अपठित गद्यांश और पद्यांश Hindi Unseen Passages III [02]
आजादी से जुड़ीं एक कविता का आनंद लें और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:
हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाएँगे,
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जाएँगे।
हम बहता जल पीनेवाले
मर जाएँगे भूखे-प्यासे,
कहीं भली है कटुक निबौरी
कनक-कटोरी की मैदा से।
स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूल,
बस सपनों में देख रहे हैं
तरु की फुनगी पर के झूले।
- कविता में पंछी पिंजरे में खुश क्यों नहीं हैं?
- पंछियों को स्वर्ण-कटोरी की अपेक्षा कड़वी निबौरी ही क्यों भाती है?
- ‘आजादी सबको प्यारी है’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए-
- देश की आजादी को कायम रखने के लिए तथा देश की प्रगति के लिए हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?