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होली पर भाषण: रंगों के त्योहार होली पर छात्र-छात्राओं के लिए हिंदी में स्पीच

होली पर भाषण: रंगों के त्योहार होली पर छात्र-छात्राओं के लिए हिंदी में स्पीच

रंगों के त्योहार पर हिंदी में स्पीच [Holi Speech in Hindi – 2]

सम्मानीय आगंतुकों, सभी माताएं, बहनें एवं मेरे प्यारे छोटे-बड़े भाई-बहनों सभी को मेरा नमस्कार।।

सबसे पहले मैं आप सभी को दो लाइनें बोलकर होली के पर्व की बधाई देना चाहती हूं।।

खुशियां का रंग भरे जीवन में
दुख सारे जिसमें छिप जाएं
भगवान करें इस होली पर
आपके रंग में सब रंग जाएं।।
आप सभी को हैप्पी होली।।

होली पर भाषण: मुझे बेहद खुशी हो रही है कि आज इस मौके पर आप लोगों ने मुझे होली के इस अवसर पर अपने विचार व्य्क्त करने का मौका दिया है।

हर साल की तरह इस बार भी इस रंगों के त्योहार पर होली मिलन संगोष्टी का आयोजन किया गया है। वहीं आप लोगों की मौजूदगी ने इस रंगों के त्योहार को और भी ज्यादा खास बना दिया है, आप सभी का शुक्रिया।।

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि होली हमारा प्रमुख पर्व है, जिससे हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन संपूर्ण भारत में मनाया जाता है।

इस पर्व का वर्णन न सिर्फ हिन्दू शास्त्रों और पुराणों में किया गया है, बल्कि इतिहासकाल से ही हम सभी होली के पर्व को मनाते आ रहे हैं।

होली को मुगल काल से ही धूमधाम से सेलिब्रिट किया जाता रहा है एवं कई प्राचीन हिन्दू मंदिरों में दीवारों पर उकेरी गए चित्रों से भी प्राचीन काल में होली मनाने की परंपरा का ज्ञात होता है, इससे हम सभी होली के पर्व का महत्व का अंदाजा लगा सकते हैं।

होली को भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह से मनाते हैं। श्री कृष्ण की नगरी नंदगांव की लठमार होली और ब्रज की बरसाने की होली काफी प्रसिद्ध है।

इसके अलावा महाराष्ट्र में इस मौके पर महाराष्ट्र में इस मौके पर होली के दुसरे दिन यानि पंचमी के दिन रंग खेलने की परंपरा है। ये होली का मुख्य आर्कषण होता है। इस तरह सभी लोग अपने-अपने तरीके से होली मनाते हैं।

भाईचारे, प्रेम, सोहार्द के इस पर्व को हम सभी को आपस में मिलजुल कर बनाना चाहिए। होली के पर्व की गरिमा को बचाने की कोशिश करनी चाहिए और इसके सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व को लेकर जागरूक होना चाहिए।

इसके साथ ही अपने बच्चों, करीबी और रिश्तेदारों को भी इस त्योहार के पारंपरिक एवं सामाजिक महत्व के बारे में बताना चाहिए।

इसके साथ ही हम सभी को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि होली की मौज-मस्ती में किसी भी तरह से अन्य दूसरे व्यक्ति को परेशानी न हो।

इस मौके पर कैमिकल वाले रंगों का बहिष्कार कर स्वदेशी यानि कि नैचुरल और ऑर्गेनिक कलर का इस्तेमाल करना चाहिए एवं होली का तकिया कलाम बन चुका ”बुरा ना मानो होली” बोलकर लोगों से जोर-जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।

हां, मै यह नहीं बोल रहा / बोल रही हूं कि होली पर मौज-मस्ती नहीं करनी चाहिए, बल्कि मेरा तात्पर्य यह है कि इस तरह होली खेलनी चाहिए कि किसी की भावना आहत न हो और इस त्योहार मनाने का मजा किरकिरा न है।

हम सभी को इस त्योहार को प्रेमपूर्वक मनाना चाहिए ताकि इस त्योहार की गरिमा बनी रही और रिश्तों की मिठास बनी रहे।

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