अपठित गद्यांश Hindi Unseen Passages V [03]
रवींद्रनाथ का दृढ़ विश्वास था कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा भारत की प्रगति हो सकती है। उन्होंने इसे अपना प्रमुख कर्तव्य समझा कि वे इस क्षेत्र में भी कुछ करें। उन्हें शांतिनिकेतन में बिताए अपने बचपन के दिन याद आए, जहाँ पर उन्होंने पहले-पहले उन्मुक्तता का स्वाद लिया था। उन्होंने अपने पिता से पूछा कि क्या वहाँ प्राचीन गुरुकुल पद्धति पर आधारित विद्यापीठ स्थापित कर सकते हैं? महर्षि ने सहर्ष इसकी अनुमति दे दी।
22 दिसंबर, सन् 1901 को थोड़े-से विद्यार्थियों को लेकर इस विद्यालय की स्थापना हुई। शांतिनिकेतन नाम का भवन पहले से ही वहाँ था। रवींद्रनाथ ने भवन के आस-पास की करीब सात एकड़ जमीन खरीद ली। सबसे पहले उन्होंने एक पुस्तकालय और एक प्रयोगशाला बनवाई। संस्था को सही तरीके से आरंभ के लिए उन्हें ढेर सारे रूपये की आवश्यकता थी। उन्होंने रूपये का प्रबंध अपनी निजी संपत्ति और अपनी पत्नी गहने बेचकर किया। इन सबका अर्थ था-संघर्ष भरा जीवन। रवींद्रनाथ प्रसन्न थे क्योंकि उन्होंने अपने आदर्शों के लिए स्वेच्छा से ऐसा जीवन अपनाया था।
प्रश्न:
- भारत की प्रगति के बारे में रवींद्रनाथ को सबसे उपयुक्त माध्यम क्या लगता था?
- रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने पिता जी से किस बात के लिए अनुमति माँगी?
- रवींद्रनाथ जिस विद्यापीठ की स्थापना करना चाहते थे, उसके शिक्षण का आधार क्या था?
- संघर्ष भरा जीवन जिकर भी रवींद्रनाथ प्रसन्न क्यों थे?
- (i) ‘प्रयोगशाला’ शब्द में कौन-सा समास है?
(ii) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है? - शांतिनिकेतन संस्था को सही तरीके से आरंभ करने के लिए रुपयों का प्रबंध रवींद्रनाथ जी ने किस प्रकार किया?