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Unseen Passages

अपठित काव्यांश Hindi Unseen Verses And Passages

अपठित काव्यांश Hindi Unseen Passages IV [08]

छुट्टी का घंटा बजते ही स्कूलों से
निकल-निकल आते हैं जीते-जागते बच्चे,
हँसते-गाते चल देते हैं पथ पर ऐसे
जैसे सास्वत भाव वही हो कविताओं के

बंद किताबों से बाहर छंदों से निकले
देश-काल में व्याप रही है जिनकी गरिमा।
मैं निहारता हूँ उनको फिर-फिर अपने को
और भूल जाता हूँ अपनी क्षीण आयु को।

प्रश्न:

(क) बच्चों के चेहरों पर ताजगी और खिलखिलाहट कब आ जाती है?

  1. छुट्टी का घंटा बजते ही
  2. छुट्टी होने पर
  3. अध्यापिका के न आने पर
  4. प्रार्थना-सभा न होने पर

(ख) स्कूल की सीमा से बाहर निकले बच्चों की तुलना किससे की गई है?

  1. जीते-जागते व हँसते-गाते लोगों से
  2. बंद कविताओं से निकले छंद
  3. कविताओं के चमकते भाव
  4. उपरोक्त तीनों

(ग) कवि को अपना बचपन कब याद आता है?

  1. बच्चों को जीते-जागते देखकर
  2. बच्चों को हँसते-गाते देखकर
  3. स्कूल से भाग-भागकर आते देखकर
  4. उपरोक्त सभी

(घ) बच्चों को हँसते-गाते देखकर कवि क्या अनुभव करता है?

  1. अपनी ढलती आयु को भूल जाता है
  2. पुनः बचपन में लौट जाता है
  3. ताजगी अनुभव करता है
  4. उपरोक्त सभी

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2 comments

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