अपठित गद्यांश Hindi Unseen Passages V [02]
रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुरते में बटन नहीं है, पड़ोस के घर से सुई-तागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गए हैं, उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर भागा जाता है। जल्दी-जल्दी बैलों को सानी-पानी दे दें। ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जाएगा। तीन कोस का पैदल रास्ता, फिर सैकड़ों आदमियों से मिलना-भेंटना, दोपहर के पहले लौटना असंभव है। लड़के सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं। किसी ने एक रोजा रखा है, वह भी दोपहर तक, किसी ने वह भी नहीं; लेकिन ईदगाह जाने की खुशी उनके हिस्से की चीज है। रोजे बड़े-बूढों के लिए होंगे। इनके लिए तो ईद है। रोज ईद का नाम रटते थे आज वह आ गई। अब जल्दी पड़ी है कि लोग ईदगाह क्यों नहीं चलते। इन्हें गृहस्थी की चिंताओं से क्या प्रयोजन! सेंवइयों के लिए दूध और शक्कर घर में है या नहीं, इनकी बला से, ये तो सेंवइयाँ खाएँगे।
प्रश्न:
- गाँव में चहल-पहल होने का क्या कारण है?
- लोग कहाँ जाने की तैयारियों में व्यस्त हैं?
- बच्चे किस प्रकार की चिंताओं से मुक्त हैं?
- गाँव से ईदगाह तक का रास्ता कितना लंबा है?
- (i) सानी-पानी सामासिक शब्द का विग्रह और समास का नाम बताइए।
(ii) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है? - ईदगाह से दोपहर से पहले लौटना असंभव क्यों था?