कर चले हम फ़िदा 10th Class Hindi Sparsh Chapter 8 [Page 3]
प्रश्न: ‘मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो’ के माध्यम से सैनिक देशवासियों को क्या संदेश देना चाहते थे?
उत्तर: ‘मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो’ के माध्यम से सैनिक देशवासियों से यह कहना चाहते हैं कि वे शत्रुओं से युद्ध करते हुए अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए पूरे जोश और साहस से युद्ध किए। उन्होंने अपने मनोबल को गिरने नहीं दिया और सच्चे सैनिक की तरह मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दे दिया। वे देशवासियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि देशवासी भी इसी तरह साहस से देश की रक्षा करते हुए वीरता की नई गाथा लिखें।
प्रश्न: भारतीय सैनिकों को युद्ध में किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ा?
उत्तर: भारतीय सैनिकों को चीनी सैनिकों के साथ हुए युद्ध में कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा; जैसे
- हिमालय की घाटियों जैसे दुर्गम स्थानों पर युद्ध करना पड़ा।
- हाड़ गला देने वाली सरदी में सैनिकों का खून जम रहा था।
- उनके सिर पर शत्रु मौत बनकर मॅडरा रहे थे।
- बर्फ के कारण उन्हें साँस लेने में कठिनाई हो रही थी।
प्रश्न: अपना बलिदान देकर भी सैनिकों को दुख की अनुभूति क्यों नहीं हो रही है?
उत्तर: एक सच्चा सैनिक देश के लिए ही जीता और मरता है। वह अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की बाजी लगाना अपना धर्म समझता है। वह अपना सब कुछ अर्पित कर देश के काम आना चाहते हैं। ऐसा करके वे अपने सैन्यधर्म का पालन करके गर्वानुभूति करते हैं। चीन के साथ युद्ध में शहीद भारतीय सैनिक अपना बलिदान देकर भी गर्वानुभूति कर रहे हैं, फिर उन्हें दुख की अनुभूति कैसे होने पाती। उन्हें गर्व है कि उन्होंने हिमालय का सर झुकने नहीं दिया।
प्रश्न: ‘आज धरती बनी है दुलहन साथियो’ ऐसा सैनिकों को क्यों लग रहा है?
उत्तर: दुलहन अर्थात् नववधू की सुंदरता अद्वितीय होती है। लाल रंग के परिधान उसकी सुंदरता को विगुणित कर देते हैं। हिमालय की घाटियों की जमीन सैनिकों के रक्त से लाल हो रही है। वहाँ युद्ध कर रहे सैनिकों को लगता है कि भारत भूमि ने लाल परिधान धारण कर लिया है। इस परिधान में वह लाल जोड़े में सजी दुलहन-सी नज़र आ रही है।
प्रश्न: सैनिक अपनी जवानी को कब सार्थक मानता है?
उत्तर: एक सच्चा सैनिक अपनी मातृभूमि से अगाध लगाव रखता हुआ देश के लिए जीता और मरता है। वह शत्रुओं से हर समय मुकाबले को तैयार रहता है। वह, अपने प्राणों की परवाह किए बिना हर संकट को झेलने के लिए तैयार रहता है। एक सच्चा सैनिक अपनी जवानी को तभी सार्थक मानता है जब वह शत्रुओं से युद्ध करते हुए अपने प्राणों की बलि दे दे और उसके खून की एक-एक बूंद देश के काम आ जाए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न: ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता युवाओं में राष्ट्र प्रेम और देशभक्ति की भावना प्रगाढ़ करती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में भारतीय सैनिकों के साहस एवं वीरता की गाथा है। इन सैनिकों ने अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में चीनी सैनिकों का मुंहतोड़ जवाब दिया और उन्हें रोकते हुए आगे ही आगे कदम बढ़ाते-बढ़ाते गए। देश की रक्षा करते हुए उन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं की और कुरबान हो गए। यह कविता पढ़कर युवामन जोश से भर उठता है तथा देश एवं मातृभूमि की शत्रुओं से रक्षा करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर होने के लिए प्रेरित होता है। उसकी देशभक्ति हिलोरे लेने लगती है। वह साहस एवं जोश से भर उठता है। इस प्रकार यह कविता राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति की भावना प्रगाढ़ करती है।
प्रश्न: ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध का मर्मस्पर्शी वर्णन है। यह कविता एक ओर भारतीयों के साहस तथा वीरता का उत्कृष्ट नमूना प्रस्तुत करती है, साथ ही उनके त्याग एवं बलिदान की अनुपम गाथा भी दोहराती है। यह कविता अपने रचना काल में जितनी प्रासंगिक थी उससे कहीं अधिक आज प्रासंगिक है। आज देश में पड़ोसी देश से जब घुसपैठ का खतरा बढ़ा है, जयचंदों की संख्या बढ़ी है तथा लोग भाषा, जाति, क्षेत्र, धर्म आदि के नाम पर अपनी डफली अपना राग अलाप रहे हों, तब इस कविता की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। यह कविता वीरों का उत्साह बढ़ाने और युवाओं में राष्ट्रभक्ति प्रगाढ़ करने के लिए अधिक प्रासंगिक है।
प्रश्न: कविता में राम, लक्ष्मण, सीता और रावण का प्रयोग किन संदर्भो में हुआ है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में राम, लक्ष्मण, सीता और रावण जैसे पौराणिक पात्रों का प्रयोग देशवासियों, भारतमाता और देश के शत्रुओं के संदर्भ में किया गया है। सीता अत्यंत, सुंदर, पवित्र गरिमामयी स्त्री थी। कुछ ऐसी ही स्थिति हमारी मातृभूमि भारत माता की है। यह हमारी भारतमाता तरह-तरह से समृद्ध और गौरवपूर्ण है। कुछ शत्रु रूपी रावण इसकी ओर कुदृष्टि रखते हैं और अपना बना लेना चाहते हैं। जिस तरह राम और लक्ष्मण ने रावण को मारकर सीता की रक्षा की थी, उसी प्रकार भारतीय सैनिकों और देशवासियों से अपेक्षा की गई है कि वे सीता रूपी भारतमाता की रक्षा के लिए रावण रूपी शत्रुओं से युद्ध करें तथा आवश्यकता पड़ने पर अपना बलिदान देकर साहस एवं वीरता की नई गाथा लिखें।