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Pastoralists in the Modern World

बाल मजदूरी / बाल श्रम पर विद्यार्थियों और बच्चों के हिंदी भाषण

बाल मजदूरी / बाल श्रम पर भाषण 2

आदरणीय प्रधानाध्यापक, सर, मैडम, मेरे वरिष्ठ और मेरे प्यारे दोस्तों को मेरा नमस्कार। मेरा नाम… है। मैं कक्षा………. में पढ़ता / पढ़ती हूँ। मैं इस अवसर पर बाल मजदूरी के विषय पर भाषण देना चाहता / चाहती हूँ क्योंकि यह उन बड़े मुद्दों में से एक है जो देश के विकास और वृद्धि को बाधित करते हैं। मैं अपने कक्षा अध्यापक / अध्यापिका का / की बहुत अधिक आभारी हूँ कि, उन्होंने इतने अच्छे मुद्दे पर मुझे भाषण देने का अवसर प्रदान किया।

फैल रहा है जो विश्व में, फैल रहा है जो विश्व में,
एक जहर के समान, बाल श्रम है इसका नाम।।

मेरे प्यारे मित्रों, बाल श्रम या मजदूरी एक वैश्विक मुद्दा है, यह केवल हमारे देश का ही मुद्दा नहीं है, इसलिए, इसे समाज से हटाने के लिए वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है। यह पूरे विश्व को काफी हद तक प्रभावित करता है विशेषरुप से विकासशील देशों को। बच्चों को विभिन्न प्रकार की मजदूरी में बहुत कम वेतन पर शामिल किया जाता है; उनमें से एक बंधक मजदूरी है। यह भारत में बहुत पुरानी व्यवस्था है, जिसमें बच्चों को पूरी तरह से या कुछ हद तक मालिक के द्वारा पूरे समय के लिए या कुछ समय के लिए बहुत लम्बी समयावधि तक नौकरी करने के लिए मजबूर किया जाता है। इस व्यवस्था में, विशेषरुप से बच्चा या उसके माता-पिता को ऋणदाता के एक समझौते, जो लिखित या मौखिक दोनों प्रकार का होता है, पर सहमत होना पड़ता हैं। यह व्यवस्था ऋण या भूमि पट्टा संबंध के आधार पर विश्वसनीय और सस्ता श्रम पाने के लिए औपनिवेशिक काल के दौरान भारत में अस्तित्व में आयी थी। इस व्यवस्था की बुराईयों को देखते हुये, भारत में बंधुआ बाल श्रम को निषेध करने के लिए 1977 में कानून पारित किया गया था। हालांकि, इसके बाद भी देश में बंधुआ बाल मजदूरी की निरंतरता को साबित करने वाले कुछ सबूत पाये गए हैं।

आर्थिक कल्याण के विषय में, बाल श्रम समाज में एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि बच्चे बहुत ही कम उम्र में मजदूरों के रुप में शामिल हो जाते हैं और जिससे वो आवश्यक शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते। इस तरह वो राष्ट्र के अच्छी तरह से विकसित (शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और वित्तीय रुप से) नागरिक होने के अवसर को छोड़ देते हैं। उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति दिन प्रति दिन कम होती जाती है, जो उन्हें विभिन्न रोगों के माध्यम से और अधिक कमजोर बना देती है। वो जीवनभर अशिक्षित रहते हैं जिससे उनके स्वंय के और देश के अच्छे करने के योगदान करने की क्षमता सीमित हो जाती है।

देश के विकास पर बाल श्रम के सभी प्रतिकूल प्रभावों के बारे में उद्योगपतियों और व्यापारियों को अच्छी तरह से अवगत कराने की जरूरत है। सभी को यह समझना चाहिये कि बच्चों के बीच में आवश्यक कौशल में सुधार करने के लिए एकमात्र यंत्र केवल शिक्षा है, जिससे भविष्य में सुरक्षित उच्च कुशल नौकरियों के माध्यम से अपनी और देश की उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस सामाजिक मुद्दें को हटाने के लिए सभी भारतीय नागरिकों विशेषरुप से देश के अच्छी तरह से शिक्षित युवाओं को कुछ सकारात्मक प्रभावशाली कदम उठाने की आवश्यकता है।

धन्यवाद।

शिक्षित बच्चे, विकसित राष्ट्र।

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