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Unseen Passages

अपठित गद्यांश Hindi Unseen Passages IV

अपठित गद्यांश Hindi Unseen Passages IV [02]

सज्जनों का साथ सत्संगति कहलाती है। सज्जनों का साथ करने से आदमी के आचार-विचार तो अच्छे होते हैं, अच्छे संस्कार भी जागते और बनते हैं। उनके जागने से मनुष्य में मनुष्यता का विकास होता है। सत्संगति मनुष्य के सद्गुणों का विकास तो करती ही है, उसकी सोई हुई शक्तियाँ भी जगा देती है। ऐसा हो जाने पर मनुष्य के लिए कुछ भी कर पाना कठिन नहीं हुआ करता। अच्छे लोगों की सहायता – सहयोग और शक्तियों के जाग उठने पर आदमी अपने साथ-साथ पूरे समाज, देश-जाती और सारी मानवता का भला कर सकता है। सत्संगति से मनुष्य के ज्ञान-क्षेत्र का विस्तार होता है। उसमें मनुष्यता का विकास होता है। विकसित मनुष्य सभी का भला कर सकता है।

इसके विपरीत एक अच्छा-भला आदमी भी कुसंगति का शिकार होकर बिगड़ जाता है। वह अपनी सारी अच्छाइयों, काम करने की शक्तियों से हाथ धो बैठता है। उसकी बुराइयों से परिचित होने के कारण न तो कोई उसकी सहायता करता है, न अपने पास ही फटकने देता है। सभी उसे घृणा की दृष्टि से देखते हैं। बुराई के डर से मुँह पर चाहे कुछ न कहे, पर पीठ पीछे उसकी प्रशंसा कोई नहीं करता। सभी उससे दूर रहना चाहते हैं। सामने पाकर भी कन्नी काट जाते हैं। कुसंगति का शिकार आदमी अपना या अपने घर-परिवार, किसी का भी भला नहीं कर पाता। उसके कारण उसके अच्छे-भले घर-परिवार को भी बदनाम हो जाना पड़ता है। बुरी संगत में फँसे लोग समाज और देश-जाती का भी बुरा करने वाले तथा अपमान का कारण हुआ करते हैं।

प्रश्न:

  1. सत्संगति का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  2. मनुष्य सारी मानवता का भला कैसे कर सकता है?
  3. सत्संगति क्या है?
  4. एक अच्छे व्यक्ति पर कुसंगति का क्या प्रभाव पड़ता है?
  5. बुरी संगति में फँसे लोगों का क्या हाल होता है?
  6. कुसंगति के शिकार आदमी की स्थिति कैसी होती है?

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One comment

  1. Where are the answers.