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Unseen Passages

अपठित गद्यांश Hindi Unseen Passages IV

अपठित गद्यांश

अपठित का अर्थ होता है ‘जो पढ़ा नहीं गया हो’। यह किसी पाठ्यक्रम की पुस्तक में से नहीं लिया जाता है। यह कला, विज्ञान, राजनीति, साहित्य या अर्थशास्त्र, किसी भी विषय का हो सकता है। इनसे सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं। इससे छात्रों का मानसिक व्यायाम होता है और उनका सामान्य ज्ञान भी बढ़ता है। इससे छात्रों की व्यक्तिगत योग्यता व अभिव्यक्ति की क्षमता बढ़ती है।

विधि

अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों को हल करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

  1. दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़ना चाहिए।
  2. गद्यांश पढ़ते समय मुख्य बातों को रेखांकित कर देना चाहिए।
  3. गद्यांश के प्रश्नों के उत्तर देते समय भाषा एकदम सरल होनी चाहिए।
  4. उत्तर सरल व संक्षिप्त व सहज होने चाहिए। अपनी भाषा में उत्तर देना चाहिए।
  5. प्रश्नों के उत्तर कम-से-कम शब्दों में देने चाहिए, साथ हीं गद्यांश में से हीं उत्तर छाँटने चाहिए।
  6. उत्तर में जितना पूछा जाए केवल उतना हीं लिखना चाहिए, उससे ज़्यादा या कम तथा अनावश्यक नहीं होना चाहिए। अर्थात, उत्तर प्रसंग के अनुसार होना चाहिए।
  7. यदि गद्यांश का शीर्षक पूछा जाए तो शीर्षक गद्यांश के शुरु या अंत में छिपा रहता है।
  8. मूलभाव के आधार पर शीर्षक लिखना चाहिए।

अपठित गद्यांश Hindi Unseen Passages IV [01]

भारत में ऋतुओं से संबंध रखने वाले त्योहारों की कमी नहीं है। वसंत पंचमी, होली, श्रावण तीज, शरद पूर्णिमा, लोहड़ी, पोंगल, बैसाखी आदि त्योहार किसी-न-किसी रूप में सारे देश में मनाए जाते हैं कि इनका संबंध विशेष ऋतुओं से ही है। वसंत पंचमी और होली वासंती रंग और मस्ती के त्योहार हैं। श्रावण तीज मस्ती के प्रतिक झूलों का त्योहार है। शरद पूर्णिमा वर्षा ऋतु के बाद वायुमंडल और वातावरण की निर्मलता का संदेश देने वाला त्योहार है। लोहड़ी और पोंगल शीत-ऋतु की भरपूरता में मनाए जाने वाले त्योहार हैं। इसमें रेवड़ी, मूँगफली, तिल-गुड़, घी-खिचड़ी आदि खाने की परंपरा है, वास्तव में यह सरदी से बचाव और स्वास्थ्य-सुधार का उपाय है; यद्यपि कुछ धार्मिक-आध्यात्मिक बातें, कथाएँ और परंपराएँ भी इनके साथ जुड़ गई हैं। बैसाखी गेहूँ की नई फसल आने और ऋतु-परिवर्तन की सूचना देने वाला त्योहार है, जो पंजाब-हरियाणा जैसे कृषि-प्रधान प्रांतों में विशेष सज-धज तथा नृत्य-गान की मस्ती के साथ मनाया जाता है। इनके अतिरिक्त भी लोग ऋतुओं से संबंधित स्थानीय स्तर के त्योहार मनाते हैं। सभी में मेल-मिलाप, आनंद-मौज की प्रधानता रहा करती है।

इस प्रकार भारत में पारिवारिक, सामाजिक संबंधों का महत्त्व बताने वाले कुछ त्योहार भी बड़े चाव, बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। रक्षाबंधन और भैया दूज यदि भाई-बहन के स्नेहपूर्ण रिश्ते को प्रकट करने वाले हैं, तो करवा चौथ आदि पति-पत्नी के पावन संबंधों को महत्त्व देने वाला त्योहार है।

प्रश्न:

  1. भारत में ऋतुओं से संबंध रखने वाले कौन-कौन-से त्योहार मनाए जाते हैं?
  2. शरद पूर्णिमा का त्योहार क्या संदेश देता है?
  3. शीत ऋतु की भरपूरता में कौन-कौन-से त्योहार मनाए जाते हैं?
  4. कृषि-प्रधान प्रांतों में कौन-सा त्योहार मनाया जाता है?
  5. भारत में पारिवारिक, सामाजिक संबंधों के महत्त्व को बताने वाले त्योहार कौन-कौन से हैं?
  6. रक्षाबंधन और करवा चौथ किन संबंधों को प्रकट करने वाले त्योहार हैं?

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One comment

  1. Where are the answers.