति की तो बात ही क्या! अपनी मौलिकता की वजह से समय की रेत पर यह आज भी अपनी पहचान के साथ स्थिर खड़ा है।