तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र 10 Class Hindi Chapter 13
प्रश्न: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?
उत्तर:
- राष्ट्रपति स्वर्णपदक से सम्मानित।
- बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म को पुरस्कार।
- मास्को फ़िल्म फेस्टिवल में भी यह पुरस्कृत हुई।
प्रश्न: शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाई?
उत्तर: शैलेंद्र ने अपने जीवन में केवल एक ही फ़िल्म का निर्माण किया। ‘तीसरी कसम’ ही उनकी पहली व अंतिम फ़िल्म थी।
प्रश्न: राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम बताइए।
उत्तर:
- मेरा नाम जोकर
- अजन्ता
- मैं और मेरा दोस्त
- सत्यम् शिवम् सुंदरम्
- संगम
- प्रेमरोग
प्रश्न: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?
उत्तर: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक राजकपूर और नायिका वहीदा रहमान थी। राजकपूर ने हीरामन गाड़ीवान का अभिनय किया है और वहीदा रहमान ने नौटंकी कलाकार ‘हीराबाई’ का अभिनय किया है।
प्रश्न: फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?
उत्तर: शिल्पकार शैलेंद्र ने।
प्रश्न: राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?
उत्तर: राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय कल्पना भी नहीं की थी कि फ़िल्म के पहले भाग के निर्माण में ही छह साल का समय लग जाएगा।
प्रश्न: राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?
उत्तर: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म की कहानी सुनकर राजकपूर ने पारिश्रमिक एडवांस देने की बात कही। इस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया।
प्रश्न: फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?
उत्तर: फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को कला-मर्मज्ञ एवं आँखों से बात करनेवाला कुशल अभिनेता मानते थे।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए
प्रश्न: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा गया है?
उत्तर: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता अर्थात् कैमरे की रील में उतार कर चित्र पर प्रस्तुत करना इसलिए कहा गया है, क्योंकि यह वह फ़िल्म है, जिसने हिंदी साहित्य की एक अत्यंत मार्मिक कृति को सैल्यूलाइड पर सार्थकता से उतारा; इसलिए यह फ़िल्म नहीं, बल्कि सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
प्रश्न: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?
उत्तर: इस फिल्म में किसी भी प्रकार के अनावश्यक मसाले जो फिल्म के पैसे वसूल करने के लिए आवश्यक होते हैं, नहीं डाले गए थे। फ़िल्म वितरक उसके साहित्यिक महत्त्व और गौरव को नहीं समझ सकते थे इसलिए उन्होंने उसे खरीदने से इनकार कर दिया।
प्रश्न: शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?
उत्तर: शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य है कि वह उपभोक्ताओं की रुचियों को परिष्कार करने का प्रयत्न करे। उसे दर्शकों की रुचियों की आड़ में सस्तापन / उथलापन नहीं थोपना चाहिए। उसके अभिनय में शांत नदी का प्रवाह तथा समुद्र की गहराई की छाप छोड़ने की क्षमता होनी चाहिए।
प्रश्न: फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई क्यों कर दिया जाता है?
उत्तर: फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई इसलिए किया जाता है जिससे फ़िल्म निर्माता दर्शकों का भावनात्मक शोषण कर सकें। निर्माता-निर्देशक हर दृश्य को दर्शकों की रुचि का बहाना बनाकर महिमामंडित कर देते हैं जिससे उनके द्वारा खर्च किया गया एक-एक पैसा वसूल हो सके और उन्हें सफलता मिल सके।
प्रश्न: ‘शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’ – इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’ – का आशय है कि राजकपूर के पास अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाने के लिए शब्दों का अभाव था, जिसकी पूर्ति बड़ी कुशलता तथा सौंदर्यमयी ढंग से कवि हृदय शैलेंद्र जी ने की है। राजकपूर जो कहना चाहते थे, उसे शैलेंद्र ने शब्दों के माध्यम से प्रकट किया। राजकपूर अपनी भावनाओं को आँखों के द्वारा व्यक्त करने में कुशल थे। उन भावों को गीतों में ढालने का काम शैलेंद्र ने किया।
प्रश्न: लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: शोमैन का अर्थ है – प्रसिद्ध प्रतिनिधि – आकर्षक व्यक्तित्व। ऐसा व्यक्ति जो अपने कला-गुण, व्यक्तित्व तथा आकर्षण के कारण सब जगह प्रसिद्ध हो। राजकपूर अपने समय के एक महान फ़िल्मकार थे। एशिया में उनके निर्देशन में अनेक फ़िल्में प्रदर्शित हुई थीं। उन्हें एशिया का सबसे बड़ा शोमैन इसलिए कहा गया है क्योंकि उनकी फ़िल्में शोमैन से संबंधित सभी मानदंडों पर खरी उतरती थीं। वे एक सर्वाधिक लोकप्रिय अभिनेता थे और उनका अभिनय जीवंत था तथा दर्शकों के हृदय पर छा जाता था। दर्शक उनके अभिनय कौशल से प्रभावित होकर उनकी फ़िल्म को देखना और सराहना पसंद करते थे। राजकपूर की धूम भारत के बाहर देशों में भी थी। रूस में तो नेहरू के बाद लोग राजकपूर को ही सर्वाधिक जानते थे।
प्रश्न: फ़िल्म ‘श्री 420’ के गीत ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?
उत्तर: संगीतकार जयकिशन ने गीत ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर आपत्ति इसलिए की, क्योंकि उनका ख्याल था कि दर्शक चार दिशाएँ तो समझते हैं और समझ सकते हैं, लेकिन दस दिशाओं का गहन ज्ञान दर्शकों को नहीं होगा।