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Unseen Passages

अपठित काव्यांश Hindi Unseen Verses And Passages

अपठित काव्यांश Hindi Unseen Passages IV [04]

मैं
रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ
लेकिन मुझे फेंको मत!
क्या जाने कब
इस दुरूह चक्रव्यूह में
अक्षौहिणी सेनाओं को चुनौती देता हुआ
कोई दुस्साहसी अभिमन्यु आकर घिर जाय।
अपने पक्ष को असत्य जानते हुए भी
बड़े-बड़े महारथी
अकेली-निहत्थी आवाज को
अपने ब्रह्मास्त्रों से कुचल देना चाहें

तब मैं
रथ का टूटा हुआ पहिया
उसके हाथों में
ब्रह्मास्त्रों से लोहा ले सकता हूँ।
मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ!
लेकिन मुझे फेंको मत
इतिहास की सामूहिक गति
सहसा झूठी पड़ जाने पर
क्या जाने
सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले।

प्रश्न:

  1. रथ का टूटा पहिया स्वयं को फेंके जाने की सलाह क्यों देता है?
  2. दुरूह चक्रव्यूह का महाभारत के संदर्भ में क्या आशय है?
  3. कवि ने अभिमन्यु को दुस्साहसी क्यों बताया है?
  4. ‘असत्य कभी सत्य नहीं बर्दाश्त नहीं कर पाता’ – किस तथ्य को आधार बनाकर कवि ने इस ओर संकेत किया है?

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2 comments

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