अपठित गद्यांश Hindi Unseen Passages IV [04]
‘चरित्र एक ऐसा हिरा है, जो हर किसी पत्थर को घिस सकता है।’ चरित्र केवल शक्ति ही नहीं, सब शक्तियों पर छा जाने वाली महाशक्ति है। जिसके पास चरित्र रूपी धन होता है, उसके सामने संसार-भर की विभूतियाँ, संपत्तियाँ और सुख-सुविधाएँ घुटने टेक देती हैं। सुभाष के चरित्र को देखकर असंख्य युवक-युवतियों ने धन, संपत्ति, खून-यहाँ तक कि अपना पूरा जीवन होम कर दिया। मुट्ठी भर हड्डियों वाले बापू पर विश्व की कौन-सी संपत्ति कुर्बान नहीं थी। चरित्र साधना है। इसे अपने ही प्रयास से पैदा किया जा सकता है। इसका तरीका भी बहुत सरल है – सद्गुणों से बचना। प्रेम, त्याग, करुणा, मानवता, अहिंसा को अपनाना तथा लोभ, मोह, निंदा, उग्रता, क्रोध, अहंकार को छोड़ना। चरित्रवान व्यक्ति स्वयं को धन्य अनुभव करता है। उसे अपना जीवन सफल प्रतीत होता है। संसार का कष्ट भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उसके लिए काँटे भी फूल बन जाते हैं। अपमान भी सम्मान बन जाता है, जेल मंदिर बन जाते हैं, विष के प्याले अमृत बन जाते हैं। वह जब तक जीता है, संतुष्ट रहता है। उसे अपने किए पर पछतावा नहीं होता। वह छाती तानकर, नजरें उठाकर शान से जीता है।
प्रश्न:
(क) चरित्र की तुलना किससे की गई है?
- पत्थर से
- महाशक्ति से
- सब शक्तियों पर छा जाने वाली महाशक्ति से
- इनमें से कोई नहीं
(ख) चरित्र रूपी धन के सामने कौन घुटने टेक देता है?
- संसार भर की विभूतियाँ
- संपत्तियाँ
- सुख-सुविधाएँ
- उपरोक्त सभी
(ग) चरित्र – साधना कैसे की जाती है?
- सद्गुणों पर चलकर
- अवगुणों से बचकर
- प्रेम, करुणा आदि को अपनाकर
- उपरोक्त सभी
(घ) चरित्रवान व्यक्ति किस प्रकार का जीवन जीता है?
- छाती तानकर, नजरें उठाकर शान से
- संतोषी बनकर
- सफल जीवन
- अहंकार शून्य
(ड़) विलोम शब्द का कौन-सा जोड़ा सही नहीं है?
- विष-अमृत
- संतोष-संतुष्ट
- फूल-काँटे
- अपमान-सम्मान
(च) दृढ़ चरित्रवाले व्यक्ति के सामने लोग क्या करने को तत्पर रहते हैं?
- धन का त्याग
- खून देने का
- जीवन का त्याग
- उपरोक्त सभी
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