अपठित गद्यांश और पद्यांश Hindi Unseen Passages III [10]
जीवन रुकने का नहीं चलने का नाम है। कुछ लोग असफलता की अवस्था में निराश होकर अपने उत्साह का दामन छोड़ बैठते हैं। वे भूल जाते हैं कि परिश्रम एवं प्रयत्न में भाग्य को बदल देने की भी क्षमता होती है। आलसी बनकर रोना-धोना व्यर्थ है। मनुष्य इस संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। अतः उसे अपना जीवन सार्थक बनाने के लिए आशा का सहारा लेना चाहिए। आलसी बनकर समय व्यर्थ बिताना अपने साथ अन्याय करना है। हमें अपने साधनों एवं क्षमताओं का प्रयोग कर प्रगति के पथ पर बढना चाहिए। हमें भावनात्मक कार्य की रचनात्मक कार्य करने चाहिए। दुख में घबराना कायरता का प्रतिक है। हर शाम सूरज को ढलना ही है। रात को आना ही है, तो क्या अँधेरे में हाथ-पर-हाथ रखकर बैठे रहा जाए या उठकर एक दीपक जला लें। सूर्य के सक्षम दीपक की क्या बिसात। पर एक दीपक भी पर्याप्त है एक घर को रोशन कर देने के लिए।
प्रश्न:
- जीवन किसका नाम है?
- असफलता की स्थिति में व्यक्ति का क्या कर्तव्य होना चाहिए?
- प्रगति के पथ पर अग्रसर होने के लिए क्या आवश्यक है?
- लेखक ने अपने साथ अन्याय करना किसे माना है?
- ‘एक दीपक भी पर्याप्त है घर को रोशन करने के लिए’ – पंक्ति से क्या अभिप्राय है?
- किसके माध्यम से मनुष्य अपने भाग्य को बदल सकता है?