अपठित गद्यांश Hindi Unseen Passages V [04]
मानव जीवन में आत्मसम्मान का अत्यधिक महत्त्व है। आत्मसम्मान में अपने व्यक्तित्व को अधिकाधिक सशक्त एवं प्रतिष्ठित बनाने की भावना निहित होती है। इससे शक्ति, साहस, उतसाह आदि गुणा का जन्म होता है जो जीवन की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। आत्मसम्मान की भावना से पूर्ण व्यक्ति संघर्षों की परवाह नहीं करता है और हर विषम परिस्थिति से टक्कर लेता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में पराजय का मुँह नहीं देखते तथा निरंतर यश की प्राप्ति करते हैं। आत्मसम्मानी व्यक्ति धर्म, सत्य, न्याय और नीति के पथ का अनुगमन करता है उसके जीवन में ही सच्चे सुख और शांति का निवास होता है। परोपकार, जनसेवा जैसे कार्यों में उसकी रूचि होती है। लोकप्रियता और सामाजिक प्रतिष्ठा उसे सहज ही प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्ति में अपने राष्ट्र के प्रति सच्ची निष्ठा होती है तथा मातृभूमि की उन्नति के लिए वह अपने प्राणों को उत्सर्ग करने में सुख की अनुभूति करता है। चूँकि आत्मसम्मानी व्यक्ति अपने अथवा दूसरों की आत्मा का हनन नहीं करता है, इसीलिए वह ईर्ष्या-द्वेष जैसी भावनाओं से मुक्त होकर मानव मात्र को अपने परिवार का अंग मानता है। उसके हृदय में स्वार्थ, लोभ और अहंकार का भाव नहीं होता। निश्छल हृदय होने के कारण वह आसुरी प्रवृत्तियों से सर्वथा मुक्त होता है।
प्रश्न:
(क) जीवन में उन्नति का मार्ग इनमें से कौन मजबूत करता है?
- स्वार्थ, अहंकार, मोह
- विजय, न्याय, सत्य
- उत्साह, शक्ति, साहस
- घमंड, लालच, कुटिलता।
(ख) आत्मसम्मानी रखने वाले व्यक्ति निरंतर किसकी प्राप्ति करते हैं?
- धन की
- परोपकार की
- यश की
- अपनत्व की
(ग) आत्मसम्मानी व्यक्ति मातृभूमि की उन्नति के लिए क्या करता है?
- धन देता है
- अपना जीवन कुर्बान कर देता है
- अपना सुख त्याग देता है
- अपने तथा पराएपन की भावना त्याग देता है
(घ) आत्मसम्मानी व्यक्ति के हृदय में इनमें से कौन-भाव नहीं होता है?
- शक्ति
- साहस
- उत्साह
- लोभ
(ड़) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक निम्नलिखित में से क्या हो सकता है?
- मानवजीवन
- आत्मसम्मानी व्यक्ति
- आत्मसम्मान और व्यक्तित्व
- आत्मसम्मान का महत्त्व
(च) आत्म-सम्मानी व्यक्ति किस तरह का होता है?
- दूसरों की आत्मा का हनन न करने वाला
- ईर्ष्या-द्वेष से मुक्त निश्छल आदमी
- लोभ, स्वार्थ, अहंकार से रहित
- उपरोक्त सभी