तताँरा-वामीरो कथा 10 Class Hindi Chapter 12 [Page 3]
तताँरा-वामीरो कथा: लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न: द्वीप समूह के बारे में निकोबारियों का विश्वास स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: द्वीप समूह के बारे में निकोबारियों को यह विश्वास है कि प्राचीन काल में अंदमान द्वीप समूह का अंतिम दक्षिणी द्वीप-लिटिल अंदमान और कार निकोबार अविभाजित हुआ करते थे। यद्यपि आज उनके बीच 96 किलोमीटर दूरी है पर तब पूरा द्वीप समूह एक था।
प्रश्न: तताँरा कौन था? ग्रामवासियों के साथ उसके संबंध कैसे थे?
उत्तर: तताँरा अविभाजित अंदमान निकोबार द्वीप समूह के पासा गाँव का नवयुवक था, जो अपने साहसिक कारनामों और विलक्षण तलवार के लिए प्रसिद्ध था। वह अपने उदार एवं मददगार स्वभाव के लिए भी प्रसिद्ध था।
प्रश्न: तताँरा को पर्व-त्योहारों में विशेष रूप से क्यों बुलाया जाता था?
उत्तर: तताँरा बेहद नेक और मददगार युवक था, जिसे निकोबारी बेहद प्रेम करते थे। वह सदैव दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था। द्वीपवासियों की सेवा करना वह अपना कर्तव्य समझता था। अपने त्यागमयी स्वभाव के कारण वह सभी के आदर का पात्र था। इसी कारण उसे पर्व-त्योहारों में विशेष रूप से बुलाया जाता था।
प्रश्न: तताँरा की तलवार लोगों की चर्चा का विषय क्यों थी?
उत्तर: तताँरा अपनी पारंपरिक पोशाक के साथ कमर पर एक तलवार बाँधे रहता था। लकड़ी की इस तलवार के बारे में लोग चर्चा करते थे कि उसमें अद्भुत दैवीय शक्ति थी। वह अपनी तलवार का प्रयोग दूसरों के सामने नहीं करता था तथा सदैव अपने साथ रखता था। तताँरा के साहसिक कारनामों को भी लोग उसी तलवार की अद्भुत शक्ति मानते थे।
प्रश्न: समुद्र के किनारे गया तताँरा अपनी सुध-बुध क्यों खोने लगा?
उत्तर: समुद्र के किनारे शाम का वातावरण अत्यंत मनोहारी था। समुद्र की ओर से शीतल हवा के झोंके आ रहे थे। वातावरण शांत था। ऐसे में तताँरा ने कहीं पास से आता मधुर गीत सुना। अपने पास आते इस गीत को सुनकर तताँरा अपनी सुध-बुध खोने लगा।
प्रश्न: सुध-बुध खोए तताँरा की तंद्रा कैसे टूटी? तंद्रा टूटने पर उसने क्या किया?
उत्तर: मधुर गीत सुनकर सुध-बुध खोए तताँरा की तंद्रा तब टूटी जब लहरों के प्रबल वेग ने उसकी तंद्रा भंग की। तंद्रा टूटने और सचेत होने पर तताँरा उधर जाने को विवश हो गया जिधर से अब भी मधुर गीत की आवाज आ रही थी।
प्रश्न: वामीरो क्यों न जान सकी कि कोई अजनबी उसे निहारे जा रहा है?
उत्तर: वामीरो समुद्र के किनारे बैठी ढलती हुई शाम के सौंदर्य में बेसुध-सी सूर्य के आकर्षक रंग को निहार रही थी जो समुद्र के शरीर पर पड़ रहा था। वह मधुर स्वर में गीत गाए जा रही थी। वह गाने में इतनी खोई थी कि उसे अजनबी द्वारा निहारे जाने का ध्यान न आया।
प्रश्न: वामीरो ने मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया?
उत्तर: वामीरो ने मधुर स्वर में गीत अधूरा इसलिए छोड़ दिया क्योंकि जब वह गीत गाने में तल्लीन थी तभी समुद्र से एक ऊँची लहर उठी और उसे भीगो गई। इसी हड़बड़ाहट में गीत गाना भूल गई।
प्रश्न: तताँरा वामीरो के प्रश्न का जवाब देने के बजाए उससे एक ही आग्रह क्यों किए जा रहा था?
