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Unseen Passages

अपठित काव्यांश Hindi Unseen Verses And Passages

अपठित काव्यांश Hindi Unseen Passages IV [06]

ब्रह्मचर्य से मुखमंडल पर चमक रहा तो तेज अपरिमित,
जिनका हो सुगठित शरीर, दृढ़ भुजदंडों में बल हो विकसित
जिनका हो उन्नत ललाट, हो निर्मल दृष्टि ज्ञान से दीपित,
उर में हो उत्साह उच्छ्वसित, साहस, शक्ति, शौर्य हो संचित।
देश-प्रेम से उमड़ रहा हो जिनकी वाणी में जय-जय स्वर,
हमको ऐसे युवक चाहिए, सकें देश का जो संकट हर!

रस-विलास के रहे न लोलुप, जिनमें हो विराग वैभव का,
अतुल त्याग हो छिपा देशहित, जिन्हें गर्व हो निज गौरव का।
सेवाव्रत में जो दीक्षित हों, दिन-दुखी के दुख कातर,
पर-संताप दूर करने को ललक रहा हो जिनका अंतर।
बने देशहित वैरागी, जो अपना घरबार छोड़कर,
हमको ऐसे युवक चाहिए, सकें देश का संकट हर।

सदा सत्य पथ के अनुयायी, जिन्हें अनृत से मन में भय हो,
दुर्बल के बल बनने के हित जिनमें शाश्वत भाव उदय हो।
जिन्हें देश के बंधन लखकर कुछ न सुहाता हो सुख-साधन
स्वतंत्रता की रटन अधर में, आजादी जिनका आराधन,
जो शिर-सुमन चढ़ा सकते हों, हर्षित हो माँ के चरणों पर,
हमको ऐसे युवक चाहिए, सकें देश का जो संकट हर।

प्रश्न:

(क) हमें आज कैसे युवक चाहिए?

  1. सुगठित शरीर वाले
  2. उन्नत ललाट वाले
  3. उन्नत ललाट व निर्मल दृष्टि
  4. उपरोक्त सभी

(ख) देश का संकट किन गुणों वाले युवक हर सकते हैं?

  1. उत्साही
  2. साहसी
  3. शक्तिशाली व शौर्यवान
  4. उपरोक्त सभी

(ग) सुख साधन किन्हें अच्छे नहीं लगते?

  1. देशभक्त
  2. स्वतंत्रता प्रेमी
  3. सर्वस्व त्याग करने वाले
  4. (i) और (ii) दोनों

(घ) ‘जो शिर-सुमन चढ़ा सकते हैं, हर्षित हो, माँ के चरणों पर’ – पंक्ति का भाव है:

  1. प्रसन्नता से देश की रक्षा हेतु सर्वस्व न्योछावर करने को तत्पर
  2. देश की रक्षा हेतु सिर को मातृभूमि के चरणों में अर्पित कर देते हैं
  3. देश-प्रेम सर्वोपरि है
  4. देश के लिए सर्वस्व समर्पित करने को तत्पर रहने वाले देशभक्त

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2 comments

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