वक्फ संपत्ति घोटाला: उर्दू स्कूल के लिए मिली जमीन पर बनाई दुकानें, 20 साल तक वसूला लाखों का किराया: वक्फ संपत्ति घोटाला में सलीम, महमूद समेत 5 गिरफ्तार, गुजरात का मामला
जमीन अहमदाबाद नगर निगम ने वक्फ बोर्ड को उर्दू स्कूलों के लिए दी थी। 2001 में आए विनाशकारी भूकंप में यह स्कूल जर्जर हो गए थे और इन्हें तोड़ दिया गया था। इसके बाद यह जमीन खाली पड़ी थी। इसी का फायदा उठाते हुए सलीम खान पठान नामक एक व्यक्ति ने उस जमीन पर 10 दुकानें बना लीं और उन्हें किराए पर उठा दिया।
वक्फ संपत्ति घोटाला: उर्दू स्कूल के लिए मिली जमीन पर बनाई दुकानें
अहमदाबाद में पाँच मुस्लिमों ने वक्फ बोर्ड की जमीन पर अवैध रूप से दुकानें खड़ी कर दीं। इसके बाद उन्होंने खुद को वक्फ का ट्रस्टी घोषित कर 2 दशक से उनका किराया वसूला। यह जमीन अहमदाबाद नगर निगम ने वक्फ बोर्ड को उर्दू स्कूलों के लिए दी थी लेकिन इन पर करोड़ों की दुकाने चल रही थीं। इस मामले में अब FIR दर्ज हुई है।
यह दुकानें अहमदाबाद के जमालपुर में थीं। यह मामला काँच वाली मस्जिद के पास स्थित वक्फ बोर्ड की भूमि से जुड़ा है। दरअसल, 2001 में आए विनाशकारी भूकंप में यह स्कूल जर्जर हो गए थे और इन्हें तोड़ दिया गया था। इसके बाद यह जमीन खाली पड़ी थी।
इसी का फायदा उठाते हुए सलीम खान पठान नामक एक व्यक्ति ने उस जमीन पर 10 दुकानें बना लीं और उन्हें किराए पर उठा दिया। सलीम खान के साथ ही मोहम्मद यासर शेख, महमूद खान पठान, फैज मोहम्मद पीर मोहम्मद और शाहिद अहमद शेख ने ना केवल इन दुकानों से बल्कि वक्फ बोर्ड की लगभग 150 और संपत्तियों से भी पिछले 20 वर्षों से लगातार किराया वसूला।
यह सारा किराया वक्फ बोर्ड के आधिकारिक खाते में जमा होने के बजाय इन आरोपितों की निजी जेबों में जाता रहा, जिससे बोर्ड को करोड़ों रुपये का नुकसान भी झेलना पड़ा। इस व्यापक धोखाधड़ी की जानकारी वक्फ बोर्ड को तब हुई जब जमालपुर के एक रिक्शा चालक, मोहम्मद रफीक अंसारी ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई।
ऑपइंडिया से बातचीत में अंसारी ने बताया कि उन्होंने खुद गुजरात वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मोहसिन लोखंडवाला को इस अवैध कब्जे की सूचना दी, लेकिन बोर्ड की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। बाद में इस मामले की पुलिस में FIR दर्ज करवाई गई। पाँचों आरोपितों को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। ऑपइंडिया के पास यह FIR कॉपी मौजूद है।
वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा वक्फ बोर्ड के सदस्यों और अधिकारियों की देखरेख में आता है। ऐसे में उनकी कार्यशैली पर प्रश्न उठ रहे हैं। इससे जुड़े लोगों ने पूछा है कि वक्फ की इतनी बेशकीमती जमीन पर अवैध निर्माण कैसे हो गया और कुछ बाहरी लोगों ने स्वयं को ट्रस्टी बताकर इतने लंबे समय तक किराया कैसे वसूला।
शिकायतकर्ता अंसारी ने यह भी आशंका जताई है कि इस गोरखधंधे में वक्फ बोर्ड के कुछ अंदरूनी लोग भी शामिल हो सकते हैं, जिसके कारण उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई। अंसारी ने इस मामले में अहमदाबाद पुलिस की तत्परता की सराहना की है।
उन्होंने बताया कि पुलिस अधिकारियों, विशेष रूप से गोसाई साहब, ने उनकी शिकायत पर गंभीरता से ध्यान दिया और मामले की जाँच शुरू कर दी है।
वक्फ कानून के लिए पीएम मोदी का धन्यवाद: अंसारी