उत्तर: तताँरा वामीरो के रूप सौंदर्य और मधुर गान में अपनी सुध-बुध खो बैठा था। वह सम्मोहित-सा वामीरो को देखता जा रहा था। सम्मोहन के कारण वामीरो की आवाज या कोई प्रश्न उसे ठीक से सुनाई ही नहीं दे रहा था, इसलिए वह बार-बार तुमने गाना क्यों रोक दिया? गाओ, गीत पूरा करो का आग्रह किए जा रहा था।
प्रश्न: सम्मोहन टूटने और होश आने के बाद तताँरा ने क्या किया?
उत्तर: सम्मोहन टूटने और होश आने के बाद तताँरा को अपनी गलती का अहसास हुआ। वह वामीरो के सामने रास्ता रोककर निवेदन भरे स्वर में कहने लगा, “मुझे माफ़ कर दो। जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ। मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा। बस अपना नाम बता दो।”
प्रश्न: तताँरा द्वारा पूछने पर भी वामीरो उसे कोई जवाब क्यों नहीं दे रही थी?
उत्तर: तताँरा द्वारा पूछने पर भी वामीरो उसे कोई जवाब इसलिए नहीं दे रही थी क्योंकि उसे अपने गाँव की परंपरा का पूरा ध्यान है। वह जानती है कि उसके गाँव के लोग अन्य गाँव में वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं करते हैं। वह केवल अपने गाँव के नवयुवकों के प्रश्नों का जवाब दे सकती है जबकि तताँरा उसके गाँव का नहीं था।
प्रश्न: वामीरो का मन भी तताँरा की ओर आकर्षित हो गया था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: पहली ही नज़र में तताँरा को देखते ही वामीरो विस्मित हो गई। उसके मन में कोमल भावना का संचार हो गया। घर पहुँचने पर उसे भीतर ही भीतर बेचैनी-सी महसूस होने लगी। इस बेचैनी से मुक्त होने का उसका प्रयास दिखावा मात्र था। वह झल्लाहट में दरवाजा बंद कर मन को किसी और दिशा में ले जाने का प्रयास करने लगी।
प्रश्न: वामीरो तताँरा को क्यों भूलना चाहती थी ? पर वह चाहकर भी ऐसा क्यों नहीं कर पा रही थी?
उत्तर: वामीरो को अपने गाँव की रीति का भलीभाँति ज्ञान था कि जिसके अनुसार वह अपने गाँव के अलावा किसी अन्य गाँव के युवक से वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं कर सकती हैं, इसलिए वह तताँरा को भूलना चाहती थी। वह चाहकर भी ऐसा इसलिए नहीं कर सकती थी क्योंकि तताँरा का याचना भरा चेहरा उसकी आँखों के सामने घूम जाता था।
तताँरा-वामीरो कथा प्रश्न: वामीरो से मिलने के बाद तताँरा का अगला दिन कैसे बीता?
उत्तर: वामीरो से मिलने के बाद तताँरा ने उससे अगले दिन भी आने की याचना की थी। वह वामीरो से बिछड़कर व्यथित था। वामीरो से मिलने की प्रतीक्षा में उसका समय काटना पहाड़ के समान भारी हो रहा था। ऐसे में उसे दिन उत्साहहीन, ठंडा, नीरस और ऊबाऊ प्रतीत हो रहा था।
प्रश्न: वामीरो और तताँरा अगले दिन तो मिले पर वे एक शब्द भी क्यों नहीं बोल पाए?
उत्तर: वामीरो और तताँरा यद्यपि एक ही बार मिले थे परंतु वे दोनों एक-दूसरे को गहराई से चाहने लगे थे। अपने प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए उनके पास कोई शब्द न था। वे अपने मनोभावों को व्यक्त करने में सर्वथा असमर्थ थे, इसलिए वे मिलकर भी अपने प्रेम की मौन अभिव्यक्ति ही कर सके।
प्रश्न: तताँरा ने अपने क्रोध के शमन के लिए क्या किया?
