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Unseen Passages

अपठित गद्यांश और पद्यांश Hindi Unseen Passages III

अपठित गद्यांश और पद्यांश Hindi Unseen Passages III [02]

आजादी सबको भाती है। पशु-पक्षी, जीव-जंतु सबको खुले आकाश के नीचे रहना पसंद है। आइए, भारत वर्ष की स्वतंत्रता के अड़सठ साल पूर्ण होने की खुशी में जश्न मनाएँ तथा उन अनगिनत सेनानियों को नमन करें जिनके बलिदान और कड़े संघर्ष के कारण आज हम खुली हवा में साँस ले पा रहे हैं।

आजादी से जुड़ीं एक कविता का आनंद लें और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:

हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाएँगे,
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जाएँगे।

हम बहता जल पीनेवाले
मर जाएँगे भूखे-प्यासे,
कहीं भली है कटुक निबौरी
कनक-कटोरी की मैदा से।

स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूल,
बस सपनों में देख रहे हैं
तरु की फुनगी पर के झूले।

  1. कविता में पंछी पिंजरे में खुश क्यों नहीं हैं?
  2. पंछियों को स्वर्ण-कटोरी की अपेक्षा कड़वी निबौरी ही क्यों भाती है?
  3. ‘आजादी सबको प्यारी है’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए-
  4. देश की आजादी को कायम रखने के लिए तथा देश की प्रगति के लिए हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

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