Sunday , December 22 2024
Unseen Passages

अपठित गद्यांश Hindi Unseen Passages IV

अपठित गद्यांश Hindi Unseen Passages IV [09]

निम्निलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढकर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

नख – धर मनुष्य अब एटमबम पर भरोसा करके आगे की ओर चल पड़ा है, पर उसके नाखून अब भी बढ़ रहे हैं। अब भी प्रकृति मनुष्य को उसके भीतर वाले अस्त्र से वंचित नहीं कर रही है, अब भी वह याद दिला देती है कि तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता। तुम वही लाख वर्ष पहले के नखदंताव लंबी जीव हो – पशु के साथ एक ही सतह पर विचरने वाले और चरने वाले।

अतः मैं हैरान होकर सोचता हूँ कि मनुष्य आज अपने बच्चों को नाखून न काटने के लिए डाँटता है। किसी दिन – कुछ थोड़े लाख वर्ष पूर्व – वह अपने बच्चों को नाखून नष्ट करने पर डाँटता रहा होगा। लेकिन प्रकृति है कि वह अब भी नाखून को जिलाए जा रही है और मनुष्य है कि वह अब भ उसे काटे जा रहा है। मैं मनुष्य के नाखून की ओर देखता हूँ, तो कभी-कभी निराश हो जाता हूँ। ये उसकी भयंकर पाशवी वृत्ति के जीवंत प्रतिक हैं। मनुष्य की पशुता को जितनी बार भी काट दो, वह मरना नहीं जानती।

प्रश्न:

  1. ‘प्रकृति मनुष्य को उसके भीतर वाले अस्त्र से वंचित नहीं कर रही है, – यहाँ मनुष्य की प्रवृत्ति की ओर संकेत है?
  2. लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि नाखून अब भी बढ़ रहे हैं?
  3. नखदंतालंबी जीव का क्या तात्पर्य है?
  4. कुछ लाख वर्ष पूर्व मनुष्य नाखून नष्ट करने पर अपने बच्चों को क्यों डाँटता रहा होगा?
  5. मनुष्य के भयंकर पाशवी वृत्ति का जीवंत प्रतिक क्या है?
  6. ‘नाखून काटने पर भी बढ़ते हैं’ – इसके पीछे लेखक का क्या मत है?

Check Also

Unseen Passages

अपठित गद्यांश और पद्यांश Hindi Unseen Passages II

निम्नलिखित पद्यांश को पढकर प्रश्नों के उत्तर दीजिए – देश हमें देता सब कुछ, हम …

One comment

  1. Where are the answers.