अपठित गद्यांश Hindi Unseen Passages IV [10]
पहनने-ओढने की तरह खाने-पीने में भी उनके आचार-व्यवहार से बहुत लोग क्षुब्ध हो जाते थे। वे अपनी किसी भी कमजोरी को छिपाते न थे। अपने को साधारण आदमियों में गिनते थे। महामानव बनने और पूजा-वंदना कराने से उन्हें चिढ़ थी। उनके शरीर पर जनेऊ न देखकर एक पंडित जी ने कहा था, “महाराज, आप यज्ञोपवीत नहीं धारण करते?”
निराला जी ने कुछ रोष में कहा, “गुलाम देश में सब शूद्र हैं, यहाँ ब्राह्मण कौन है? मानो इसीलिए उन्होंने अपने गाँव के साधारण जनों से विशेष नाता जोड़ा था। जहाँ पुराणपंथी उनसे चिढ़ते थे, गरीब किसान और अंत्यज उन पर जान देते थे। चतुरी चमार के लड़के को अपने घर पढ़ाते थे। लखनऊ में अपने होटल के सामने फुटपाथ पर पड़ी रहने वाली एक पगली भिखारिन से उन्हें बहुत सहानुभूति थी। इसी कारण चतुरी और उस पगली पर अपने अपूर्व रेखाचित्र लिख सके थे। रात में सोते समय अकसर जग जाते थे और घंटों छत पर या बरामदे में टहला करते थे। उस समय उनका मन किस दुःख-सागर में डूबा रहता था, इसे उनके सिवाय कोई नहीं जानता। अपनी कन्या सरोज की मृत्यु से उन्हें गहरा धक्का लगा था। दुःख के इस हृदय-मंथन से उन्होंने जो अमृत निकाला, वह उनकी अमर कविता ‘सरोज स्मृति’ थी। उन्होंने अपना ही दुःख नहीं झेला, दूसरों के दुःख से वे और भी व्यथित हुए। व्यथा ने उन्हें जर्जर कर दिया था। फिर भी अपने से अधिक दूसरों की व्यथा से पीड़ित होकर उन्होंने अपनी अस्वस्थता के दिनों में भी लिखा है – “माँ अपने आलोक निखारो, नर को नरकवास से वारो…”
प्रश्न:
- निराला जी से बहुत से लोग क्यों क्षुब्ध हो जाते थे?
- सरोज स्मृति कविता को किसका परिणाम कहा गया है?
- निराला जी ने कविता “माँ अपने आलोक निखारो, नर को नरक वास से वारो…” क्यों लिखी?
- निराला जी किसके लड़के को अपने घर पर पढ़ाते थे?
- निराला जी को किसकी मृत्यु से गहरा धक्का लगा था?
- निराला जी यज्ञोपवीत क्यों नहीं धारण करते थे?
Where are the answers.