उत्तर: वामीरो की माँ और गाँववालों द्वारा अपमानित होने के बाद क्रोधित हो उठा। उसे समझ में नहीं आया कि वह क्या करे। उसने अपनी तलवार निकालकर धरती में पूरी शक्ति से घोंप दी और पूरी शक्ति से धरती को काटने लगा। इससे वह पसीने से लथपथ होकर निढाल हो गया और गिर पड़ा।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न: ‘तताँरा-वामीरो कथा’ पाठ के आधार पर तताँरा का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर: ‘तताँरा-वामीरो कथा’ का नायक तताँरा है जो पासा गाँव का रहने वाला है। उसके चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- आकर्षक व्यक्तित्व: तताँरा आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी है। वह शारीरिक रूप से बलिष्ठ, सुंदर और आकर्षक है। उसे देखते ही वामीरो प्रथम मुलाकात में उसकी ओर आकर्षित हो जाती है।
- मानवीय गुणों से युक्त: तताँरा मानवीय गुणों से युक्त है। वह नेक, उदार, सहयोगी और परोपकारी है जो हर किसी की मदद को तत्पर रहता है।
- सम्मान का पात्र: तताँरा अपने व्यवहार एवं सहयोग पूर्ण स्वभाव के कारण द्वीपवासियों के सम्मान का पात्र है। उसे दूसरे गाँव के लोग भी अपने यहाँ निमंत्रित करते हैं।
- दैवीय शक्ति संपन्न व्यक्ति: तताँरा के पास लकड़ी की तलवार थी जो उसे अद्भुत दैवीय शक्ति का स्वामी बनाए हुए थी। इस तलवार की मदद से साहसिक और विलक्षण कार्य करता था, परंतु इसका उपयोग दूसरों का अहित करने के लिए नहीं करता था।
प्रश्न: रूढ़ियों और परंपराओं का बंधन प्रेम की राह में बाधक नहीं बन सकता। तताँरा-वामीरो कथा के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: तताँरा पासा गाँव का सुंदर, साहसी और नेकदिल नवयुवक था और वामीरो लपाती गाँव की जो अंदमान-निकोबार द्वीप समूह का भाग है। वामीरो के गाँव की परंपरा थी कि गाँव के नवयुवक और युवतियाँ अपने ही गाँव में वैवाहिक संबंध स्थापित कर सकते थे, अन्य किसी गाँव में नहीं। एक शाम जब तताँरा शाम के समय सागर तट पर घूम रहा था तो उसने मधुर गायन सुना और उधर गया जहाँ गीत गाती वामीरो को देख वह अपनी सुध-बुध खो बैठा। तताँरा को देखकर वामीरो की भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी। वामीरो अपने गाँव की परंपरा जानती थी फिर भी दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे। वे लोगों द्वारा समझाने पर भी एक दूसरे से प्रेम करते रहे। इससे स्पष्ट होता है कि रूढ़ियों और परंपराओं का बंधन प्रेम की राह में बाधक नहीं बन सकता है।
प्रश्न: तताँरा और वामीरो ने अपने प्रेम के लिए आत्मबलिदान देकर आनेवाली पीढ़ी को नई राह दिखाई। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: तताँरा और वामीरो एक दूसरे को गहराई से प्रेम करते थे। वे जानते थे कि गाँव की परंपरा के अनुसार अलग-अलग गाँव के होने के कारण एक दूसरे के नहीं हो सकते हैं, फिर भी वे नियमपूर्वक मिलते रहे। उन्हें समझाने का प्रयास गाँववालों ने भी किया पर वे अडिग रहे। ‘पासा’ गाँव में आयोजित पशु-पर्व में तताँरा-वामीरो जब परस्पर बातें कर रहे थे तो वामीरो की माँ ने उन्हें देख लिया और खूब अपमानित किया। गाँववालों के सामने अकारण अपमानित किए जाने से तताँरा क्रोधित हो उठा और अपनी जादुई तलवार से धरती चाक करने लगा।
इससे धरती दो भागों में बँट गई। तताँरा एक पर दूसरे पर वामीरो। तताँरा जब वामीरो के पास आना चाहता तो सफल न हुआ और समुद्र में वह गया। कुछ ऐसी ही स्थिति वामीरो के साथ हुई पर इस घटना के बाद निकोबारी अपने गाँव के अलावा अन्य गाँवों से भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे। इस तरह स्पष्ट है कि तताँरा और वामीरो के बलिदान ने आगामी पीढ़ी को नई राह दिखाई।