निम्नलिखित गद्यांश को पढकर प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
परिश्रम ऐसी साधना है जिसके द्वारा मनुष्य महान कार्य कर सकता है| परिश्रमी मनुष्य संसार में क्या नहीं कर सकता? वह पर्वत की चोटियों पर चढ़ सकता है, दुरूह- से दुरूह रेगिस्तानों को पार कर सकता है, कठिनाइयों को झेल सकता है और कठिन से कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करके उन्हें अपने जीवन के अनुरूप बना सकता है| जिस व्यक्ति में परिश्रम का गुण है, जिसमें पुरुषार्थ की प्रवित्ति है, वह अपने जीवन में कदापि दुःख और निराशा आँधियों से भयभीत नहीं होता| व्यक्ति के जीवन के साथ पारिवारिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय जीवन में भी परिश्रम का महत्व है| परिश्रम के बिना व्यक्ति समाज तथा राष्ट्र का जीवन खोखला ही रह जाता है| परिश्रम से जीवन में गतिशीलता आती है| यह गतिशीलता ही जीवन का वास्तविक चिन्ह होती है|निश्चेष्ट जीवन व्यतीत करने वालों की असफलता और अपयश के अलावा कुछ भी प्राप्त नहीं होता| गति के अभाव में जीवन की स्तिथि घाट के पत्थर जैसी होती है| जबकि मनुष्य के जीवन में पग-पग पर बाधाएं अपना जाल बिछा बैठी होती है| उसी समय यदि मनुष्य परिश्रम न करे तो वह कभी भी आगे नहीं बढ़ सकेगा|
1. उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
प्रश्न (क) परिश्रम के बिना क्या खोखला रह जाता है?
- व्यक्ति का जीवन
- राष्ट्र का जीवन
- व्यक्ति समाज और राष्ट्र का जीवन
प्रश्न (ख) निश्चेष्ट जीवन व्यतीत करने वालों को क्या प्राप्त नहीं होता?
- असफलता और अपयश
- सफलता और यश
- इनमें से कोई नहीं
प्रश्न (ग) जीवन का वास्तविक चिन्ह क्या है?
- परिश्रम का महत्व
- श्रम
- समाज का महत्व
प्रश्न (घ) जीवन में सफलता के लिए हमे अंदर से किसके रूप में पानी मिलता है?
- इच्छा शक्ति के रूप में
- परिश्रम के रूप में
- परिश्रम और बाधाओं के रूप में
- सफलता के रूप में
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो|
(क) लेखक ने परिश्रम को क्या माना है?
(ख) ‘मृत्यु’तथा ‘यश’ शब्दों के विलोम शब्द गद्यांश से छांटकर लिखिए|
(ग) यदि मनुष्य परिश्रम न करे तो क्या होगा?
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो|
(क) एक छात्र के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है? बताइए कैसे? (मूल्यपरक प्रश्न)
(ख) पुरुषार्थ की प्रवृत्ति वाला मनुष्य क्या कर सकता है?
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