ऑपइंडिया से बातचीत में शिकायतकर्ता ने हाल ही में लागू हुए नए वक्फ अधिनियम का पुरजोर समर्थन किया है। उनका मानना है कि इस नए कानून के प्रावधानों के तहत सलीम खान पठान जैसे लोगों के लिए वक्फ की जमीन पर अवैध कब्जा करना और वक्फ बोर्ड के लिए ऐसी गतिविधियों पर आँख बंद करना अब संभव नहीं होगा। अंसारी ने इस कानून के लिए भाजपा सरकार की प्रशंसा भी की।
उन्होंने कहा, “गांधीनगर जाकर गुजरात वक्फ बोर्ड के चेयरमैन से शिकायत करने के बावजूद उन्होंने कुछ नहीं किया। अब अगर नए कानून आ गए तो कोई भी जबरदस्ती वक्फ की जमीन पर कब्जा नहीं कर पाएगा। मैं इस कानून के लिए भाजपा सरकार की बहुत सराहना करता हूँ।”
इसके अलावा, शिकायतकर्ता को यह भी संदेह है कि सलीम खान पठान के साथ-साथ वक्फ बोर्ड के कुछ कथित ठेकेदार भी इस घोटाले में शामिल हो सकते हैं। इसीलिए वक्फ बोर्ड से शिकायत करने के बाद भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।
इसके बाद उन्होंने अहमदाबाद पुलिस से संपर्क किया और अहमदाबाद पुलिस की तारीफ करते हुए कहा, “पुलिस अधिकारी गोसाई साहब और अहमदाबाद पुलिस ने मेरी काफी मदद की है और ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई भी की है।”
पहले कानून बनती तो नहीं होती गड़बड़ी
विडंबना है कि कुछ स्वार्थी तत्व वक्फ अधिनियम को लेकर मुस्लिमों को गुमराह कर रहे हैं और उन्हें सड़कों पर उतरने के लिए उकसा रहे हैं। अहमदाबाद में सामने आया यह करोड़ों का घोटाला ऐसे ही लोगों के स्वार्थों को उजागर करता है। यदि नया वक्फ (संशोधन) अधिनियम पहले ही लागू हो गया होता, तो इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश बहुत पहले हो गया होता।
यदि पहले यह संशोधन लागू कर दिया गया होता तो इन मुस्लिम ठेकेदारों की दुकानें बंद हो जातीं और करोड़ों की अवैध कमाई रुक जाती। यही कारण है कि वे इस नए कानून से नाराज हैं और इसे मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार का एक साधन बता रहे हैं। लेकिन, कानून का असल उद्देश्य यह है कि वक्फ की जमीनों का असल फायदा गरीब मुस्लिमों को मिले।
यदि नया कानून लागू हो जाता तो संपत्तियों के सर्वेक्षण और रजिस्ट्रार में बदलाव होता, राज्य और केंद्र में वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव होता, पिछड़े वर्ग के मुसलमानों और महिलाओं को भी बोर्ड में सदस्यता दी जाती और वक्फ और भूमि नियंत्रण की प्रक्रिया से लेकर उसकी देखरेख और वक्फ ट्रिब्यूनल में बदलाव किए जाते।
अगर ऐसा होता तो इस तरह के घोटाले बंद हो जाते और वक्फ बोर्ड के नाम पर गरीब मुसलमानों के साथ अन्याय नहीं होता। केवल 5-7 अधिकारी ही वक्फ संपत्तियों का उपयोग बंद कर देते और बड़ी मुस्लिम आबादी को इसका सीधा लाभ मिलता।
कानून लागू होने के बाद जो लोग अवैध संपत्ति अर्जित कर रहे थे, वे रुक जाएँगे। इसीलिए आज वक्फ एक्ट का विरोध हो रहा है। ताकि वे दोनों हाथों से वक्फ संपत्तियों को लूट सकें और घोटाले करके अपनी जेबें भर सकें।
हकीकत यह है कि ऐसे लोग नए वक्फ कानून पर इसलिए आपत्ति जता रहे हैं क्योंकि यह उन्हें ऐसी सम्पत्तियाँ हड़पने से रोकेगा। उन्हें ना तो गरीब मुसलमानों की परवाह है और न ही उनके मजहब की संपत्तियों की। उनकी एकमात्र चिंता यह है कि यदि कानून लागू हुआ तो उनकी दुकानें बंद हो जाएंगी।
अहमदाबाद की इस घटना का निष्कर्ष यह है कि जहाँ बहुत अधिक संपत्ति होगी, वहाँ केवल 5-7 लोग ही वक्फ की जमीनों पर शासन करेंगे और संपत्ति को अपने पास रख लेंगे। गरीब मुस्लिमों पर हो रहे इस अन्याय को रोकने के लिए सरकार ने वक्फ अधिनियम में संशोधन किया है।