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Unseen Passages

अपठित काव्यांश Hindi Unseen Verses And Passages

अपठित काव्यांश Hindi Unseen Passages IV [10]

पृथ्वी की छाती फाड़, कौन यह अन्न उगा लाता बहार?
दिन का रवि-निशि की शीत कौन लेता अपनी सिर-आँखों पर?
कंकड़ पत्थर से लड़-लड़कर, खुरपी से और कुदाली से,
ऊसर बंजर को उर्वर कर, चलता है चाल निराली ले।

मजदूर भुजाएँ वे तेरी, मजदूर, शक्ति तेरी महान;
घूमा करता तू महादेव! सिर पर लेकर के आसमान!
पाताल फोड़कर, महाभीष्म! भूतल पर लाता जलधारा;
प्यासी भूखी दुनिया को तू देता जीवन संबल सारा!

खेती ले लाता है कपास, धुन-धुन, बुनकर अंबार परम;
इस नग्न विश्व को पहनाता तू नित्य नवीन वस्त्र अनुपम।
नंगी घूमा करती दुनिया, मिलता न अन्न, भूखों मरती,
मजदूर! भुजाएँ जो तेरी मिट्टी से नहीं युद्ध करतीं!

तू छिपा राज्य-उत्थानों में, तू छिपा कीर्ति के गानों में;
मजदूर! भुजाएँ तेरी ही दुर्गों के श्रृंग-उठानों में।
तू छिपा नवल निर्माणों में, गीतों में और पुराणों में;
युग का यह चक्र चला करता तेरी पद-गति की तानों में।

तू ब्रह्मा-विष्णु रहा सदैव,
तू है महेश प्रलयंकर फिर।
हो तेरा तांडव, शुंभ! आज
हो ध्वंस, सृजन मंगलकर फिर!

प्रश्न:

(क) पृथ्वी की छाती फाड़ कौन अन्न उगाता है?

  1. किसान
  2. जमींदार
  3. मजदूर
  4. ईश्वर

(ख) मजदूर की शक्ति को महान क्यों कहा गया है?

  1. जमीन खोदकर जल लाने से
  2. खेती से कपास लाने से
  3. अन्न उगाकर लाने से
  4. उपरोक्त सभी

(ग) मजदूर की गाथा कहाँ छिपी है?

  1. राज्य-उत्थानों में
  2. कीर्ति के गानों में
  3. नवल निर्माण में, गीता पुराणों में
  4. उपरोक्त सभी

(घ) उपयुक्त शीर्षक कौन-सा है?

  1. सृजनकर्ता
  2. निर्माण कर्ता
  3. मजदूर
  4. मेहनतकश इंसान

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2 comments

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