Thursday , November 21 2024
Unseen Passages

अपठित काव्यांश Hindi Unseen Verses And Passages

अपठित काव्यांश Hindi Unseen Passages IV [03]

जिसकी रज में लोट-लोटकर बड़े हुए हैं,
घुटनों के बल सरक-सरक कर बड़े हुए हैं,

परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाए,
जिसके कारण धूल भरे हीरे कहलाए,

हम खेले कूदे हर्षयुत, जिसकी प्यारी गोद में
हे मातृभूमि तुझको निरख, मग्न क्यों न  हों मोद में?

षट्ऋतुओं का विविध दृश्य युत अद्भुत क्रम है,
हरियाली का फर्श नहीं मखमल से कम है,

शुचि-सुधा सींचता रात में, तुझ पर चंद्रप्रकाश है।
हे मातृभूमि, दिन में तरणि, करता तम का नाश है।

प्रश्न:

  1. मातृभूमि की गोद में हम किस तरह से बड़े हुए हैं?
  2. बाल्यकाल के बारे में कवि ने क्या कहा है?
  3. प्रस्तुत काव्यांश में किसकी महिमा गाई गई है?
  4. (i) निम्निलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए: रज, तरणि।
    (ii) उपर्युक्त काव्यांश  का उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है?

Check Also

Unseen Passages

अपठित गद्यांश और पद्यांश Hindi Unseen Passages II

निम्नलिखित पद्यांश को पढकर प्रश्नों के उत्तर दीजिए – देश हमें देता सब कुछ, हम …

2 comments

  1. Very helpful!

  2. This is a very helpful website for Hindi learners.