मकान न०. 880
रोहतक (हरियाणा)
दिनांक – 30, 6, 2017
प्रिय रामेश,
आयुष्मान्।
कल ही पिताजी का दिल्ली से पत्र आया। उन्होंने तुम्हें ‘पुस्तक-मेले’ में अपने मित्रों के साथ धुम्रपान करते हुए देखा।उस समय तुम्हें मित्रों के समक्ष कुछ कहना उचित नहीं समझा। इसलिय उन्होंने मुझे पत्र लिखकर तुम्हारे धुम्रपान करने के विषय में लिखा है। इस घटना से वह अत्यन्त पीड़ित हुए और तुम्हारे भविष्य की चिन्ता उन्हें सताने लगी है।
रामेश तुम जानते हो कि हम सुसंस्कृत परिवार से सम्बन्ध रखते हैं। हमारे खानदान में आज तक किसी ने धुम्रपान नहीं किया। तुम पहले ऐसे व्यक्ति हो जो धुम्रपान करते हो। यहाँ प्रश्न हमारे परिवार का नहीं तुम्हारे स्वास्थ्य का भी है। धुम्रपान करने से तपेदिक, दमा, केंसर जैसे रोग उत्पन्न हो जाते हैं। कभी-कभी व्यक्ति उम्र में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
हमने तुम्हें कॉलेज में पढ़ने के लिए भेजा है। हमारा परिवार मध्यम वर्गीय है। जब जागो तभी सबेरा होता है। तुम्हारे दृढ़ निश्चय से यह धुम्रपान की बुरी आदत छूट जाएगी। मैं पिताजी को पत्र लिखकर सूचित कर दूँगा कि उन्होंने शायद किसी और को देख लिया होगा। तुम मूझसे प्रतिज्ञा करो कि भविष्य में कभी धुम्रपान नहीं करोगे।
तुम्हारा अग्रज,
विनोद
Nice patr for all classes sir
Yes are you right please reply